By कमलेश पांडेय | Sep 11, 2021
आगामी 1 जनवरी 2022 से लागू होने वाले आरबीआई टोकनाइजेशन रूल्स की बात अब हरेक बैंक ग्राहकों की जुबां पर चर्चा में है। नया टोकन सिस्टम नियम क्या है, इसमें क्या परिवर्तन किया गया है और इससे ऑनलाइन धोखाधड़ी किस हद तक काबू में आएगी, इसके बारे में सबलोग जानना और समझना चाहते हैं। इसलिए हम आपको इससे जुड़े हरेक पहलुओं के बारे में विस्तार से बताएंगे।
बता दें कि देश में डिजिटल भुगतान बढ़ने के साथ ही ऑनलाइन धोखाधड़ी में हुए इजाफे के मद्देनजर भारत के केंद्रीय बैंक "भारतीय रिजर्व बैंक" को ऑनलाइन भुगतान के लिए कुछ नए नियम जारी करने पड़ हैं। इसके तहत आपको ऑनलाइन भुगतान के दौरान थर्ड पार्टी ऐप से अपने डेबिट या क्रेडिट कार्ड की पूरी डिटेल साझा नहीं करनी पड़ेगी। बल्कि आप अपने डेबिट या क्रेडिट कार्ड का ब्यौरा साझा किए बिना ही प्रदत्त टोकन नम्बर की मदद से अपना ऑनलाइन भुगतान कर सकेंगे।
स्पष्ट है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कार्ड के आंकड़ों की सुरक्षा बढ़ाने के प्रयास के तहत अपनी टोकन व्यवस्था (टोकनाइजेशन सिस्टम) का दायरा ही बढ़ा दिया है। जिसके तहत अब कार्ड जारी करने वालों को ही टोकन सेवा प्रदाता के रूप में भी काम करने की अनुमति दी गई है। इससे भुगतान के दौरान कार्ड जारी करने वाले बैंक या कार्ड नेटवर्क के अलावा कोई एग्रीगेटर इसका वास्तविक डाटास्टोर नहीं कर सकेगा। यह बात दीगर है कि विवाद की स्थिति में समझौते के लिए एग्रीगेटर समिति डाटा स्टोर कर सकेंगे।
# नई व्यवस्था में कार्ड नम्बर, सीवीवी और ओटीपी की कोई जरूरत नहीं
बता दें कि आरबीआई की नई व्यवस्था के तहत कार्ड-ऑन-फाइल टोकनाइजेशन को अनुमति प्रदान की गई है। इसके तहत ग्राहक अब अपने बैंक से ऑनलाइन खरीदारी के लिए कार्ड विवरण के स्थान पर एक टोकन नम्बर जारी करने को कह सकते हैं, जिसकी पूरी जानकारी साझा कर आप ऑनलाइन भुगतान सुनिश्चित कर सकते हैं। इसके लिए आपको अपने कार्ड नंबर, सीवीवी और ओटीपी की जरूरत ही नहीं होगी। दरअसल, अभी ऑनलाइन भुगतान करते समय आपको सिर्फ सीवीवी नंबर डालना होता है, जिसका मतलब यह है कि ई-कॉमर्स वेबसाइट के पास आपके कार्ड की पूरी जानकारी पहले से ही स्टोर होती है। हालांकि, अब ऐसा नहीं होगा। इसकी जगह भुगतान सिर्फ टोकन व्यवस्था के जरिए होगा।
# टोकन सर्विस लेनी है या नहीं, यह ग्राहकों की इच्छा पर ही करेगा निर्भर
आरबीआई ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि कि टोकन व्यवस्था वैकल्पिक रहेगी, यानी यह ग्राहकों की इच्छा पर निर्भर करेगी। इसे लेने के लिए उन पर किसी तरह का कोई दबाव नहीं बनाया जा सकेगा। साथ ही, किसी बैंक या फिर कार्ड जारी करने वाली करने वाली कंपनियों की ओर से इसे अनिवार्य रुप से लागू नहीं किया जाएगा। बता दें कि रिजर्व बैंक ने जिस टोकन सर्विस की बात कही है, उसके तहत कार्ड डिटेल की जगह सिर्फ एक टोकन ग्राहकों को दिया जाएगा। खास बात यह कि यह सर्विस सिर्फ ग्राहकों की इच्छा पर ही निर्भर करेगी। इसे लेने के लिए उन पर किसी तरह का कोई दबाव नहीं बनाया जा सकेगा और न ही बैंक या कार्ड जारी करने वाली कंपनियों द्वारा अनिवार्य रूप से इसे लागू किया जाएगा। कार्ड जारी करने वाली संस्था को ही कार्ड टोकनाइजेशन सर्विस देनी होगी। पेमेंट करते समय पहचान के अतिरिक्त कारक के रूप में यह टोकन दिया जाएगा और इसके लिए ग्राहकी सहमति ली जाएगी।
