वित्तीय प्रौद्योगिकी (फिनटेक) क्या है? इस क्षेत्र की चुनौतियाँ क्या हैं?

By कमलेश पांडे | Sep 09, 2021

फिनटेक, फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी का संक्षिप्त रूप है। वित्तीय कार्यों में टेक्नोलॉजी के उपयोग को ही फिनटेक कहा जा सकता है। हिंदी में इसे वित्तीय प्रौद्योगिकी कहते हैं। दूसरे शब्दों में, यह पारंपरिक वित्तीय सेवाओं और विभिन्न कंपनियों तथा व्यापार में वित्तीय पहलुओं के प्रबंधन में आधुनिक तकनीक का कार्यान्वयन है। ये ऐप के जरिये उपभोक्ताओं को तुरंत लोन की सुविधा देती है। इससे विभिन्न प्रकार की वित्तीय तकनीकी सुविधाएं भी प्राप्त की जा सकती हैं।


जानकारों के मुताबिक, भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाला फिनटेक बाजार है। यहां डिजिटलीकरण को लेकर सरकार जिस तरह जिस तेजी से कदम उठा रही है, उसका सकारात्मक असर फिनटेक यानी वित्तीय प्रौद्योगिकी क्षेत्र पर भी देखने को मिलेगा। एक अनुमान के मुताबिक, 2025 तक इसका आकार मूल्य के हिसाब से 3 गुना बढ़कर 6.20 लाख करोड़ रुपये हो जाएगा। स्पष्ट है कि सरकार के विभिन्न प्रयासों से फिनटेक क्षेत्र यहां तेजी से बढ़ रहा है। दुनिया के उभरते बाजारों में भारतीय, वित्तीय प्रौद्योगिकी (फिनटेक) को अपनाने में सबसे आगे है। बता दें कि मार्च 2020 तक देश में वित्तीय प्रौद्योगिकी की स्वीकार्यता की दर 87 प्रतिशत थी, जबकि इसका वैश्विक औसत मात्र 64 प्रतिशत था। 2019 में घरेलू फिनटेक बाजार 1.92 लाख करोड़ का था। स्पष्ट है कि भारत में फिनटेक बाजार का भविष्य उज्ज्वल है।

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तकनीकी विशेषज्ञ बताते हैं कि भारत में वित्तीय प्रौद्योगिकी (फिनटेक) की प्रगति और इसकी चुनौतियों व संभावनाओं से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर ध्यान दिया जाना बदलते वक्त की मांग है। क्योंकि इस क्षेत्र में चीन को पीछे छोड़ते हुए भारत, एशिया में वित्तीय प्रौद्योगिकी 'फिनटेक' के सबसे बड़े बाज़ार के रूप में उभरा है। आपको पता होना चाहिए कि विश्व के दूसरे सबसे बड़े वित्तीय प्रौद्योगिकी (फिनटेक) हब (अमेरिका के बाद) के रूप में उभरने के बाद भारत में फिनटेक का तीव्र और व्यापक विकास यानी 'फिनटेक बूम’ देखा गया है। 


वर्तमान समय में वित्तीय प्रौद्योगिकी (फिनटेक) अर्थव्यवस्था के सबसे अधिक संपन्न क्षेत्रों, व्यापार वृद्धि और रोज़गार सृजन दोनों मामलों, में से एक है। सच कहा जाए तो वित्तीय प्रौद्योगिकी (फिनटेक) वित्तीय प्रणाली में पारदर्शिता लाने के साथ ही वित्तीय समायोजन के लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायक हो सकता है, बशर्ते कि इससे जुड़े हुए सभी आवश्यक पहलुओं पर व्यापक विचार विमर्श करते हुए और दुनियाभर के देशों के बीच इस सम्बन्ध में आम राय विकसित करते हुए आगे बढ़ा जाए।


