By नीरज कुमार दुबे | Dec 31, 2021
चीन को बैठे-बैठे कुछ भी सूझ जाता है। भारत विरोध में वह इतना अंधा हो चुका है कि कभी पूर्वी लद्दाख तो कभी अरुणाचल में हिमाकत करने की कोशिश करता है लेकिन हर बार उसे मुँह की खानी पड़ती है। सैन्य और राजनयिक मोर्चों पर भारत से पलटवार झेलने के बाद अब चीनी आकाओं ने बीजिंग में बैठे-बैठे नये फरमान निकाल कर अपना अहम संतुष्ट करने की कोशिश की लेकिन अपनी इस कोशिश के चलते वह अपनी जगहँसाई करवा बैठे। दरअसल चीन ने भारत के पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश में 15 और स्थानों के लिए चीनी अक्षरों, तिब्बती और रोमन वर्णमाला के नामों की घोषणा की है। जिस पर भारत ने पलटवार करते हुए कहा है कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है और नाम गढ़ लेने से यह तथ्य नहीं बदलेगा।
हम आपको याद दिला दें कि चीन दावा करता है कि अरुणाचल प्रदेश दक्षिण तिब्बत है लेकिन भारत सहित पूरी दुनिया जानती और मानती है कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है। जहां तक चीनी हरकत की बात है तो आपको बता दें कि उसके सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स की खबर में कहा गया है कि चीन के नागरिक मामलों के मंत्रालय ने घोषणा की है कि उसने जांगनान, (हम आपको बता दें कि चीनी भाषा में अरुणाचल प्रदेश को जांगनान कहा जाता है) में 15 स्थानों के नामों को चीनी अक्षरों, तिब्बती और रोमन वर्णमाला में मानकीकृत किया है।
खबर में कहा गया कि यह चीनी मंत्रिमंडल ‘स्टेट काउंसिल’ द्वारा भौगोलिक नामों पर जारी नियमों के अनुसार है। खबर में कहा गया है कि 15 स्थानों के आधिकारिक नामों, जिन्हें सटीक देशांतर और अक्षांश दिया गया है, उनमें आठ आवासीय स्थान, चार पहाड़, दो नदियां और एक पहाड़ी दर्रा हैं। चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश में स्थानों के मानकीकृत नामों का यह दूसरा समूह है। छह स्थानों के मानकीकृत नाम इससे पहले 2017 में जारी किए गए थे।
ग्लोबल टाइम्स की खबर के मुताबिक चीन ने जिन आठ स्थानों के नाम को मानकीकृत किया है उनमें शन्नान क्षेत्र के कोना काउंटी में सेंगकेजोंग और दागलुंगजोंग, न्यिंगची के मेडोग काउंडी में मनीगांग, डुडिंग और मिगपेन, न्यिंगची के जायू काउंटी के गोलिंग, डांगा और शन्नान प्रीफेक्टर के लुंझे काउंटी का मेजाग शामिल हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि इनमें चार पहाड़ वामोरी, डेउ री, लुंझुब री और कुनमिंगशिंगजे फेंग शामिल हैं। जिन दो नदियों के नाम मानकीकृत किए गए हैं वे शेन्योगमो ही और डुलैन ही हैं तथा कोना काउंटी के पहाड़ी दर्रे का नाम से ला दिया गया है। खबर में बीजिंग के चीन तिब्बत विज्ञान अनुसंधान केंद्र के विशेषज्ञ बताए गए लियान शिंगमिल को उद्धृत करते हुए दावा किया गया है कि यह घोषणा सैंकड़ों सालों से अस्तित्व रखने वाले स्थानों के नाम के राष्ट्रीय सर्वे का हिस्सा हैं। चीन ने कहा है कि यह एक वैध कदम है और उन्हें मानकीकृत नाम देना चीन की संप्रभुता है। चीन की ओर से यह भी कहा गया है कि आने वाले समय में क्षेत्र में और स्थानों के मानकीकृत नामों की घोषणा की जाएगी।
दूसरी ओर, भारत ने चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश के 15 स्थानों के नाम बदलने के कदम को स्पष्ट रूप से खारिज किया है और जोर देकर कहा है कि यह राज्य हमेशा से भारत का अभिन्न अंग रहा है और हमेशा रहेगा क्योंकि 'गढ़े' गए नामों से यह तथ्य नहीं बदलेगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, 'हमने इस तरह की रिपोर्ट देखी है। ऐसा पहली बार नहीं है जब चीन ने अरुणाचल प्रदेश में स्थानों के नाम बदलने का प्रयास किया है। चीन ने अप्रैल 2017 में भी इस तरह से नाम बदलने की कोशिश की थी।’’ उन्होंने कहा, 'अरुणाचल प्रदेश सदैव भारत का अभिन्न अंग था और हमेशा रहेगा। अरुणाचल प्रदेश में स्थानों के नाम गढ़ने से यह तथ्य नहीं बदलेगा।'
हम आपको एक बार फिर बता दें कि चीन अरुणाचल प्रदेश पर दक्षिण तिब्बत के रूप में दावा करता है जिसे भारतीय विदेश मंत्रालय ने हमेशा दृढ़ता से खारिज किया है और उसका कहना है कि यह राज्य “भारत का अविभाज्य हिस्सा” है। हालांकि अपने दावे की पुष्टि के लिए चीन शीर्ष भारतीय नेताओं और अधिकारियों के अरुणाचल प्रदेश के दौरे का नियमित रूप से विरोध करता है लेकिन भारत इस विरोध को सदा खारिज करता रहा है। उल्लेखनीय है कि भारत और चीन सीमा पर 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) साझा करते हैं जिसे लेकर दोनों के बीच विवाद है।
बहरहाल, अब आप ही बताइये क्या किसी देश को हक है कि वह किसी दूसरे देश के किसी भूभाग का नाम बदल दे? नहीं ना। क्या कोई देश किसी अन्य देश का नया नक्शा जारी कर वहां के भूभाग को अपना बता दे तो उसे सही माना जायेगा? यदि कोई ऐसा करे तो उसे सचमुच पागल या सनकी ही कहा जायेगा। देखना होगा कि खीझ से भरा हुआ चीन सनकीपने में और क्या-क्या अजीबोगरीब फैसले करता है।
-नीरज कुमार दुबे