# ऐसे काम करेगी नई टोकन व्यवस्था
आरबीआई की नई टोकन व्यवस्था में आपको अपने कार्ड की डिटेल डालने की जरूरत नहीं होगी। बल्कि इसकी जगह पर एक यूनिक वैकल्पिक नंबर होता है जिसे टोकन नम्बर कहते हैं। यह आपके कार्ड से ही लिंक होता है, जिसके इस्तेमाल से कार्ड की पूरी डिटेल सुरक्षित रहती है। आप जब किसी ई-कॉमर्स वेबसाइट से खरीदारी के बाद भुगतान करेंगे तो आपको अपना 16 अंकों का कार्ड नंबर नहीं डालना होगा। बल्कि इसकी जगह सिर्फ टोकन नंबर डालनी होगी।
# थर्ड पार्टी ऐप को नहीं देनी होगी क्रेडिट कार्ड डिटेल्स, बल्कि टोकन सिस्टम से ही चल जाएगा आपका काम
आरबीआई टोकनाइजेशन रूल्स के मुताबिक, अब आपको स्विगी, जोमैटो, ओला, ओटीटी प्लेटफॉर्म जैसे थर्ड पार्टी ऐप में अपनी क्रेडिट कार्ड डिटेल पहले से देने की जरूरत नहीं रह जाएगी। क्योंकि भारतीय रिजर्व बैंक (केंद्रीय बैंक) के नए नियम के तहत पूरी कार्ड डिटेल देने की जगह सिर्फ एक टोकन नम्बर (टोकन सिस्टम के तहत प्रदत्त) से काम चल जाएगा। इसके लिए रिजर्व बैंक ने डिवाइस आधारित टोकनाइजेशन फ्रेमवर्क का विस्तार कार्ड ऑन फाइल टोकनाइजेशन (सीओएफटी) सेवाओं के लिए भी कर दिया है। गौरतलब है कि अभी तक जोमैटो जैसे फूड डिलीवरी ऐप, कैब सेवा देने वाली कंपनियों के ऐप, कई ओटीटी प्लेटफॉर्म पर ग्राहकों को पहले से अपने क्रेडिट कार्ड की डिटेल भरकर देना होता है। जिससे यूजर के कार्ड का डेटा इन वेबसाइट्स या ऐप पर सेव होता था। इससे इसके चोरी होने का डर लगा रहता है।
# कार्ड जारीकर्ता बैंक या कार्ड नेटवर्क के अलावा कोई भी थर्ड पार्टी ऐप वास्तविक कार्ड डेटा स्टोरेज नहीं करेगा
देश के केंद्रीय बैंक के रूप में विख्यात भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के नए नियमों के तहत 1 जनवरी, 2022 से कार्ड लेनदेन/पेमेंट में कार्ड जारीकर्ता बैंक या कार्ड नेटवर्क के अलावा कोई भी वास्तविक कार्ड डेटा स्टोरेज नहीं करेगा। इसमें पहले से स्टोर ऐसे किसी भी डेटा को फिल्टर किया जाएगा। हालांकि, ट्रांजैक्शन ट्रैकिंग या सुलह मकसद के लिए, संस्थाएं सीमित डेटा स्टोर कर सकती हैं। वास्तविक कार्ड नंबर और कार्ड जारीकर्ता के नाम के आखिरी चार अंक तक के स्टोर की छूट होगी।
गौरतलब है कि यूजर के कार्ड का डेटा इन वेबसाइट्स या ऐप पर सेव होता है, जिसके चोरी होने का डर लगा रहता है। यानी अब ग्राहकों को क्रेडिट कार्ड से पेमेंट करने पर ज्यादा सुरक्षा हासिल हो सकेगी। उनके डेटा के चोरी करने की गुंजाइश नहीं रहेगी। इससे ग्राहकों के डेटा की सुरक्षा बढ़ेगी और सुविधा पहले जैसी ही रहेगी। यानी हर ट्रांजैक्शन पर कस्टमर को अपनी कार्ड डिटेल को भरने की जरूरत नहीं होगी।
बता दें कि सीओएफटी नियम मोबाइल, लैपटॉप, डेस्कटॉप, स्मार्ट वॉच आदि के जरिए किए गए पेमेंट पर लागू होगा। इस हेतु टोकन सर्विस प्रोवाइडर की तरफ से जारी किए गए कार्ड के लिए ही टोकनाइजेशन की सुविधा की पेशकश की जाएगी। कार्ड डेटा को टोकनाइज करने और डी-टोकनाइज करने की क्षमता एक ही टोकन सर्विस प्रोवाइडर के साथ होगी।
