By नीरज कुमार दुबे | Jan 08, 2025
प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) से जानना चाहा कि ब्रह्मपुत्र पर बनने वाले बांध से भारत को क्या खतरा हो सकता है? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर एक बड़ा बांध बनाने की चीन की योजना वाकई चिंताजनक है हालांकि अभी इस परियोजना के संबंध में पूर्ण जानकारी सामने आना बाकी है। उन्होंने कहा कि चीन की ओर से अपनी योजना की घोषणा किए जाने के बाद भारत ने स्पष्ट कह दिया कि वह निगरानी जारी रखेगा और अपने हितों की रक्षा के लिए आवश्यक उपाय करेगा। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित बांध के प्रति अपनी पहली प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए नयी दिल्ली ने बीजिंग से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया है कि ब्रह्मपुत्र के ऊपरी इलाकों में गतिविधियों से नदी के प्रवाह के निचले क्षेत्रों में स्थित देशों को नुकसान नहीं पहुंचे।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध का वह वाकया याद कीजिये जब यूक्रेन में एक बड़ा बांध टूट गया था और उससे भारी तबाही हुई थी। उन्होंने कहा कि चीन जो बांध बना रहा है वह हमारे लिये एक वाटर बम की तरह होगा। उन्होंने कहा कि ऊँचाई पर बना बांध जब टूटेगा तो निचले इलाकों में कैसी तबाही आयेगी इसकी कल्पना सहज ही की जा सकती है। उन्होंने कहा कि जहां यह बांध बन रहा है वहां वैसे भी भूकंप आते ही रहते हैं। उन्होंने कहा कि मान लीजिये कि प्राकृतिक कारणों से या चीन की खराब मंशा से यह बांध टूटता है तो क्या होगा। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि चीन वाटर वार शुरू करने जा रहा है। उन्होंने कहा कि चीन एक ओर संबंध सुधारने का दिखावा करता है तो दूसरी ओर इस तरह की योजनाएं लाता है।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि आशंका जताई जा रही है कि बांध का निर्माण होने से अरुणाचल प्रदेश और असम में पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचेगा। उन्होंने कहा कि ब्रह्मपुत्र इन दो राज्यों से होकर बहती है। उन्होंने कहा कि नदी के प्रवाह के निचले क्षेत्रों में जल के उपयोग का अधिकार रखने वाले देश के रूप में भारत ने विशेषज्ञ स्तर के साथ-साथ कूटनीतिक माध्यम से चीनी पक्ष के समक्ष उसके क्षेत्र में नदियों पर बड़ी परियोजनाओं के बारे में अपने विचार और चिंताएं लगातार व्यक्त की हैं। उन्होंने कहा कि भारत ने चीनी पक्ष से आग्रह किया है कि ब्रह्मपुत्र के प्रवाह के निचले क्षेत्रों में स्थित देशों के हितों को नदी के प्रवाह के ऊपरी क्षेत्र में गतिविधियों से नुकसान नहीं पहुंचे।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि चीन ने गत वर्ष 25 दिसंबर को तिब्बत में भारत से लगी सीमा के निकट ब्रह्मपुत्र नदी पर विश्व का सबसे बड़ा बांध निर्मित करने की अपनी योजना की घोषणा की थी। उन्होंने कहा कि इस परियोजना पर 13.7 अरब अमेरिकी डॉलर की लागत आने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि यह परियोजना पारिस्थितिक रूप से नाजुक हिमालयी क्षेत्र में टेक्टोनिक प्लेट सीमा पर स्थित है, जहां अक्सर भूकंप आते रहते हैं। उन्होंने कहा कि बांध को हिमालय पर्वतमाला क्षेत्र के पारिस्थितिकी रूप से नाजुक क्षेत्र में बनाने की योजना है। उन्होंने कहा कि उपलब्ध विवरण के अनुसार, बांध हिमालय के एक बड़े खड्ड में बनाया जाएगा, जहां ब्रह्मपुत्र नदी अरुणाचल प्रदेश और फिर बांग्लादेश में प्रवाहित होने के लिए व्यापक रूप से ‘यू टर्न’ लेती है। उन्होंने कहा कि बांध संबंधी चीन की घोषणा ने भारत और बांग्लादेश के लिए चिंताएं पैदा की हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस मुद्दे पर कहा है कि सरकार तिब्बत में भारत की सीमा के निकट ब्रह्मपुत्र नदी पर एक विशाल बांध बनाने की चीन की योजना को लेकर सतर्क है।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि इस बांध के मुद्दे पर चीनी प्रतिक्रिया को देखें तो उसने तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर दुनिया का सबसे बड़ा बांध बनाने की अपनी योजना को लेकर कहा है कि प्रस्तावित परियोजना गहन वैज्ञानिक सत्यापन से गुजर चुकी है और नदी प्रवाह के निचले इलाकों में स्थित भारत और बांग्लादेश पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि चीनी विदेश मंत्रालय के नए प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने बताया है कि यारलुंग सांगपो नदी (ब्रह्मपुत्र नदी का तिब्बती नाम) के निचले क्षेत्र में चीन द्वारा किए जा रहे जलविद्युत परियोजना के निर्माण का गहन वैज्ञानिक सत्यापन किया गया है और इससे निचले हिस्से में स्थित देशों के पारिस्थितिकी पर्यावरण, भूविज्ञान और जल संसाधनों पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि जियाकुन ने कहा है कि यह कुछ हद तक आपदा की रोकथाम और जोखिम कम करने तथा जलवायु परिवर्तन से निपटने की दिशा में अनुकूल कदम होगा।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि भारत ने चीनी बांध पर अपनी चिंताएं सार्वजनिक तौर पर भी व्यक्त की हैं और भारत की यात्रा पर आए अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सुलिवन के साथ भारतीय अधिकारियों की वार्ता में भी इस मुद्दे पर चर्चा हुई थी। उन्होंने कहा कि दिल्ली के दौरे पर आए सुलिवन ने विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ बातचीत की और जो बाइडन प्रशासन के तहत पिछले चार वर्षों में भारत-अमेरिका वैश्विक रणनीतिक साझेदारी की प्रगति की व्यापक समीक्षा की, इसी दौरान चीनी बांध का मुद्दा भी उठा था।