जुलाई 2019 में केंद्र सरकार ने जल शक्ति मिशन की योजना बनाते हुए यह तय किया कि 2024 तक समस्त घरों को जल सप्लाई करना हैं। सरकार ने इस अभियान पर बल देते हुए स्पष्ट कर दिया है कि हर घर जल कार्यक्रम पर फोकस करना जरुरी हैं। इसके लिए सरकार ने पूरे भारत में जल की समस्या से जूझते 256 जिलों में से 1,592 ब्लॉक्स को पहचानने की प्रक्रिया शुरू किया और फिर उन्हें पेयजल उपलब्ध करवाया। आज भी यह कार्य जारी है।
# जल शक्ति मिशन
वास्तव में जल शक्ति मिशन, जिसे जल जीवन मिशन भी कहा जाता है, इसका विजन सिर्फ लोगों तक पानी पहुंचाने का ही नहीं है, बल्कि ये विकेंद्रीकरण का भी एक बहुत बड़ा मूवमेंट है। ये विलेज ड्रिवेन, वीमेन ड्रिवेन मूवमेंट है। इसका मुख्य आधार, जन आंदोलन और जन भागीदारी है। इसलिए जल जीवन मिशन को अधिक सशक्त, अधिक पारदर्शी बनाने के लिए हाल ही में कई और कदम भी उठाए गए हैं।
वास्तविकता यह है कि राज्य सरकारें प्राकृतिक जलाशयों जैसे झील, तालाब, कुंए और नदियों का संरक्षण नहीं कर पा रही हैं, जबकि पर्यावर्णविदों ने कई बार इन जलाशयों में कम होते जल स्तर के बारे में राज्य सरकारों को चेताया हैं। इसलिए भारत सरकार को आगे आना पड़ा। क्योंकि यदि इन जलाशयों का सही तरीके से संरक्षण किया जाए तो जल की कमी को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
इसके लिए सरकार ने जल जीवन मिशन ऐप भी लांच किया। इस ऐप पर आपको अभियान से जुड़ी सभी जानकारियां एक ही जगह पर मिल जाएंगी। कितने घरों तक पानी पहुंचा, पानी की क्वालिटी कैसी है, वॉटर सप्लाई स्कीम का विवरण, आदि सब कुछ इसी ऐप पर मिलेगा।
इसके अलावा, आपके गांव की जानकारी भी उस पर होगी। इससे वाटर क्वायलिटी मोनिटरिंग और सर्विलांस फ्रेमवर्क से वाटर क्वायलिटी को बनाए रखने में बहुत मदद मिलेगी।
खास बात यह कि गाँव के लोग भी इस ऐप की मदद से अपने यहाँ के पानी की शुद्धता पर बारीक नजर रख पाएंगे। इसी लक्ष्य के साथ सरकार द्वारा विशेषकर जल और स्वच्छता के लिए, सवा दो लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि सीधे ग्राम पंचायतों को दी गई है। देखा जाए तो आज एक तरफ जहां ग्राम पंचायतों को ज्यादा से ज्यादा अधिकार दिए जा रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ पारदर्शिता का भी पूरा ध्यान रखा जा रहा है।
कहना न होगा कि ग्राम स्वराज को लेकर केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता का एक बड़ा प्रमाण जल शक्ति/जीवन मिशन और पानी समितियां भी है। क्योंकि आजादी से लेकर साल 2019 तक, हमारे देश में सिर्फ 3 करोड़ घरों तक ही नल से जल पहुंचता था। वहीं, वर्ष 2019 में जल जीवन मिशन शुरू होने के बाद से, 5 करोड़ घरों को पानी के कनेक्शन से जोड़ा गया है। आज देश के लगभग 80 जिलों के करीब सवा लाख गांवों के हर घर में नल से जल पहुंच रहा है।
कहने का तात्पर्य यह है कि पिछले 7 दशकों में जो काम हुआ था, वो आज के भारत ने सिर्फ 2 साल में ही उससे ज्यादा काम करके दिखाया है। अब वो दिन दूर नहीं जब देश की किसी भी बहन-बेटी को पानी लाने के लिए रोज़-रोज़ दूर-दूर तक पैदल चलकर नहीं जाना होगा। वो अपने समय का सदुपयोग अपनी बेहतरी, अपनी पढ़ाई-लिखाई, या अपना रोजगार को शुरू करने में कर पाएंगी।
