कहां बिगड़ गई स्पीकर पद को लेकर बात? जानें राजनाथ और केसी वेणुगोपाल के बीच बैठक में क्या हुआ?

By अंकित सिंह | Jun 25, 2024

केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने 18वीं लोकसभा के लिए अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद के लिए आम सहमति बनाने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन सहित विपक्षी नेताओं से संपर्क किया है। यह कदम तब आया है जब भगवा पार्टी निचले सदन में प्रमुख पद बरकरार रखने के लिए हर संभव कोशिश कर रही थी। हालांकि, सहमति नहीं बन पाने की स्थिति में कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्ष ने मंगलवार को संसदीय परंपराओं के खिलाफ जाकर के सुरेश को लोकसभा अध्यक्ष चुनाव के लिए अपना उम्मीदवार बनाया। कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल और डीएमके के टीआर बालू ने अपने फैसले की घोषणा करने से कुछ मिनट पहले भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की थी। 

 

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बैठक के दौरान क्या हुआ?

केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह के अनुसार, दोनों नेताओं द्वारा राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के उम्मीदवार ओम बिरला को समर्थन देने के लिए राजनाथ सिंह के सामने पूर्व शर्त रखने के बाद आम सहमति की बातचीत टूट गई। उन्होंने कहा कि स्पीकर पद पर बात करने के लिए केसी वेणुगोपाल और टीआर बालू आये थे। उन्होंने रक्षा मंत्री से बात की। रक्षा मंत्री ने एनडीए की ओर से लोकसभा अध्यक्ष उम्मीदवार के बारे में जानकारी दी और समर्थन मांगा। वेणुगोपाल ने कहा कि डिप्टी स्पीकर का नाम स्वीकार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि रक्षा मंत्री ने कहा कि जब चुनाव आएगा तो हम मिल बैठेंगे और चर्चा करेंगे। वे अपनी शर्त पर अड़े रहे। 

 

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जदयू नेता ने आगे कहा कि शर्तों के आधार पर वो लोकतंत्र चलाना चाहते हैं, दबाव की राजनीति करना चाहते हैं। लोकतंत्र में ये काम नहीं करता। वहीं, टीडीपी नेता राम मोहन नायडू किंजरपु ने कहा कि शर्तें रखना अच्छी बात नहीं है। लोकतंत्र शर्तों पर नहीं चलता। और जहां तक ​​स्पीकर चुनाव की बात है तो एनडीए को जो करना चाहिए था, सबने किया। विशेषकर राजनाथ सिंह जी वरिष्ठ नेता होने के नाते सभी तक पहुंचे। उन्होंने विपक्ष के पास भी पहुंच कर कहा कि हम ओम बिड़ला जी का नाम प्रस्तावित कर रहे हैं, इसमें आपकी मदद की जरूरत है। इसलिए जब मदद की बारी आई तो उन्होंने शर्त रखी कि हम ऐसा तभी करेंगे जब आप हमें यह (उपाध्यक्ष पद) देंगे। सशर्त आधार पर स्पीकर को समर्थन देने की परंपरा कभी नहीं रही...वे इसमें भी राजनीति करना चाहते हैं।'

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