By अंकित सिंह | Sep 09, 2024
प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास साप्ताहिक कार्यक्रम चाय पर समीक्षा में इस सप्ताह जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव और शिमला मस्जिद प्रकरण पर चर्चा हुई। इस दौरान प्रभासाक्षी संपादक ने कहा कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव 2024 के लिए बीजेपी संकल्प पत्र अन्य दलों से कई मायनों में अलग है। सबसे पहले तो भाजपा ने किसी अलगाववादी या बंदी को रिहा करने का वादा नहीं किया है। साथ ही अन्य दलों की तरह मुफ्त की सौगातें देने का वादा करने की बजाय जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए एक रूपरेखा पेश की गयी है।
प्रभासाक्षी के संपादक नीरज कुमार दुबे ने कहा कि यह जम्मू कश्मीर का ऐसा पहला चुनाव है जो एक झंडे के नीचे हो रहा है। पहले दो संविधान, दो झंडा हुआ करते थे लेकिन अब सिर्फ एक मात्र तिरंगे के तहत यह चुनाव होने जा रहा है। यह अपने आप में बहुत बड़ी बात है। इस बार के चुनाव में आम लोगों की दिलचस्पी जबरदस्त तरीके से दिखाई दे रही है। लोगों में किसी भी प्रकार का भय नहीं है। लोग लगातार चुनावी सभा में भाग ले रहे हैं। नुक्कड़ सभाएं आयोजित की जा रही हैं। जम्मू कश्मीर में घोषणा पत्र जारी हो रहे हैं। लोगों से वायदे किए जा रहे हैं। किसी को कोई डर नहीं है। कहीं से किसी भी प्रकार के हमले का डर नहीं है। इसका मतलब साफ है कि अब देश के अन्य भागों की तरह ही जम्मू कश्मीर की स्थितियां है।
नीरज दुबे ने कहा कि किसी प्रकार का चुनाव का बॉयकाट नहीं किया जा रहा है। बंद को लेकर कैलेंडर नहीं जारी किया जा रहा है, यहां तक की अलगाववादी जो लोग थे वह भी अब चुनावी प्रक्रिया में भाग ले रहे हैं। इसका मतलब है कि जम्मू कश्मीर बड़े बदलाव के दौड़ से गुजर रहा है। विकास की अलग-अलग धाराए बहने लगी हैं। उन्होंने कहा कि इसका मतलब साफ है कि समस्याओं का समाधान बंदूक से नहीं बल्कि बातचीत और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग लेखर ही हो सकता है। पहले लोगों को डराया जाता था, लोगों को वोट न करने की बात कही जाती थी। लेकिन इस बार ऐसा नहीं है। पहले लाल चौक पर परिस्थितियां भयानक होती थी। लेकिन अब वहां झंडा लहरा रहा है। राजनीतिक दल जबरदस्त तरीके से उत्साहित होकर वहां से गुजर रहे हैं। निडरता, खुलेपन और स्वतंत्र माहौल में यह चुनाव हो रहा है।
प्रभासाक्षी संपादक ने कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों से लगातार सरकारी जमीन पर कब्जा कर वहां मस्जिद, मदरसा, चर्च या कब्रिस्तान बनाने के समाचार सामने आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि देखा जाये तो सिर्फ सरकारी जमीन पर कब्जा नहीं किया जा रहा है बल्कि सरकारी जमीन पर अवैध इमारत बना कर वहां से देशविरोधी गतिविधियां संचालित करने का अपराध भी किया जा रहा है। प्रयागराज प्रकरण इस संदर्भ में ताजा उदाहरण के तौर पर लिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सवाल उठता है कि कौन कर रहा है यह सब? सवाल उठता है कि जो लोग ऐसा कर रहे हैं उनकी मंशा क्या है? सवाल यह भी उठता है कि सरकारी जमीन पर अवैध निर्माण करने वालों को सरकारें रोक क्यों नहीं पा रही हैं?