Prabhasakshi Exclusive: South Korean Airlines को पहले भटकाने फिर विमान को मार गिराने के लिए Kim Jong Un ने बनाया है बेहद खतरनाक प्लान!

By नीरज कुमार दुबे | Jul 11, 2024

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) से जानना चाहा कि उत्तर कोरिया किस तरह दक्षिण कोरिया की एअरलाइनों के लिए मुश्किलें खड़ी करता जा रहा है? क्या इससे वैश्विक विमान परिचालन पर भी कोई असर पड़ सकता है? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि उत्तर कोरिया के गुब्बारा अभियान, मिसाइल प्रक्षेपण और जीपीएस स्पूफिंग के बढ़ते मामलों ने दक्षिण कोरियाई हवाई क्षेत्र में जोखिम बढ़ा दिया है। उन्होंने कहा कि दोनों प्रतिद्वंद्वी देशों के बीच तनाव बढ़ने से एयरलाइन संचालन जटिल हो गया है। उन्होंने कहा कि मई के अंत में उत्तर कोरिया ने मानव मल सहित कूड़े के थैलों से भरे हजारों गुब्बारे दक्षिण कोरिया में प्रवाहित करना शुरू कर दिया जोकि मनोवैज्ञानिक युद्ध का एक रूप है।


ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि 29 मई से 27 जून के बीच सात लहरों के दौरान सैंकड़ों गुब्बारे दक्षिण में उतरे, जिनमें से एक इंचियोन हवाई अड्डे के रनवे पर था, जिसके कारण इसके सबसे बड़े अंतरराष्ट्रीय प्रवेश द्वार पर टेकऑफ़ और लैंडिंग को तीन घंटे के लिए निलंबित करना पड़ा। उन्होंने कहा कि जब गुब्बारे पहली बार दिखाई दिए उसके बाद से खबरें आईं कि उत्तर कोरिया की ओर से विमानन नेविगेशन में हस्तक्षेप भी बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि इसके तहत दक्षिण कोरिया में वाणिज्यिक विमानों को प्रभावित करने वाली "स्पूफिंग" की पहली घटना भी सामने आई थी। उन्होंने कहा कि एक रिपोर्ट में कहा गया है कि हवाई क्षेत्र की सुरक्षा धीरे-धीरे खराब हो रही है। उन्होंने कहा कि वैसे दक्षिण कोरिया के लिए कोई आधिकारिक हवाई क्षेत्र चेतावनी नहीं दी गयी है लेकिन बताया जा रहा है कि जोखिम की स्थिति गंभीर होती जा रही है। उन्होंने कहा कि दक्षिण कोरिया के परिवहन मंत्रालय ने इस बारे में कहा है कि उसकी सेना, हवाई यातायात नियंत्रण प्राधिकरण और एयरलाइंस 24 घंटे निगरानी और संचार प्रणाली बनाए रखते हैं। उन्होंने कहा कि एक सैन्य प्रवक्ता ने अधिक विवरण दिए बिना कहा, "दक्षिण कोरियाई सेना दिन-रात निगरानी संसाधनों का उपयोग करके इन गुब्बारों का पता लगाती है।"


ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि गुब्बारों ने क्षेत्र में उड़ान को "काफी जटिल" बना दिया है। उन्होंने कहा कि उत्तर कोरिया से लगभग 40 किमी (25 मील) दूर, दुनिया के पांचवें सबसे व्यस्त अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे और एक महत्वपूर्ण कार्गो केंद्र इंचियोन में बैलून उड़ानों ने कई बार परिचालन बंद करवाने की नौबत भी लाई है। उन्होंने कहा कि दक्षिण कोरिया इस चुनौती से निबटने की तैयारी कर रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसी रिपोर्टें हैं कि दक्षिणी कोरिया की एयरलाइन अतिरिक्त ईंधन का इंतजाम करके रखती हैं ताकि जरूरत पड़ने पर विमान अधिक समय तक ऊपर रह सकें या वैकल्पिक हवाई अड्डों की ओर जा सकें। उन्होंने कहा कि इसके अलावा वाशिंगटन स्थित सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज के एयरोस्पेस सुरक्षा परियोजना निदेशक कारी बिंगन ने हाल ही में कहा था कि जिस तरह जीपीएस में दखल दिया जा रहा है उससे पायलट अपने रास्ते से भटक सकते हैं। उन्होंने कहा कि दक्षिण कोरिया की सरकार ने भी जानकारी दी है कि 29 मई से 2 जून के बीच लगभग 500 विमानों और सैंकड़ों जहाजों में जीपीएस संबंधी समस्याएं आईं। उसने इस संबंध में संयुक्त राष्ट्र विमानन निकाय आईसीएओ से शिकायत भी की, जिसने उत्तर कोरिया को चेतावनी दी।

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ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि स्विस कंपनी SkAI ने भी इस बारे में कहा है कि उत्तर कोरिया से दक्षिण में जीपीएस व्यवधान एक दशक से अधिक समय से हो रहा है, लेकिन स्पूफिंग नया प्रतीत होता है। उन्होंने कहा कि सह-संस्थापक बेनोइट फिगुएट का हाल ही में बयान सामने आया था कि SkAI ने 29 मई से 2 जून के बीच दक्षिण कोरियाई हवाई क्षेत्र में स्पूफिंग का पता लगाया, जिससे दर्जनों विमान प्रभावित हुए। उन्होंने कहा कि कुछ प्रभावित हवाई जहाज काफी कम ऊंचाई पर उड़ रहे थे। उन्होंने कहा कि वैसे वैश्विक स्तर पर जीपीएस स्पूफिंग से कोई बड़ी विमानन दुर्घटना नहीं जुड़ी है, लेकिन यूरोप से दुबई के लिए उड़ान भरने वाला एक बिजनेस जेट सितंबर 2023 में बिना मंजूरी के ईरानी हवाई क्षेत्र में प्रवेश कर गया था। उन्होंने कहा कि यह भी याद रखना चाहिए कि उत्तर कोरिया ने पिछले साल कहा था कि वह उसके हवाई क्षेत्र में प्रवेश करने वाली किसी भी टोही उड़ान को मार गिराएगा। उन्होंने कहा कि यदि उत्तर कोरिया की शरारत के चलते कोई विमान भटक कर उसके क्षेत्र में आया तो वह उसे मार गिरा सकता है।


ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि अधिकांश एयरलाइंस उत्तर कोरियाई हवाई क्षेत्र से बचती हैं। उन्होंने कहा कि अमेरिकी संघीय उड्डयन प्रशासन ने बैलिस्टिक मिसाइल परीक्षणों, वायु रक्षा क्षमताओं और संभावित इलेक्ट्रॉनिक युद्ध सहित अन्य कारणों से उत्तर कोरिया हवाई क्षेत्र में उड़ानों पर प्रतिबंध लगा दिया है।

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