By अभिनय आकाश | Apr 03, 2025
सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी की राज्य विधानसभा में की गई टिप्पणी को लेकर नाराजगी जताई है। रेड्डी ने कहा था कि विधायकों के पाला बदलने पर भी राज्य में कोई उपचुनाव नहीं होगा। न्यायमूर्ति बी आर गवई ने विधानसभा अध्यक्ष की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी से कहा आपके माननीय मुख्यमंत्री दसवीं अनुसूची का मज़ाक उड़ा रहे हैं। दसवीं अनुसूची दलबदल विरोधी कानून से संबंधित है। सत्तारूढ़ कांग्रेस में शामिल होने वाले पार्टी विधायकों की अयोग्यता याचिकाओं पर निर्णय लेने में तेलंगाना अध्यक्ष द्वारा की गई देरी के खिलाफ भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के विधायकों की याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। न्यायमूर्ति गवई दो न्यायाधीशों वाली पीठ की अध्यक्षता कर रहे थे।
उन्होंने यह टिप्पणी बीआरएस विधायकों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सी आर्यमा सुंदरम द्वारा कथित बयान का हवाला दिए जाने के बाद की। सुंदरम ने मुख्यमंत्री के हवाले से कहा कि माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मैं सदस्यों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि उन्हें उपचुनावों के बारे में चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। कोई उपचुनाव नहीं होगा। भले ही वे (बीआरएस) अपनी सीटों के लिए उपचुनाव चाहते हों, लेकिन कोई उपचुनाव नहीं होगा। भले ही उनके सदस्य पक्ष बदल लें, लेकिन उपचुनाव नहीं होगा। रोहतगी ने पीठ से कहा कि उन्हें नहीं पता कि यह बयान किस संदर्भ में दिया गया था और उन्होंने कहा कि अगर बीआरएस विधायकों को कोई शिकायत है तो उन्हें आवेदन दाखिल करना चाहिए। उन्होंने कहा कि वह मुख्यमंत्री की ओर से पेश नहीं हो रहे हैं। न्यायमूर्ति गवई ने उन्हें याद दिलाया कि वह मुख्यमंत्री का प्रतिनिधित्व करते हुए एक अन्य मामले में पेश हुए थे।
जाहिर है, यह संदर्भ रेड्डी के खिलाफ 2015 के कैश-फॉर-वोट मामले में सुनवाई को तेलंगाना से भोपाल, मध्य प्रदेश में स्थानांतरित करने की मांग करने वाली याचिका पर पिछले साल अगस्त में हुई सुनवाई से संबंधित था। तब अदालत को बताया गया कि रेड्डी ने दिल्ली आबकारी नीति घोटाला मामले में बीआरएस नेता के कविता को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जमानत दिए जाने पर टिप्पणी करते हुए, "बीआरएस और भाजपा के बीच सौदेबाजी" का सुझाव दिया था। सर्वोच्च न्यायालय ने इसकी आलोचना की, जिसके बाद रोहतगी ने माफ़ी मांगी।