सरकार चाहती है कि भारत के विकास में, पानी की कमी बाधा ना बने। इसके लिए काम करते रहना हम सभी का दायित्व है। सबका प्रयास बहुत आवश्यक है। हम अपनी आने वाली पीढ़ियां के प्रति भी जवाबदेह हैं। पानी की कमी की वजह से हमारे बच्चे, अपनी ऊर्जा राष्ट्र निर्माण में ना लगा पाएं, उनका जीवन पानी की किल्लत से निपटने में ही बीत जाए, ये हम नहीं होने दे सकते। इसके लिए हमें युद्धस्तर पर अपना काम जारी रखना होगा।
आजादी के 75 सालों में बहुत समय बीत गया। इसलिए अब हमें बहुत तेजी करनी है। हमें ये सुनिश्चित करना होगा कि देश के किसी भी हिस्से में 'टैंकरों' या 'ट्रेनों' से पानी पहुंचाने की फिर नौबत न आए। यही नहीं, देश में बहुत से क्षेत्र ऐसे हैं जहां प्रदूषित पानी की दिक्कत है, कुछ क्षेत्रों में पानी में आर्सेनिक की मात्रा अधिक होती है। ऐसे क्षेत्रों में हर घर में पाइप से शुद्ध जल पहुंचना, वहां के लोगों के लिए जीवन को मिले सबसे बड़े आशीर्वाद की तरह है।
आपको पता है कि एक समय, इन्सिफ़ेलाइटिस-दिमागी बुखार से प्रभावित देश के 61 जिलों में नल कनेक्शन की संख्या सिर्फ 8 लाख थी। आज ये बढ़कर 1 करोड़ 11 लाख से ज्यादा हो गई है। देश के जो जिले विकास की दौड़ में सबसे पीछे रह गए थे, जिन जिलों में विकास की एक अभूतपूर्व आकांक्षा है, वहां प्राथमिकता के आधार पर हर घर जल पहुंचाया जा रहा है। आकांक्षी जिलों में अब नल कनेक्शन की संख्या 31 लाख से बढ़कर 1 करोड़ 16 लाख से ज्यादा हो गई है।
आज देश में पीने के पानी की सप्लाई ही नहीं, पानी के प्रबंधन और सिंचाई का एक व्यापक इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा करने को लेकर भी बड़े स्तर पर काम चल रहा है। पानी के प्रभावी प्रबंधन के लिए पहली बार जल शक्ति मंत्रालय गठित करके इसके अंतर्गत पानी से जुड़े अधिकतर विषय लाए गए हैं। मां गंगा के साथ-साथ दूसरी नदियों के पानी को प्रदूषण मुक्त करने के लिए स्पष्ट रणनीति के साथ काम चल रहा है।
वहीं, अटल भूजल योजना के तहत देश के 7 राज्यों में ग्राउंडवॉटर लेवल को ऊपर उठाने के लिए काम हो रहा है। बीते 7 सालों में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत पाइप इर्रिगेशन और माइक्रो इर्रिगेशन पर भी बहुत बल दिया गया है। अब तक 13 लाख हेक्टेयर से अधिक ज़मीन को माइक्रो इरिगेशन के दायरे में लाया जा चुका है। 'पर ड्राप मोर क्रॉप'- इस संकल्प को पूरा करने के लिए अनेक ऐसे प्रयास चल रहे हैं।
गौर करने वाली यह भी है कि मौजूदा सरकार द्वारा लंबे समय से लटकी सिंचाई की 99 बड़ी परियोजनाओं में से लगभग आधी पूरी की जा चुकी हैं और बाकियों पर तेज़ी से काम चल रहा है। देशभर में डैम्स की बेहतर मैनेजमेंट और उनके रख-रखाव के लिए हज़ारों करोड़ रुपए से एक विशेष अभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत 200 से अधिक डैम्स को सुधारा जा चुका है।
आप जानते हैं कि कुपोषण के खिलाफ लड़ाई में भी पानी की बहुत बड़ी भूमिका है। जब हर घर जल पहुंचेगा तो बच्चों का स्वास्थ्य भी सुधरेगा। हमारे यहां कहा गया है- उप-कर्तुम् यथा सु-अल्पम्, समर्थो न तथा महान्। प्रायः कूपः तृषाम् हन्ति, सततम् न तु वारिधिः। यानि, पानी का एक छोटा सा कुआं, लोगों की प्यास बुझा सकता है जबकि इतना बड़ा समंदर ऐसा नहीं कर पाता है। ये बात कितनी सही है!
