By अंकित सिंह | Sep 28, 2023
भारतीय राजनीतिक परिदृश्य हमेशा चर्चा में रहता है। इसमें एक महत्वपूर्ण पहलू विधानसभा चुनावों से पहले राजनीतिक दलों द्वारा अपने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवारों का खुलासा करना भी है। भारत की दो सबसे बड़ी पार्टियों, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और कांग्रेस को बार-बार इस दुविधा का सामना करना पड़ता है कि चुनाव से पहले अपने सीएम चेहरों की घोषणा की जाए या नहीं। इस दुविधा का एक बड़ा कारण प्रत्येक पार्टी के भीतर दावेदारों की होड़ है। किसी विशेष उम्मीदवार की घोषणा से आंतरिक गुटबाजी बढ़ सकता है और पार्टी के भीतर फूट पैदा हो सकती है। यह मतदाताओं के बीच नकारात्मक छवि पेश कर सकता है जिससे की पार्टी के लिए चुनाव में मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं।
2024 के लोकसभा चुनाव से पहले इस साल नवंबर-दिसंबर में पांच महत्वपूर्ण राज्यों के विधानसभा चुनाव होने हैं। इस हिंदी पट्टी मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधी लड़ाई है। इन तीन राज्यों में से राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस और मध्य प्रदेश में बीजेपी सत्ता में है। हाल ही में, कांग्रेस के दिग्गज नेता कमलनाथ ने भाजपा को आगामी मध्य प्रदेश चुनावों के लिए अपने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा करने की चुनौती दी और सवाल किया कि भगवा पार्टी ऐसा करने से क्यों हिचकिचा रही है। अमित शाह ने भोपाल में कहा कि मौजूदा समय में शिवराज सिंह चौहान पार्टी के मुख्यमंत्री हैं। आगे क्या होगा यह पार्टी तय करेगी। आप (एक पत्रकार) हमारी पार्टी का काम क्यों करने लगे? यही हमारी पार्टी का काम है।
दोनों प्रमुख दल, भाजपा और कांग्रेस, राज्यों में विधानसभा चुनावों से पहले मुख्यमंत्री पद के चेहरे के प्रक्षेपण से बचते हुए देखे गए हैं। कांग्रेस आमतौर पर उन राज्यों में सीएम उम्मीदवार घोषित करने से बचती है जहां पार्टी सत्ता में नहीं है। नतीजतन, 2022 और 2023 में 11 विधानसभा चुनाव हुए, जिनमें कांग्रेस ने चुनाव से पहले कोई सीएम उम्मीदवार पेश नहीं किया। 2023 में देखें तो भाजपा ने जहां त्रिपुरा और नगालैंड में चेहरे का खुलासा किया था तो वहीं कांग्रेस खामोश रही थी। मेघालय और कर्नाटक में दोनों ही दलों ने अपने मुख्यमंत्री चेहरे को आगे नहीं किया था। 2022 में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और गुजरात में भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री चेहरा दिया गया था जबकि पंजाब, मणिपुर और हिमाचल प्रदेश में ऐसा नहीं था। वहीं, कांग्रेस ने इनमें से किसी राज्य में भी मुख्यमंत्री उम्मीदवार नहीं दिए थे।