By अभिनय आकाश | Dec 27, 2024
तू इधर उधर की न बात कर ये बता की काफिला क्यों लुटा? मुझे रहज़नों से गिला नहीं तिरी रहबरी का सवाल है। लोकसभा में सुषमा स्वराज के सवाल का शायराना जबाव देते हुए मनमोहन सिंह ने कहा था कि माना कि तेरी दीद के क़ाबिल नहीं हूँ मैं। तू मेरा शौक़ देख मिरा इंतिज़ार देख। जिससे पूरे सदन में ठहाके लगने लगे। डॉ मनमोहन सिंह के इस अलग अंदाज को देखते हुए गंभीर हो चुके सदन का पूरा माहौल ही बदल गया, क्या पक्ष क्या विपक्ष, सभी सांसद ठहाके लगाकर हंसने लगे और हर किसी ने शांत रहने वाले दिग्गज का शायराना अंदाज देखा। उन पर तीखे वार कर रहीं सुषमा स्वराज के चेहरे पर भी मुस्कान छा गई और उन्होंने भी मनमोहन सिंह की इस शायरी पर जमकर ठहाके लगाए।
यूपीए-II (2009-2014) भ्रष्टाचार से घिरा हुआ था। कई लोगों के लिए यूपीए-2 भ्रष्टाचार का पर्याय है। 2जी, आदर्श, सीडब्ल्यूजी, कोलगेट और हालिया रेलगेट यूपीए-2 के कुछ सबसे बड़े घोटाले हैं। और इसके शीर्ष पर तत्कालीन प्रधान मंत्री - मनमोहन सिंह थे। इस कार्यकाल में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के बीच वैचारिक मतभेद को लेकर भी खूब चर्चा हुई थी। बावजूद इसके कि पार्टी प्रबंधक इससे इनकार कर रहे थे। विपक्ष में रही भाजपा ने जहां भ्रष्टाचार को लेकर सिंह सरकार को लगातार घेरा, वहीं उसने मनमोहन सिंह को तत्कालीन कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी की छत्रछाया में काम करने वाला 'अनिच्छुक' प्रधानमंत्री भी करार दिया।
प्रधानमंत्री ने लोकसभा में कोयला ब्लॉक आवंटन पर अपना बयान दिया लेकिन लोकसभा में भारी हंगामे के कारण वह अपना पूरा बयान नहीं पढ़ सके. कोयला घोटाले पर मनमोहन सिंह ने कहा, "अनियमितता के आरोप बेबुनियाद हैं क्योंकि सीएजी ने जो आंकड़े पेश किए हैं वो तथ्यों पर आधारित नहीं हैं. अगर अभी तक कोयला निकाला ही नहीं गया है तो नुकसान की बात कैसे की जा सकती है। तत्कालीन प्रधान मंत्री ने कहा कि सीएजी की गणना स्पष्ट रूप से विवादास्पद और तर्कपूर्ण है। उन्होंने कहा था कि मैं माननीय सांसदों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि मंत्रालय का प्रभारी होने के नाते मैं कहना चाहता हूं कि कोयला मंत्रालय ने जो भी निर्णय लिया है, मैं उसकी पूरी जिम्मेदारी लेता हूं।