# ग्राम पंचायतों में गठित पानी समितियों से कितना लाभ मिला है?
कई बार हम देखते हैं कि किसी का छोटा सा प्रयास, बहुत से बड़े फैसलों से भी बड़ा होता है। आज पानी समिति पर भी यही बात लागू होती है। जल व्यवस्था की देखरेख और जल संरक्षण से जुड़े काम भले ही पानी समिति, अपने गांव के दायरे में करती है, लेकिन इसका विस्तार बहुत बड़ा है। ये पानी समितियां, गरीबों-दलितों-वंचितों-आदिवासियों के जीवन में बहुत बड़ा बदलाव ला रही हैं।
जल जीवन मिशन के तहत बन रही 'पानी समितियों' में 50 प्रतिशत सदस्य अनिवार्य रूप से महिलाएं ही होती हैं। ये देश की उपलब्धि है कि इतने कम समय में करीब साढ़े 3 लाख गांवों में 'पानी समितियां' बन चुकी हैं। इन पानी समितियां में गांव की महिलाएं कितनी कुशलता से काम कर रही हैं। गांव की महिलाओं को, अपने गांव के पानी की जांच के लिए विशेष तौर पर ट्रेनिंग भी दी जा रही है।
सच कहा जाए तो आजादी के बाद पहली बार सरकार जल परीक्षण पर गंभीरता से काम कर रही है। कोविड महामारी के दौरान 4.5 लाख महिलाओं को जल की जांच के लिए ट्रेंड किया गया। पानी के जांच के इस अभियान में हमारे गांव में रहने वाली बहनों-बेटियों को जोड़ा जा रहा है। वर्ष 2019 तक देश में 19 करोड़ ग्रामीण परिवारों में से सिर्फ 3.5 करोड़ परिवारों के घर नल से जल आता था। लेकिन इसी वर्ष जल जीवन मिशन शुरू होने के बाद इतने कम समय में ही लगभग 4 करोड़ नए परिवारों को नल का कनेक्शन मिल चुका है।
बहरहाल, जल जीवन मिशन के लिए भी जो 3 लाख 60 हजार करोड़ की व्यवस्था की गई है, वो गांवों में ही खर्च की जाएगी। यानि ये मिशन, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई मजबूती देने के साथ ही, गांवों में रोजगार के अनेकों नए अवसर भी बनाएगा। आप मानें या न मानें, आजादी के बाद पहली बार सरकार जल परीक्षण पर गंभीरता से काम कर रही है। पीएम मोदी ने गत विश्व जल दिवस पर 'जल शक्ति अभियान: कैच द रेन' की शुरुआत की।
प्रधानमंत्री का यह विचार सही है कि भारत की आत्म-निर्भरता जल संसाधनों और जल संपर्क पर ही निर्भर है। इसलिए जल के प्रभावी संरक्षण के बिना भारत का तेजी से विकास संभव नहीं है। हमारे देश में बारिश का ज्यादातर पानी बर्बाद हो जाता है। चूंकि हमारे पूर्वज हमारे लिए जल छोड़कर गए। इसलिए हमारी यह जिम्मेदारी है कि हम भविष्य की पीढ़ियों के लिए इसका संरक्षण करें।
भारत एक ऐसा देश हैं जहां जनसंख्या विस्फोट और बढ़ते औद्योगिकरण के कारण जल संसाधनों पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। अभी तक यहाँ लोग भूमिगत जल का ज्यादा उपयोग करते थे, लेकिन इनके संरक्षण का कोई उपाय नहीं किया गया। इसलिए पर्यावरणविदों और वैज्ञानिकों का कहना हैं कि यदि जल्द ही पानी को प्रदूषित होने से नहीं रोका गया तो जल के प्राकृतिक स्त्रोत समाप्त हो जायेंगे।
इसलिए 'जल शक्ति मिशन: कैच द रेन' योजना को कई भागों में विभाजित किया गया हैं जिससे कि पानी खराब होने से रोका जा सके और जल संरक्षण पर ज्यादा से ज्यादा ध्यान दिया जा सके। इस बात में कोई दो राय नहीं कि बारिश का पानी हम जितना बचाएंगे, भूजल पर निर्भरता उतनी ही कम हो जाएगी। इसलिए अब हर एक गांव में वर्षा जल संरक्षण की तैयारियों को तेज कर दिए जाने की जरूरत है।
