By अनन्या मिश्रा | Jan 29, 2024
हमारे देश में हाथों के सौंदर्य में चार चांद लगाने के लिए चूड़ियों का इस्तेमाल किया जाता है। अक्सर शुभ अवसर पर न सिर्फ महिलाएं बल्कि लड़कियां भी इनको पहनती हैं। वहीं यह दुल्हन के सोलह श्रृ्ंगार में भी शामिल की जाती हैं। आप यह भी कह सकते हैं कि चूड़ियों के बिना महिलाओं का श्रृंगार अधूरा माना जाता है। कई विशेष अवसरों पर महिलाएं व लड़कियां अपने आउटफिट के हिसाब से चूड़ियों को स्टाइल में शामिल करती हैं। वहीं ज्योतिष में भी इन चूड़ियों का विशेष महत्व माना जाता है।
परंपरागत तौर पर पहले सिर्फ शादीशुदा महिलाएं अपने रोजमर्रा के परिधानों के साथ चूड़ियों को श्रृंगार के तौर पर जोड़ती थीं। वहीं आज के समय में यह किसी भी लड़की के सौंदर्य का हिस्सा बन चुकी हैं। वहीं जब बात कांच की चूड़ियों की हो, तो यह विवाहित महिलाओं का एक अनिवार्य श्रृंगार होता है। आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको कांच की चूड़ियों का महत्व बताने जा रहे हैं। आइए जानते हैं कि कांच की चूड़ियों को विवाहित महिलाओं के सुहाग की निशानी के तौर क्यों माना जाता है।
वैवाहिक महत्व
इसके साथ ही विवाहित महिलाओं के लिए चूड़ियों का विशेष महत्व होता है। पुराने समय से ही नवविवाहिता के हाथों को सोने व कांच की चूड़ियों से सजाया जाता रहा है। वहीं चूड़ियां पहनाना एक रस्म के रूप में भी होता है। शादी के दौरान दुल्हन के सोलह श्रृंगार में कांच की चूड़ियों को शामिल किया जाता है। मान्यता के अनुसार, आप भले ही देश के किसी भी हिस्से में क्यों न रहते हों, लेकिन शादी के बाद महिलाओं को कांच की चूड़ियां पहनना जरूरी होता है। विवाह में चूड़ियों को प्रेम, सुरक्षा और भाग्य का प्रतीक माना जाता है। विवाहित स्त्री को चूड़ियां सौभाग्य का आशीर्वाद प्रदान करती हैं।
ज्योतिष महत्व
भारत देश में विवाहित और अविवाहित दोनों ही स्त्रियां चूड़ियां पहनती हैं। वहीं शादीशुदा महिलाओं के लिए कांच की चूड़ी पहनना जरूरी माना जाता है। ज्योतिष के मुताबिक यदि विवाहित महिला कांच की चूड़ियां पहनती है, तो वह सकारात्मक ऊर्जा को अपनी ओर आकर्षिक करती हैं। वहीं चूड़ियां न पहनने वाली महिलाओं के आसपास नकारात्मक ऊर्जा का वास अधिक होता है।
वहीं मान्यता के अनुसार, पति की सेहत के लिए भी कांच की चूड़ियां पहनना शुभ माना जाता है। कांच की चूड़ियों को सुहाग की निशानी के रूप में भी देखा जाता है। इस तरह की चूड़ियां पहनने का धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों तरह के महत्व होते हैं। क्योंकि चूड़ियां गोलाकार होती हैं, इसलिए सुहागिन महिलाओं द्वारा इसको पहनने पर उनके अंदर सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।
चूड़ियों का कंपन
आपको बता दें कि चूड़ियों से निकलने वाला कंपन भावनाओं को कंट्रोल करने और सकारात्मक ऊर्जा को उत्पन्न करने में सहायता करता है। वहीं जो महिलाएं चूड़ियां नहीं पहनती हैं, वह अपने जीवन में नकारात्मकता को न्योता देती हैं। वहीं चूड़ियों के आपस में टकराने से निकलने वाली ध्वनि व कंपन सकारात्मकता को बढ़ावा देता है और यह घर के लिए शुभ माना जाता है। वहीं चूड़ियों की पहनने के दौरान इनकी संख्या का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए।
जानिए विभिन्न रंगों की कांच की चूड़ियों का महत्व
विशेष रूप से लाल रंग की चूड़ियों को ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। इस रंग की चूड़ियों को धारण करने से शरीर की ऊर्जा को कंट्रोल करने में सहायता मिलती है।
वहीं हरे रंग की कांच की चूड़ियां सौभाग्य-समृद्धि का प्रतीक मानी जाती हैं। यदि शादीशुदा महिला हरे रंग की चूड़ियां पहनती है तो घर में सौभाग्य बना रहता है और घर की तमाम समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है।
पीली कांच की चूड़ियां खुशी का प्रतीक होती हैं। विवाहित स्त्रियों द्वारा इस रंग की चूड़ियां पहनने से वह अपने आसपास खुशियां बिखेरती हैं। साथ ही यह समृद्धि का भी संकेत देती हैं।
नारंगी रंग की चूड़ियां सफलता का प्रतीक होती हैं। इस रंग की चूड़ियों को पहनने से सफलता का आशीर्वाद प्राप्त होता है।