Farmers protest: क्या है स्वामीनाथन आयोग का सिफारिशी हथियार, जो वक्त-वक्त पर देता रहता है किसान आंदोलन को धार

By अभिनय आकाश | Feb 15, 2024

किसानों के विरोध प्रदर्शन की पृष्ठभूमि में स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों की चर्चा एक बार फिर से तेज हो गई है। आयोग के एक सदस्य ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानून का समर्थन किया। पद्म भूषण से सम्मानित और स्वामीनाथन आयोग के सदस्य डॉ. आरबी सिंह ने कहा कि किसानों को उनकी फसल का सही दाम मिले इसके लिए देश में एमएसपी पर नया कानून बनाना जरूरी है ताकि आयोग की सिफारिशों को ठीक से लागू किया जा सके। सिंह ने कहा कि आयोग की सिफारिशों को देश में एक समान तरीके से लागू नहीं किया गया है। लेकिन स्वामीनाथन आयोग क्या है? इसने क्या सिफ़ारिश की? 

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क्यों किया गया स्वामीनाथन आयोग का गठन

स्वामीनाथन आयोग का गठन इसीलिए किया गया था क्योंकि किसानों की चिंता थी और ये तय करना था कि वो कौन से मुद्दे हैं जिस कारण किसान दुख में हैं। इस हद तक कि वो आत्महत्या भी कर रहे हैं। स्वामीनाथ आयोग की उन सिफारिशों को लेकर सरकार कहती है कि 200 सिफारिशों को लागू कर दिया गया है। लेकिन किसान कहते हैं कि अभी भी स्वामीनाथन आयोग कि साफरिशों को लागू नहीं किया गया है। 

एनसीएफ को कई मुद्दों पर गौर करने के लिए कहा गया 

समय के साथ सार्वभौमिक खाद्य सुरक्षा के लक्ष्य की ओर बढ़ने के लिए देश में खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए एक मध्यम अवधि की रणनीति

देश की प्रमुख कृषि प्रणालियों की उत्पादकता, लाभप्रदता और स्थिरता को बढ़ाना।

सभी किसानों के लिए ग्रामीण ऋण के प्रवाह में उल्लेखनीय वृद्धि हेतु नीतिगत सुधार।

शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों के किसानों के साथ-साथ पहाड़ी और तटीय क्षेत्रों के किसानों के लिए शुष्क भूमि खेती के लिए विशेष कार्यक्रम चलाना। 

कृषि वस्तुओं की गुणवत्ता और लागत प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाना ताकि उन्हें विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाया जा सके।

जब अंतरराष्ट्रीय कीमतें तेजी से गिरती हैं तो किसानों को आयात से बचाना।

टिकाऊ कृषि के लिए पारिस्थितिक नींव को प्रभावी ढंग से संरक्षित और सुधारने के लिए निर्वाचित स्थानीय निकायों को सशक्त बनाना।

पीआरएस इंडिया के अनुसार, आयोग ने दिसंबर 2004 से अक्टूबर 2006 तक पांच रिपोर्ट प्रस्तुत कीं।

पहली चार रिपोर्ट दिसंबर 2004, अगस्त 2005, दिसंबर 2005 और अप्रैल 2006 में प्रस्तुत की गईं।

पाँचवीं और अंतिम रिपोर्ट 4 अक्टूबर, 2006 को प्रस्तुत की गई।

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क्या हैं स्वामीनाथन आयोग की दी हुई सिफारिशें 

एमएस स्वामीनाथन को हरित क्रांति का जनक कहा जाता था। वो पेशे से एक जेनेटिक वैज्ञानिक थे। 2004 में सरकार ने कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए स्वामीनाथन की अध्यक्षता में किसान आयोग गठित किया। इस आयोग ने 2006 में अपनी रिपोर्ट पेश की। जिसमें भूमि सुधार, किसान आत्महत्या रोकने के समाधान, राज्य स्तरीय किसान कमीशन बनाने, सेहत और वृत्त बीमा पर सबसे ज्यादा जोर दिया। इसके अलावा एमएसपी को औसत लागत मूल्य से 50 प्रतिशत से अधिक रखने की सिफारिशें की। ताकी किसानों की आय बढ़े। किसानों के लिए जोखिम फंड बने और कम कीमत पर बीज के साथ महिला किसानों की क्रेडिट कार्ड बने। कृषि संबंधित जानकारियों के लिए ज्ञान चौपाल गांव में ही हो। 

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