भले ही वर्षा जल से संरक्षण के साथ ही देश में नदी जल के प्रबंधन पर भी दशकों से चर्चा होती रही है, लेकिन अब देश को पानी के संकट से बचाने के लिए इस दिशा में तेजी से काम करना जरूरी है। वर्षा जल का जितना बेहतर प्रबंधन होगा, उतनी ही जमीन के पानी पर देश की निर्भरता कम होगी। इसलिए 'कैच द रैन' जैसे अभियान चलाना और इनकी सफलता बहुत जरूरी हैं।
दरअसल, 'जल शक्ति अभियान: कैच द रैन' अभियान के तहत वर्षा जल संचयन अभियान देश भर में ग्रामीण और शहरी इलाकों में चलाया जा रहा है। इसके लिए नारा लगाया गया कि 'जहां भी गिरे और जब भी गिरे, वर्षा का पानी इकट्ठा करें।' इस वर्ष यह अभियान को 22 मार्च से शुरू होकर आगामी 30 नवबंर तक चलाया जाएगा।
केंद्र सरकार जल संरक्षण के लिए नये मार्ग निकालेगी और बरसात के पानी को पुरे देश में संरक्षित करने पर जोर दिया जाएगा। छोटे और बड़े जलाशयों को भी इस शुरूआती लिस्ट में शामिल किया गया हैं। साथ ही वनीकरण मतलब ज्यादा से ज्यादा पौधारोपण से और वाटर शेड सिस्टम से भी जल स्तर में वृद्धि होगी।
केंद्र सरकार ने एक ऐसी रिपोर्ट पेश की हैं जो कि पानी के सम्बंध में देश की विकट स्थिति को पेश करती हैं। इस रिपोर्ट के अनुसार 21 शहरों के लिए 2020 तक भूजल बिलकुल नहीं बचने के संकेत थे, लेकिन उसकी ततपरता से हालात उतने बदतर नहीं हुए। इसी रिपोर्ट में 255 जिलों को हाई रिस्क जोन में रखा गया,जहां पहले से पानी के सप्लाई की कमी है। सरकार इसे बेहतर बनाने को प्रयासरत है।
निर्विवाद रूप से ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में जल की समस्या बहुत पुरानी हैं। भारत में आज भी करोड़ों लोग पानी की कमी से जूझ रहे हैं। पानी की कमी से बुरी तरह प्रभावित क्षेत्रों में जनता को सरकार द्वारा भेजे गए पानी के टैंक पर ही निर्भर रहना पड़ता हैं। बहुत सारे राज्यों में इस तरह की समस्या आने पर केंद्र सरकार ने मुद्दे की महत्ता को समझते हुए एक नयी योजना की शुरुआत की हैं, जिसका नाम जल शक्ति अभियान-हर घर जल योजना हैं।
कहना न होगा कि पानी की एक-एक बूंद का बहुत महत्व होता है। इसलिए लोगों तक जल पहुंचाना और जल संरक्षण, हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। हमें ना सिर्फ लोगों तक, किसानों तक, पानी पहुंचाना चाहिए बल्कि ये भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि भूजल स्तर बढ़े। मोदी सरकार ने पानी से जुड़ी चुनौतियां पर लगातार काम किया है। इसलिए आज वो नतीजे हमें मिल रहे हैं, जो हर भारतीय को गर्व से भर देने वाले हैं।
बहुत से ऐसे लोग हुए जिन्होंने जल संरक्षण, जल संचयन को अपने जीवन का सबसे बड़ा मिशन बनाया हुआ है। ऐसे लोगों से भी सीखा जाना चाहिए, प्रेरणा लेनी चाहिए। देश भर की ग्राम पंचायतों को चाहिए कि वे गांव में पानी के स्रोतों की सुरक्षा और स्वच्छता के लिए जी-जान से काम करें। बारिश के पानी को बचाकर, घर में उपयोग से निकले पानी का खेती में इस्तेमाल करके, कम पानी वाली फसलों को बढ़ावा देकर ही हम अपने लक्ष्यों को हासिल कर सकते हैं।
जलाशयों का उपयोग ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में जलापूर्ति में किया जा सकता हैं। असंक्रमित पानी का पुन:उपयोग योजना की मुख्य विशेषता हैं। यह शहरी क्षेत्रों को ध्यान में रखकर तय किया गया हैं। इसके लिए केंद्र और राज्य सरकारों को साथ मिलकर ज्यादा से ज्यादा जल के पुनर्चक्रण (रिसायकलिंग) प्लांट पर काम करना होगा। इस तरह उपचारित पानी हानिकारक भी नहीं होगा और यह घरों तक सीधे पाइपलाइन द्वारा पहुंचाया जाएगा।
