By नीरज कुमार दुबे | Sep 20, 2022
कोलकाता। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कुछ समय पहले कहा था कि आरएसएस में अच्छे लोग भी हैं। अब उन्होंने कहा है कि ईडी और सीबीआई के दुरुपयोग के पीछे प्रधानमंत्री का हाथ नहीं है। उनके इस बयान के अलग-अलग मायने निकाले जा रहे हैं। सवाल उठ रहा है कि जब कई विपक्षी पार्टियों के नेता ईडी या सीबीआई की कार्रवाई को लेकर सीधे प्रधानमंत्री पर हमला बोल रहे हैं तो ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री के प्रति नरम रुख क्यों अख्तियार कर लिया है?
हम आपको बता दें कि ममता बनर्जी ने राज्य विधानसभा में दिये गये अपने महत्वपूर्ण बयान में कहा है कि उन्हें नहीं लगता कि राज्य में केंद्रीय एजेंसियों की कथित ज्यादतियों के पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हाथ है। वर्ष 2014 से नरेंद्र मोदी सरकार की घोर आलोचक रहीं ममता बनर्जी ने आरोप लगाया है कि भाजपा के नेताओं का एक तबका अपने हित साधने के लिए एजेंसियों का दुरुपयोग कर रहा है। ममता बनर्जी केंद्रीय जांच एजेंसियों की कथित "ज्यादतियों" के खिलाफ विधानसभा में एक प्रस्ताव पर बोल रही थीं। इस दोरान उन्होंने प्रधानमंत्री से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि केंद्र सरकार का एजेंडा और उनकी पार्टी के हित आपस में न मिलें।
तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी ने कहा, ‘‘वर्तमान केंद्र सरकार तानाशाहीपूर्ण तरीके से व्यवहार कर रही है। यह प्रस्ताव किसी खास के खिलाफ नहीं है, बल्कि केंद्रीय एजेंसियों के पक्षपातपूर्ण कामकाज के खिलाफ है।’’ ममता बनर्जी ने कहा, "हर दिन, भाजपा नेताओं द्वारा विपक्षी दलों के नेताओं को सीबीआई और ईडी से गिरफ्तार कराने की धमकी दी जा रही है। क्या केंद्रीय एजेंसियों को देश में इस तरह से काम करना चाहिए?'' उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि इसके पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं, लेकिन कुछ भाजपा नेता हैं जो अपने हितों के लिए सीबीआई और ईडी का दुरुपयोग कर रहे हैं। ममता बनर्जी ने कहा कि सीबीआई, जो "प्रधानमंत्री कार्यालय को रिपोर्ट करती थी, अब वह केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकार क्षेत्र में है।'' यह कह कर ममता बनर्जी ने एक तरह से गृहमंत्री अमित शाह पर निशाना साध दिया है। हम आपको बता दें कि ममता बनर्जी का यह बयान ऐसे समय आया है जब सीबीआई और ईडी जैसी केंद्रीय एजेंसियां पश्चिम बंगाल में कई मामलों की जांच कर रही हैं। इन मामलों में तृणमूल कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता आरोपी हैं। इनमें से कई आरोपी तो जेल में भी हैं।
बहरहाल, ममता बनर्जी के इस बयान पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी सामने आ रही हैं। ममता बनर्जी की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने कहा, "तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के बीच मौन समझ खुले में आ गयी है। यह किसी व्यक्ति के खिलाफ नहीं, बल्कि एक विचारधारा के खिलाफ लड़ाई है।'' उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस शुरू से ही विपक्षी खेमे की सबसे कमजोर कड़ी रही है। उधर, माकपा के प्रदेश सचिव मोहम्मद सलीम ने कहा है कि विरोधी खेमे में खलबली मचाना ममता बनर्जी की 'पुरानी तरकीब' है। वहीं विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने दावा किया है कि मुख्यमंत्री बनर्जी प्रधानमंत्री की प्रशंसा करके और पार्टी के अन्य नेताओं पर आरोप लगाकर भाजपा में दरार डालने की कोशिश कर रही हैं। उन्होंने कहा, "भ्रष्टाचार के मामलों में अपने नेताओं की गिरफ्तारी के बाद से तृणमूल कांग्रेस पूरी तरह से अस्त-व्यस्त है। वे अब एक स्वतंत्र एजेंसी को बदनाम करना चाहते हैं।'' शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि प्रधानमंत्री भ्रष्टाचार के प्रति ‘कतई बर्दाश्त नहीं’ की नीति रखते हैं। तृणमूल कांग्रेस अपने पापों से बच नहीं सकती।" वहीं पश्चिम बंगाल भाजपा प्रभारी अमित मालवीय ने कहा है कि भाजपा या प्रधानमंत्री को ममता बनर्जी से किसी प्रकार की मान्यता की आवश्यकता नहीं है। अमित मालवीय ने ट्वीट किया है कि ममता बनर्जी की पूरी सरकार, उसके शीर्ष मंत्री, पार्टी पदाधिकारी केंद्रीय एजेंसियों के रडार पर इसलिए है क्योंकि अदालतों ने जांच का आदेश दिया था। उन्हें लूट का हिसाब देना ही होगा।