By अभिनय आकाश | Dec 28, 2024
खबर है कि अफगानिस्तान के 15 हजार तालिबानी लड़ाके उन हथियारों के साथ पहुंच चुके हैं जो अमेरिकी सेना वहां छोड़कर गई थी। दरअसल, टीटीपी को निशाना बनाने के लिए अफगान सीमा के करीब पाकिस्तान ने एयरस्ट्राइक की थी। अब दावा ये है कि इस एयरस्ट्राइक में पाकिस्तान की एयरफोर्स से हमेशा की तरह बड़ी गलती हो गई। टीटीपी लड़ाकों की जगह पाक सेना ने 40 अफगान नागरिकों को मार दिया। अब तालिबान के लड़ाके इसका बदला लेने के लिए पाकिस्तानी सीमा पर पहुंच चुके हैं। जिसके बाद जनरल आसिम मुनीर के हाथ पांव अभी से फूलने लगे हैं। एक एक टैंक पर 10-10 तालिबानी लड़ाके सवार हैं और सभी के हाथों में आधुनिक हथियार नजर आ रहे हैं। तालिबान के लड़ाके रुक रुक कर पाकिस्तानी फोर्स को निशाना भी बना रहे हैं। दूसरी तरफ अफगानिस्तान के लोग सोशल मीडिया पर पाकिस्तान को 1971 की हार याद दिला रहे हैं। पाकिस्तान की 53 साल पुरानी हार का आज भी मजाक बनाया जाता है। इतनी बेइज्जती सहने के बाद भी शहबाज शरीफ ने अफगानिस्तान की तरफ दोस्ती हाथ बढ़ाया है।
शहबाज शरीफ ने कहा कि हमारे छोटे भाई जैसा मुल्क है। हमारी हजारों किलोमीटर लंबी सीमा है। हमारी दिली ख्वाहिश है कि हमारे संबंध बेहतर हों। हम एक दूसरे के साथ आर्थिक तौर पर सहयोग करें। शहबाज के मजबूर दिखने वाले बयान की वजह पाकिस्तान और अफगानिस्तान दोनों जगहों से आई है। पाकिस्तान जानता है कि वो कभी भी अफगानिस्तान से डायरेक्ट या इनडायरेक्ट युद्ध लड़कर जीत नहीं सकता है। अफगान तालिबान का टीटीपी को खुला सपोर्ट हासिल है। टीटीपी लगातार पाकिस्तानी सीमा में अटैक करता है। टीटीपी के लड़ाके पाकिस्तान में इस्लामिक शरिया कानून लागू करना चाहते हैं।
पाक अफगान सीमा के ज्यादातर कबिले इसके पक्ष में हैं। पाक अफगान के बीच 2600 किलोमीटर लंबा बार्डर है, जिसे कंट्रोल करना मुश्किल है। टीटीपी के लड़ाके आसानी से सीमा के इस पार से दूसरी तरफ पहुंच जाते हैं। टीटीपी ने पाकिस्तान का विरोध करने वाले संगठनों जैसे बलोच लिबरेशन के साथ हाथ मिलाने का दावा किया है, जिससे पाकिस्तान की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। इसलिए शहबाज शरीफ के बाद अफगानिस्तान को भाई मानने के अलावा कोई चारा नहीं है। यानी अब अफगान लड़ाके पाकिस्तानी सैनिकों पर हमला भी करेंगे तो पाकिस्तान चाहकर भी उनको करारा जवाब नहीं दे पाएगा।
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