By अभिनय आकाश | Jun 14, 2024
इटली की पीएम जार्जिया मेलोनी पर भारत की संस्कृति का खुमार दिखाने वाला वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। जिस तरह भारतीय संस्कृति में लोगों का स्वागत करने के लिए नमस्ते और नमस्कार किया जाता है। शिखर सम्मेलन में इटली की पीएम जॉर्जिया मेलोनी ने वैश्विक नेताओं का नमस्ते से स्वागत किया। उनका यह अंदाज पूरी दुनिया में वायरल हो गया है। कई यूजर्स ने इसको लेकर सवाल किया कि क्या जी 7 शिखर सम्मेलन के मेजबान ने मेहमानों के स्वागत के लिए मोदी तरीका अपनाया है। तथ्य यह है कि मेलोनी ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में हैशटैग #मेलोडी के साथ भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अपनी "दोस्ती" का वर्णन किया है, जिसने इंटरनेट पर हलचल मचा दी। हालांकि बहुत सारे लोगों को लग रहा होगा कि इटली के साथ भारत के संबंध अपने स्वर्णिम काल में है। उनके लिए बता दें कि इतिहास में भारत-इटली का गहरा संबंध रहा है। शताब्दी ईसा पूर्व में भारतीय सम्राट अशोक ने इटली सहित विश्व के विभिन्न हिस्सों में शांति और कल्याण का संदेश लेकर अपने दूत भेजे। 13वीं शताब्दी में इतालवी यात्री मार्को पोलो ने भारत का दौरा किया और जब उन्होंने भारतीयों को अपने चूल्हों और भट्टियों में कोयले का उपयोग करते देखा तो वह आश्चर्यचकित रह गए। उन्होंने कहा कि भारतीय और चीनी भी वस्तुओं को गर्म करने के लिए काले पत्थर जलाते हैं। लेकिन भारत-इटली संबंध का एक हालिया और अधिक गहन और निर्णायक पहलू भी है। जब सैकड़ों भारतीय सैनिकों ने इटली की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी थी।
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हुआ था
एडॉल्फ हिटलर के जर्मनी ने सितंबर 1943 में इटली पर कब्ज़ा कर लिया। जिससे मित्र देशों - ब्रिटेन, अमेरिका और यूएसएसआर को जवाबी हमला शुरू करना पड़ा। अंग्रेजों की कमान में तीन बेहतरीन चौथा, 8वां और 10वां इन्फैंट्री डिवीजन भारतीय पैदल सेना डिवीजन इतालवी मोर्चे पर पहुंचे। सबसे पहले 8वीं डिवीजन पहुंची लेकिन चौथी डिवीजन ने सबसे भीषण और महत्वपूर्ण लड़ाई लड़ी।
तीन इन्फैन्ट्री डिवीज़नों ने इतालवी अभियान में लिया हिस्सा
"ब्रिटिश मिलिट्री हिस्ट्री" नामक वेबसाइट के अनुसार भारतीय सेना के तीन इन्फैन्ट्री डिवीजनों ने इतालवी अभियान में भाग लिया। ये चौथे, आठवें और दसवें भारतीय डिवीजन थे। 8वाँ भारतीय इन्फैंट्री डिवीजन इटली में पहुँचने वाला देश का पहला डिवीज़न था जिसने वर्ष 1941 में अंग्रेज़ों द्वारा इराक और ईरान में हुए हमलों के समय कार्रवाई की। दूसरा आगमन चौथे भारतीय डिवीज़न का था जो दिसंबर 1943 में उत्तरी अफ्रीका से इटली आया था। वर्ष 1944 में इसे कैसीनो में तैनात किया गया था। तीसरा आगमन 10वें भारतीय डिवीजन का था जिसे वर्ष 1941 में अहमदनगर में गठित किया गया और वर्ष 1944 में यह इटली पहुंचा।
5 हजार से अधिक भारतीय जवानों ने प्राणों की आहुति दी
इस अभियान के दौरान कम से कम 5,782 भारतीय सैनिकों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी, जिनके पार्थिव शरीर आज भी इटली में 06 प्रमुख शहरों के 40 कब्रिस्तानों में दफन हैं। इटली को आजाद कराने के लिए दिए गए 20 में से 06 विक्टोरिया क्रॉस भारतीय सैनिकों को मिले थे। भारतीय सैनिकों के पार्थिव शरीर इटली के 06 प्रमुख शहरों कैसिनो, अरेज़ो, फ्लोरेंस, फोर्ली, संग्रो नदी और रिमिनी के 40 कब्रिस्तानों में दफन हैं। भारत के शहीदों का उल्लेख यूके स्थित कॉमनवेल्थ वॉर ग्रेव कमीशन बुकलेट में भी किया गया। कैसिनो युद्ध में शहीद 4,271 राष्ट्रमंडल सैनिकों के पार्थिव शरीर कब्रिस्तान में दफन हैं, जिनमें से 431 भारतीय सैनिक हैं। कब्रिस्तान के भीतर कैसिनो मेमोरियल खड़ा है, जो 4,000 से अधिक राष्ट्रमंडल सैनिकों की याद दिलाता है। इसके अलावा 1438 भारतीयों की कब्रों के बारे में पता नहीं है।