By अंकित सिंह | Aug 25, 2020
देश की 135 साल पुरानी पार्टी कांग्रेस फिलहाल बिखराव की ओर बढ़ रही है। कांग्रेस में बगावत भी दिख रहा है। 24 अगस्त को सीडब्ल्यूसी की मीटिंग में जो कुछ भी हुआ और पार्टी के लिए शायद अच्छी स्थिति को पैदा नहीं कर सकता। चिट्ठी के बाद नेतृत्व में बदलाव पर उठे बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। बैठकों में नेता एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं, गरमा गरमी हो रही है। हालांकि कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में सोनिया गांधी को अंतरिम अध्यक्ष बनाए रखने पर सहमति बन गई। लेकिन इससे पहले जो कुछ भी हुआ उसकी वजह से पार्टी की खूब किरकिरी हो रही है। पर आखिर यह हुआ क्यों? जिस कांग्रेस पार्टी में गांधी परिवार की तूती बोलती थी आज उसी के खिलाफ नेता चिट्ठी क्यों लिख रहे हैं? इतना ही नहीं नेता खुलकर मीडिया के सामने अपनी बात पर रख रहे हैं।
कांग्रेस में मचे सियासी संकट का विशुद्ध रूप से देखें तो यह कहा जा सकता है कि वर्तमान की समस्या ओल्ड गार्ड बनाम टीम राहुल की वजह से है। ओल्ड गार्ड यह आरोप लगाता रहा है कि टीम राहुल समानांतर रूप से पार्टी को चलाती है। इन नेताओं का यह भी आरोप रहता है कि बड़े बड़े फैसलों पर टीम राहुल बिना संगठन के सीनियर नेताओं की सहमति से कई फैसले ले लेती है। पार्टी नेताओं का कहना है कि पहले छोटे-मोटे मसलों पर भी टीम राहुल संगठन से बातचीत करते थी लेकिन अब वह नहीं हो रहा है। वहीं, इस मसले पर टीम राहुल यह कहती है कि पार्टी के बड़े नेता अब हर फैसले पर अड़ंगा लगाती है। ओल्ड गार्ड टीम राहुल पर यह भी आरोप लगाते हैं कि यह गलत मुद्दों में घुसते है। इन नेताओं का यह भी आरोप है कि जिस तरीके से राहुल गांधी की ओर से चीन और राफेल को मुद्दा बनाया गया उस से पार्टी को नुकसान हुआ और भाजपा फायदे में रही।
ओल्ड गार्ड का यह भी सलाह है कि प्रधानमंत्री मोदी पर सीधा हमला करने से ज्यादा उनकी सरकार की आलोचना करनी चाहिए। इसके बाद राहुल गांधी नाराज हो गए थे। टीम राहुल यह भी चाहती है कि अब राहुल गांधी को कांग्रेस की कमान संभाल लेनी चाहिए। टीम राहुल यह भी संकेत दे रही है कि राहुल गांधी अब अपनी शर्तों पर पार्टी को संभालेंगे। राजनीतिक विश्लेषक यह भी मानते हैं कि गुजरात में युवा नेता हार्दिक पटेल और कर्नाटक में डीके शिवकुमार को अध्यक्ष बनाया गया तो उसके बाद पुराने नेताओं को यह संदेश दे दिया गया कि आने वाले समय में बदलाव हो सकता है। ओल्ड गार्ड का यह भी कहना है कि राहुल गांधी ने जिन युवा नेताओं पर भरोसा किया और उन्हें पार्टी में अहम जिम्मेदारी दी, वह पार्टी को ही बीच मंझधार में छोड़ कर चले गए। इसके लिए बार-बार ज्योतिरादित्य सिंधिया और सचिन पायलट प्रकरण का उदाहरण दिया जाता है। वहीं, टीम राहुल यह कहती है कि मनमोहन सिंह से लेकर एके एंटनी तक ने ओल्ड गार्ड के इस तर्क को खारिज कर दिया।
इसके बाद से ओल्ड गार्ड के इस आरोप में कोई दम ही नहीं है। लेकिन टीम राहुल यह भी मानती है कि फिलहाल युवा नेताओं को महत्व कम दिया जा रहा है। ओल्ड गार्ड को इस बात की भी नाराजगी रहती है कि राहुल गांधी पार्टी के सीनियर नेताओं की कम सुनते है। इतना ही नहीं, वे पार्टी के नेताओं से बात करने के लिए भी उपलब्ध नहीं रहते। पुराने नेताओं का कहना है कि राहुल गांधी के पास समस्या पहुंचती भी है तो वह इसे पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल के पास भेज देते है। यह भी कहा जा रहा है कि पार्टी के कुछ नेता केसी वेणुगोपाल से नाराज है। फिलहाल टीम राहुल इस आरोप को भी खारिज करती है। जो भी हो लेकिन एक बात तो तय है कि कांग्रेस में अभी भी महाभारत बाकी है। फिलहाल सोनिया गांधी का अंतरिम अध्यक्ष पद पर बने रहने का कार्यकाल 6 महीने के लिए बढ़ गया लेकिन यह लड़ाई चलती रहेगी।