इस योजना के अंतर्गत किसानों को जल संरक्षण के लिए शिक्षित भी किया जाएगा। उन्हें बिना जल बर्बाद किये होने वाली आधुनिक सिंचाई तकनीक से भी अवगत करवाया जाएगा। पूरी तरह जलाशयों पर निर्भर रहने के स्थान पर उन्हें वर्ष भर के लिए जल का संरक्षण करना और उसका सिंचाई में अधिकाधिक उपयोग करने की तकनीक भी सिखाई जायेगी।
शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में जल संरक्षण के लिए जागरूकता लानी अनिवार्य हैं, इसके लिए महत्वपूर्ण आंकड़े और जानकारियां लोगों को मामले की जटिलता समझने में मदद करेगी, जब उन्हें समझ आएगा कि पानी की कमी के कारण उनका अस्तित्व खतरे में हैं, तब वो इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाएंगे। इस कार्यक्रम में स्कूल और कॉलेज के छात्रों को जोड़ा जाएगा। कुछ पर्यावरण केंद्र और एनजीओ से भी आवश्यक मदद ली जायेगी। आईआईटी के इंजिनियर के अनुभव भी काम में लिए जायेंगे जिससे कि वो जल संरक्षण की तकनीक में मदद कर सके। नेशनल कैडेट कॉर्प्स, नेहरु युवा केंद्र संगठन और कुछ अन्य संस्थाएं भी इस योजना में सहयोगी सिद्ध होगी।
बड़े उद्योगों की स्थापना से जल के उपयोग की सम्भावना बहुत बढ़ जाती हैं जिसके कारण उप-सतही जल को सिंचित करना मुश्किल हो जाता हैं। केंद्र सरकार निकट भविष्य में उद्योगों के पानी उपभोग से राशन लेगी। उद्योगों में पानी की राशनिंग से उद्योगों के निजी लाभ में कमी आएगी। उद्योगपति केंद्र सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश करेंगे लेकिन केंद्र सरकार को किसी भी दबाव में आए बिना इस योजना को सफल बनाने की कोशिश करनी चाहिए। पीने योग्य पानी की समाप्ति पर जीवन बचाना मुश्किल हो जाएगा।
केंद्र सरकार के तीन विभाग जल शक्ति अभियान में सहयोग करेंगे। जल संसाधन विभाग मामले की जटिलता को देखते हुए पर्यावरण विभाग से सहयोग प्राप्त करेगा। इसके अतिरिक्त उन्हें कृषि मंत्रालय से भी सहायता मिलेगी। केंद्र और राज्य सरकार को इस योजना को सफल बनाने के लिए समाज के सभी हिस्सों से सहायता की आवश्यकता होगी। जल सम्बंधित योजना के लिए केंद्र-राज्य के मध्य सामंजस्य की आवश्यकता है। इसके अतिरिक्त सरकार ये भी चाहती हैं कि इसमें समाज के सभी वर्ग अपना योगदान दे।
इस तरह से ये तय हैं कि सरकार के सामने इस योजना को सफल बनाना किसी चुनौती से कम नहीं हैं लेकिन यदि सरकार अपना वादा पूरा कर पाती हैं तो तय हैं की सरकार को स्वच्छ भारत अभियान से जितनी सफलता मिली उससे कहीं ज्यादा बड़ी सफलता मिलेगी, और ये सफलता भारत के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान देगी।
बेशक, पानी का उपयोग हमें प्रसाद की तरह करना चहिए। लेकिन कुछ लोग पानी को प्रसाद नहीं, बहुत ही सहज सुलभ मानकर उसे बर्बाद करते हैं। वो पानी का मूल्य ही नहीं समझते। पानी का मूल्य वो समझता है, जो पानी के अभाव में जीता है। वही जानता है, एक-एक बूंद पानी जुटाने में कितनी मेहनत करनी पड़ती है। देश के हर उस नागरिक, जो पानी की प्रचुरता में रहते हैं, को पानी बचाने के ज्यादा प्रयास करने चाहिए। और निश्चित तौर पर इसके लिए लोगों को अपनी आदतें भी बदलनी ही होंगी।
- कमलेश पांडेय
वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार