खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की चिंताओं को जीएसटी परिषद के समक्ष उठाएंगे : Chirag Paswan

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Sep 20, 2024

नयी दिल्ली। खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए केंद्र ने खाद्य कंपनियों के 100 से अधिक वरिष्ठ अधिकारियों के साथ विचार-विमर्श किया। इस बैठक का उद्देश्य कारोबार सुगमता, आयात, जीएसटी दरों और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के बारे में गलत धारणाओं से संबंधित उनके सामने आने वाली समस्याओं को समझना था। बैठक के दौरान खाद्य कंपनियों ने कई खाद्य पदार्थों की जीएसटी दरों में कमी किये जाने की मांग की। वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री चिराग पासवान की सह-अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय सीईओ गोलमेज सम्मेलन का आयोजन राष्ट्रीय राजधानी में 19-22 सितंबर के दौरान आयोजित होने वाले विश्व खाद्य भारत-2024 कार्यक्रम के हिस्से के रूप में किया गया। 


एक सरकारी बयान में कहा गया कि इसमें ‘‘निवेश को बढ़ावा देने और कारोबार सुगमता को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया। इसमें 100 से अधिक सीएक्सओ ने भाग लिया।’’ बैठक के दौरान पासवान ने कहा, ‘‘इस सीईओ गोलमेज सम्मेलन का उद्देश्य खाद्य कंपनियों के उद्योग प्रतिनिधियों को सरकार के समक्ष अपनी चिंताओं और सुझावों को रखने के लिए एक मंच प्रदान करना था।’’ उद्योग के प्रतिनिधियों और सरकारी अधिकारियों के बीच उद्योग के सामने आने वाली चुनौतियों और उन मुद्दों पर उनके सुझावों को समझने के लिए खुली बातचीत हुई। 


पासवान ने खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को राज्यस्तर पर बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भारत खाद्य उत्पादों के लिए एक वैश्विक केंद्र बन सके। उन्होंने कहा कि इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए, ‘‘हम विभिन्न चुनौतियों को समझना चाहते थे, चाहे वह कारोबार सुगमता का मामला हो, कराधान और भ्रामक विज्ञापनों से संबंधित मामला हो। हमने इन मुद्दों पर खुलकर चर्चा की। कुछ मुद्दों के समाधान भी खोजे गए।’’ पासवान ने कहा कि जीएसटी दरों से संबंधित कुछ चिंताएं हैं और उनका मंत्रालय इन्हें जीएसटी परिषद के समक्ष उठाएगा। ‘‘इस बारे में अंतिम निर्णय परिषद द्वारा लिया जाएगा।’’ 


गोलमेज सम्मेलन में खाद्य प्रसंस्करण राज्यमंत्री रवनीत सिंह बिट्टू, आंध्र प्रदेश के उद्योग और वाणिज्य मंत्री टी जी भरत और गुजरात के कृषि मंत्री राघवजी पटेल भी मौजूद थे। भारत सरकार और राज्य सरकारों के विभिन्न मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे। सूत्रों के अनुसार, कारोबारियों ने अधिकतम अवशेष सीमा (एमआरएल), खाद्य उद्योग में उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना से संबंधित मुद्दों, क्षेत्र में व्यापार करने में आसानी आदि से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की। कुछ कारोबारियों ने ‘मैदा’ (रिफाइंड आटा) के निर्यात पर भी चिंता जताई। हालांकि, देश में गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध है, लेकिन कुछ व्यापारी गेहूं से बने ‘मैदा’ का निर्यात कर रहे हैं। कारोबारियों में से एक ने उलट-शुल्क ढांचे का मुद्दा भी उठाया और वैश्विक वास्तविकताओं के अनुसार पीएलआई योजनाएं बनाने का सुझाव दिया।

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