# आरबीआई ने स्पष्ट किया "टोकनाइजेशन-कार्ड ट्रांजैक्शन" हेतु अनुमत उपकरणों की व्याप्ति का विस्तार
भारतीय रिजर्व बैंक के द्वारा टोकनाइजेशन-कार्ड लेनदेन हेतु अनुमत उपकरणों की व्याप्ति का विस्तार किया गया है। इसके लिए आरबीआई ने "टोकनाइजेशन-कार्ड ट्रांजैक्शन" पर विगत वर्षों में 08 जनवरी 2019 को जारी अपने परिपत्र डीपीएसएस.सीओ.पीडी सं.1463/02. 14.003/2018-19 के प्रति आम ग्राहकों का ध्यान आकर्षित करते हुए बताया है कि इसके अंतर्गत प्राधिकृत कार्ड नेटवर्क को किसी भी टोकन अनुरोधकर्ता को कार्ड टोकनाइजेशन सेवाएं प्रदान करने की अनुमति दी गई है, जो उसमें सूचीबद्ध शर्तों के अधीन है।
आरबीआई ने यह भी बताया है कि पहले यह सुविधा केवल इच्छुक कार्डधारकों के मोबाइल फोन और टैबलेट के लिए उपलब्ध थी। लेकिन हाल के महीनों के दौरान टोकनयुक्त कार्ड लेनदेनों की मात्रा में बढ़ोतरी हुई है। इसलिए इस ढांचे की समीक्षा करने और हितधारकों की प्रतिपुष्टि को ध्यान में रखते हुए, उपभोक्ता उपकरणों- लैपटॉप, डेस्कटॉप, धारणीय वस्तुएं (कलाई घड़ी, बैंड,आदि), इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) उपकरण आदि- को शामिल करने के लिए टोकनाइजेशन की व्याप्ति का विस्तार करने का निर्णय लिया गया है। जिसके तहत ऊपर संदर्भित परिपत्र के अन्य सभी प्रावधान लागू रहेंगे।
बहरहाल, इस पहल से उपयोगकर्ताओं के लिए कार्ड लेनदेन को अधिक सुरक्षित, सुदृढ़ और सुविधाजनक बनाया जाना अपेक्षित है। यह निदेश भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 (2007 का अधिनियम 51) की धारा 18 के साथ पठित धारा 10 (2) के अंतर्गत जारी किया गया है।
# आरबीआई ने ऐसे रखा है बैंक ग्राहकों की प्राइवेसी का ख्याल
नए नियमों में कार्ड होल्डर के डेटा की प्राइवेसी का ध्यान रखा गया है। इसके तहत कार्ड से भुगतान करने पर जारीकर्ता बैंक या कार्ड नेटवर्क के अलावा कोई भी वास्तविक कार्ड डेटा स्टोरेज नहीं कर सकता। लेकिन ट्रांजैक्शन ट्रैकिंग के लिए सीमित डेटा स्टोर किया जा सकता है। इसमें वास्तविक कार्ड नंबर और कार्ड जारीकर्ता के नाम के आखिरी चार अंक तक स्टोर किए जाने की इजाजत होगी।
# आरबीआई के नए टोकनाइजेशन नियम से कार्ड से भुगतान करने के तरीकों में ऐसे आएगा बदलाव
स्पष्ट है कि ऑनलाइन कार्ड प्रयोग में किसी भी तरह की धोखाधड़ी से कार्ड धारकों के वित्तीय हितों की रक्षा के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की ओर से टोकनाइजेशन के नए नियम जारी किए गए हैं। जिसके तहत कार्ड से भुगतान करने के तरीकों में बदलाव आएगा। नए प्रावधानों के अनुसार, आरबीआई कार्ड जारीकर्ताओं को भुगतान एग्रीगेटर और व्यापारियों के साथ कार्ड टोकन करने की अनुमति देता है। वहीं, नए नियमों में प्राइवेसी को भी तवज्जो दी गई है। दरअसल, आरबीआई के टोकेनाइजेशन के नए नियमों के तहत भुगतान एग्रीगेटर, व्यापारियों को दिसंबर 2021 के बाद ग्राहक कार्ड विवरण संग्रहीत करने की अनुमति नहीं होगी। इसके साथ ही टोकन व्यवस्था के तहत प्रत्येक लेनदेन के लिए कार्ड विवरण इनपुट करने की कोई आवश्यकता नहीं होगी। आने वाले नए साल से पूरी तरह से ये नियम लागू होंगे।
- कमलेश पांडेय
वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार