सरकारी सिक्योरिटी क्या है? जी-सेक (G-Sec) में निवेश कैसे करते हैं? समझिए विस्तार से

By कमलेश पांडे | May 30, 2024

नौकरी-पेशा या कारोबारी लोग अपनी गाढ़ी कमाई में से हुई बचत को वैसी जगह पर लगाना चाहते हैं, जहां पर वो न केवल सुरक्षित रहें, बल्कि लाभ भी देती रहें। इस नजरिए से सरकारी सिक्योरिटी में निवेश एक बेहतर विकल्प समझा जाता है। सरकारी सिक्योरिटी को संक्षेप में जी-सेक (G-Sec) कहते हैं। 


चूंकि जी-सेक में भी विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों यानी फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स (एफपीआईI) को सीमित कारोबार की इजाजत दी गयी है। इसलिए अब सामान्य निवेशकों का रुझान भी इस ओर कुछ ज्यादा ही बढ़ा है। इसलिए आइये समझते हैं कि आखिर ऐसा क्यों है?क्या ऐसा करना औसतन लाभदायक है?

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दरअसल, कई लोग डेट म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि डेट म्यूचुअल फंड अपना पैसा कहां निवेश करते हैं? सीधा-सा जवाब होगा कि ये सरकारी सिक्योरिटी (जी-सेक) में निवेश करते हैं। इसलिए यहां पर हम आपको सरकारी सिक्योरिटी के बारे में बता रहे हैं, क्योंकि छोटे निवेशकों के लिए सरकारी सिक्योरिटी यानी जी-सेक में निवेश करना आसान हो गया है।


# सरकारी सिक्योरिटी यानी जी-सेक क्या है? यह कैसे काम करता है?

सरकारी सिक्योरिटी एक ऐसा उपक्रम/उपकरण (इंस्ट्रूमेंट) है, जिसकी सीधी खरीद-फरोख्त होती है। मसलन, केंद्र और राज्य सरकारों इन्हें जारी करती हैं। इन्हें संक्षिप्त भाषा में जी-सेक भी कहा जाता है। बताया जाता है कि केंद्र या राज्यों की सरकारें विकास परक योजनाओं के लिए उधारी जुटाने के लिए इसे जारी करती हैं। इनमें से छोटी अवधि की सिक्योरिटी को 'ट्रेजरी बिल' कहते हैं, जो एक साल से कम अवधि के लिए जारी की जाती हैं। 

वहीं, यदि इस तरह की सिक्योरिटी एक साल से अधिक की अवधि के लिए जारी की जाय तो उन्हें सरकारी बांड या डेट सिक्योरिटीज कहते हैं। एक बात और, केंद्र सरकार ट्रेजरी बिल और डेट सिक्योरिटीज, दोनों जारी करती है, जबकि राज्य सरकारें सिर्फ डेट सिक्योरिटीज ही जारी कर सकती हैं, जिसे स्टेट डेवलपमेंट लोन भी कहा जाता है। आर्थिक मामलों के जानकारों के मुताबिक, चूंकि ये सिक्योरिटी सरकार की तरफ से जारी किये जाते हैं, इसलिए इनमें जोखिम नहीं के बराबर होता है।


# जानिए, जी-सेक की खरीद-बिक्री कौन करता है?

आपको पता होना चाहिए कि जी-सेक मार्केट में मुख्य तौर पर कमर्शियल बैंक और प्राइमरी डीलर (पीडी) ही कारोबार करते हैं। इसके अलावा, इसमें बीमा कंपनियों जैसे संस्थागत निवेशक भी हिस्सा लेते हैं। जानकारों का कहना है कि प्राइमरी डीलर (पीडी) जी-सेक मार्केट में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। बताया जाता है कि बाजार में जी-सेक की ट्रेडिंग के लिए दो-तरफा बोली लगाई जाती है। संबंधित सिक्योरिटी में खरीदने और बेचने की बोली एक साथ लगाई जाती है। वहीं, जी-सेक मार्केट में को-ऑपरेटिव बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, म्यूचुअल फंड, पीएफ और पेंशन फंड भी भाग लेते हैं। वहीं, बदलते घटनाक्रम के तहत जी-सेक में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) को भी सीमित कारोबार की इजाजत दी गयी है। वहीं, अपने कुल पोर्टफोलियो को संतुलित करने के लिए कंपनियां भी जी-सेक की खरीद-बिक्री करती हैं।


# समझिए, जी-सेक में उतार-चढ़ाव क्यों होता है? इससे बचने का क्या रास्ता है?

आपके लिए यह भी जानना जरूरी है कि जी सेक के भाव सेकेंडरी मार्केट में काफी तेजी से बदलते हैं। लिहाजा, इन सिक्योरिटीज की मांग-आपूर्ति के हिसाब से इनके भाव में भी बदलाव होता रहता है। इसके अतिरिक्त, जी-सेक के भाव देश की अर्थव्यवस्था और अन्य बाह्य कारकों की वजह से भी बदलते रहते हैं।


सच कहूं तो देश में तरलता की स्थिति और महंगाई के आंकड़ों का भी जी-सेक के भाव पर काफी असर पड़ता है। वहीं, दूसरे देश में होने वाली गतिविधियों, विदेशी मुद्रा, क्रेडिट और कैपिटल मार्केट आदि के रुझान से भी जी-सेक  के भाव पर असर पड़ता है। इसके अलावा, बैंकिंग नियामक भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा मौद्रिक समीक्षा में रेपो, रिवर्स रेपो या सीआरआर में बदलाव की वजह से भी जी-सेक के भाव में उतार-चढ़ाव आ सकता है। इसलिए उपर्युक्त सभी बातों पर गौर करके ही निवेशक किसी महत्वपूर्ण निष्कर्ष तक पहुंच सकते हैं।


# समझिए आप जी-सेक में किस तरह निवेश कर सकते हैं?

जानकारों के मुताबिक, कोई भी व्यक्ति सीधे किसी ब्रोकरेज प्लेटफॉर्म की मदद से जी-सेक में निवेश कर सकते हैं। वहीं, आप म्यूचुअल फंड के माध्यम से अप्रत्यक्ष तरीके से भी सरकारी सिक्योरिटी में निवेश कर सकते हैं। हालांकि, यदि आप जी-सेक में निवेश करते हैं और तीन साल से अधिक समय तक निवेश बनाये रखते हैं तो म्यूचुअल फंड के माध्यम से निवेश करने पर आप इनकम टैक्स में लाभ उठा सकते हैं। वहीं, यदि आपने जी-सेक में सीधे निवेश किया तो इसे बेचने पर मिलने वाले रिटर्न पर आपको आयकर (इनकम टैक्स) कानून के हिसाब से टैक्स चुकाना पड़ता है। इसलिए कोई भी निवेश करने से पहले आप अच्छी तरह से जांच-पड़ताल कर लें, ताकि आपको लाभ ही लाभ मिलता रहे।


- कमलेश पांडेय

वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार

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