By अनुराग गुप्ता | Jan 17, 2022
लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के मद्देनजर राजनीतिक दल एक-दूसरे के साथ साठगांठ करने में लगे हुए हैं। इसी बीच एक बार फिर से समाजवादी पार्टी (सपा) और भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर के बीच गठबंधन को लेकर सुगबुगाहट शुरू हो गई है। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने कहा कि भीम आर्मी प्रमुख के साथ गठबंधन करेंगे चाहे अपने कोटे से सीटें देनी पड़ जाए। दरअसल, अखिलेश और चंद्रशेखर के बीच गठबंधन लगभग तय हो गया था लेकिन फिर भीम आर्मी चीफ ने सपा प्रमुख को दलित विरोधी बताकर गठबंधन से इनकार कर दिया।
अपने कोटे से देंगे सीट !
सुभासपा प्रमुख ने हिन्दी न्यूज चैनल 'आज तक' के साथ बातचीत में कहा कि मैं चंद्रशेखर को कहीं नहीं जाने दूंगा। चाहे फिर मुझे अपने कोटे से ही उन्हें टिकट क्यों न देनी पड़े। माना जा रहा था कि अखिलेश यादव और चंद्रशेखर आजाद के बीच गठबंधन लगभग तय हो गया है और अखिलेश यादव ने उन्हें सहारनपुर समेत दो सीट देने वाले हैं। लेकिन फिर चंद्रशेखर आजाद का बयान सामने आया। जिसमें उन्होंने कहा कि अंत में मुझे लगा कि अखिलेश यादव को दलितों की जरूरत नहीं है। वह इस गठबंधन में दलितों का प्रतिनिधित्व नहीं चाहते हैं।क्या बोले अखिलेश यादव ?वहीं गठबंधन नहीं होने पर अखिलेश यादव ने सोमवार को इसे साजिश करार देते हुए कहा कि मैं उन्हें दो सीटें देने की बात कर रहा था। मेरे साथ हुई मुलाकात में वो इस पर राजी भी हो गए थे। लेकिन फिर पता नहीं उन्होंने कहां बात की और कहा कि हम दो सीटों पर चुनाव नहीं लड़ सकते हैं। संवाददाताओं के सवाल पर अखिलेश यादव ने कहा कि मैं भाई मानता हूं, जो बड़े उम्र वाले हैं उनको चाचा मानता हूं तो और क्या कहें हम। उन्होंने कहा कि कल भी कहा कि सपा ने अपने गठबंधन के लोगों को सम्मान देने के लिए, उन्हें साथ लाने के लिए त्याग किया है, इस समय भाजपा को हराने के लिए जो भी त्याग करना चाहें, करना चाहिए, समाजवादी पार्टी त्याग कर रही है।उन्होंने कहा कि जहां तक चंद्रशेखर का सवाल है तो मैंने सीटें दी थीं और अगर वे भाई बनकर भी मदद करना चाहते हैं तो करें। अखिलेश यादव ने कहा कि चंद्रशेखर ने पहले दो सीटें स्वीकार कर ली थी लेकिन बाद में कहा कि हमारे संगठन में इस पर सहमति नहीं बन पा रही है, इसमें सपा का क्या दोष है। इसलिए मैं कह रहा हूं कि कहीं न कहीं लोग साजिश कर रहे हैं। हालांकि एक बार फिर से दोनों के बीच सुगबुगाहट तेज हो गई हैं। अब देखना यह बाकी है कि क्या ओम प्रकाश राजभर दोनों नेताओं के बीच गठबंधन करा पाते हैं या नहीं।