By अनुराग गुप्ता | Aug 19, 2021
काबुल। अफगानिस्तान में फिर से तालिबान की वापसी के बाद अमेरिकी समर्थक अशरफ गनी सरकार गिर गई। राष्ट्रपति अशरफ गनी संयुक्त राष्ट्र अमीरात चले गए। राष्ट्रपति भवन पर तालिबानी चरमपंथियों ने कब्जा कर लिया। जिसके बाद उपराष्ट्रपति अमरूल्ला सालेह ने खुद को अफगानिस्तान का कार्यवाहक राष्ट्रपति घोषित किया। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि अफगानिस्तान का संविधान उन्हें ऐसा करने की शक्ति देता है।
अमरूल्ला सालेह ने दावा किया कि सप्ताहांत में काबुल में तालिबान के प्रवेश करने के साथ राष्ट्रपति अशरफ गनी के देश छोड़ कर चले जाने और उनका कोई अता-पता नहीं चलने के बाद उपराष्ट्रपति अब देश के वैध कार्यवाहक राष्ट्रपति हैं। उन्होंने कहा कि वह सभी नेताओं से संपर्क साध रहे हैं ताकि उनका समर्थन हासिल किया जा सके और सहमति बनाई जा सके।
साल 1972 में जन्में अमरूल्ला सालेह बचपन में ही तालिबानी विरोधी आंदोलन का हिस्सा बन गए थे। बचपन में ही अनाथ हो जाने वाले अमरूल्ला सालेह की बहन का तालिबानियों ने अपहरण कर लिया था और फिर बाद में उनकी हत्या कर दी थी। जिसके बाद अमरूल्ला सालेह का तालिबान को लेकर नजरिया बदल गया था और फिर तालिबानी विरोधी आंदोलन का हिस्सा बन गए थे।
अमरूल्ला सालेह की किस्मत उस वक्त बदल गई जब उन्होंने अमेरिका में हुए आतंकवादी हमले के बाद सीआईए की मदद की थी। उन्होंने सीआईए के लिए एसेट का काम किया था और फिर अफगानिस्तान में अमेरिकी समर्थक सरकार बनने के बाद उन्हें साल 2004 में वहां की खुफिया एजेंसी का प्रमुख बनाया गया था।
राष्ट्रपति हामिद करजई से उनकी कम बनती थी क्योंकि वो तालिबान से बात करने के हिमायती थे। जबकि अमरूल्ला सालेह तालिबान के खिलाफ एक बड़ा नेटवर्क तैयार करने में जुटे थे। लेकिन जून 2010 में आतंकवादी हमले के बाद उन्हें खुफिया एजेंसी के प्रमुख के पद से इस्तीफा दे दिया।आपको बता दें कि अमरूल्ला सालेह को पाकिस्तान का विरोधी माना जाता है। जब अफगानिस्तान में सोवियत संघ समर्पित सरकार थी तो उन्होंने अफगान बलों से दूरियां बना ली थी और मुजाहिद्दीन बलों में शामिल हो गए थे। इसके अलावा उन्होंने साल 1990 में गुरिल्ला कमांडर मसूद के साथ युद्ध लड़ा था।
अमरूल्ला सालेह साल 2004 से 2010 तक राष्ट्रीय सुरक्षा निदेशालय के प्रमुख के पद पर थे। जबकि साल 2018 और 2019 में आंतरिक मामलों के मंत्री रहे हैं। साल 2020 में उन्हें उपराष्ट्रपति बनाया गया था और अब उन्होंने अफगानिस्तान के संविधान का हवाला देते हुए खुद को कार्यकारी राष्ट्रपति नियुक्त कर दिया है।