# जानिए, क्या है वित्तीय प्रौद्योगिकी (फिनटेक)


वित्तीय प्रौद्योगिकी में बहुधा प्रयुक्त होने वाला 'फिनटेक' शब्द फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी का संक्षिप्त रूप है। प्रचलित भाषा में, वित्तीय कार्यों में प्रौद्योगिकी के उपयोग को ही फिनटेक कहा जाता है। दूसरे शब्दों में, यह पारंपरिक वित्तीय सेवाओं तथा विभिन्न कंपनियों और व्यापार में वित्तीय पहलुओं के प्रबंधन में आधुनिक तकनीक का कार्यान्वयन है। अमूमन, 'फिनटेक' शब्द का प्रयोग उन नई तकनीकों के संदर्भ में किया जाता है, जिनके माध्यम से वित्तीय सेवाओं का प्रयोग, इसमें सुधार और स्वायत्तता लाने का प्रयास किया जाता है। व्यवहारिक तौर पर गौर किया जाए तो डिजिटल पेमेंट, डिजिटल ऋण,  बैंक टेक, इंश्योर टेक, रेगटेक, क्रिप्टोकरेंसी आदि को फिनटेक के कुछ प्रमुख घटक के रूप में समझे जा सकते हैं। हालाँकि, वर्तमान परिवेश में वित्तीय प्रौद्योगिकी (फिनटेक) के तहत कई अलग-अलग क्षेत्र और उद्योग जैसे- शिक्षा, खुदरा बैंकिंग, निधि जुटाना और गैर-लाभकारी कार्य, निवेश प्रबंधन आदि भी शामिल किये जाते हैं। वित्तीय प्रौद्योगिकी (फिनटेक) नवोन्मेष के सक्रिय क्षेत्र में क्रिप्टोकरेंसी और डिजिटल कैश भी शुमार किये जाते हैं।


# वित्तीय प्रौद्योगिकी (फिनटेक) में बहुधा प्रयुक्त होने वाले शब्दों व उनके तौर तरीकों को समझिए


वित्तीय प्रौद्योगिकी (फिनटेक) के क्षेत्र में ब्लॉकचेन तकनीक के तहत किसी केंद्रीय बहीखाते की बजाय कंप्यूटर नेटवर्क पर लेन-देन के रिकॉर्ड को सुरक्षित रखा जाता है। वहीं, स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट के तहत कंप्यूटर प्रोग्राम के माध्यम से अक्सर ब्लॉकचेन का ही उपयोग करते हुए खरीदारों और विक्रेताओं के बीच अनुबंधों को स्वचालित रूप से निष्पादित किया जाता है। वहीं, ओपन बैंकिंग एक ऐसी प्रणाली है जिसके तहत बैंक नए एप्लीकेशन और सेवाओं को विकसित करने हेतु तीसरे पक्ष को अपने ‘एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस’ (एपीआई) की सुविधा प्रदान करते हैं। इसप्रकार, ओपन बैंकिंग के तहत कार्यरत बैंकों को वित्तीय प्रौद्योगिकी (फिनटेक) के साथ प्रतिस्पर्द्धा की बजाय साझेदारी करने का अवसर प्रदान किया जाता है। वहीं,  इंश्योर टेक के तहत प्रौद्योगिकी के उपयोग के माध्यम से बीमा उद्योग को सरल और कारगर बनाने का प्रयास किया जाता है। वहीं, रेगटेक, जो कि रेग टेक, रेगुलेटरी टेक्नोलॉजी का संक्षिप्त रूप है, का उपयोग व्यवसायों को कुशलतापूर्वक और किफायती तरीके से औद्योगिक क्षेत्र के नियमों का पालन करने में सहायता के लिये किया जाता है। वहीं, साइबर सुरक्षा के तहत देश में साइबर हमलों के मामलों में वृद्धि और विकेंद्रीकृत डेटा के कारण वित्तीय प्रौद्योगिकी (फिनटेक) तथा साइबर सुरक्षा के मुद्दे एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। इन सबको साधकर ही भारतीय फिनटेक बाजार काफी तेजी से बढ़ रहा है।

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भारत डिजिटल लेन-देन में शीर्ष पर है जो कुल डिजिटल  लेन-देन के 25 अरब के आंकड़ा पार कर चुका है। भारत के प्रधानमंत्री जन-धन योजना के तहत बैंक खातों तक पहुंच डीजी लॉकर, यूपीआई के जरिए वित्तीय प्रौद्योगिकी के विकास के लिए शानदार पारिस्थितिकी तंत्र उपलब्ध कराता है। वास्तव में, आधुनिक प्रौद्योगिकी वित्तीय समावेशन के लिए सबसे मजबूत माध्यम है। सरकार एक मजबूत और सुरक्षित प्रौद्योगिकी तंत्र बनाने के प्रयास में है। उसे भरोसा है कि सार्वजनिक निजी भागीदारी से वित्तीय समावेशन बढ़ेगा। सभी भारतीयों को आधुनिक वित्तीय सेवाएं उपलब्ध हो सकेंगी।


# ये हैं भारत में वित्तीय प्रौद्योगिकी (फिनटेक) के विकास के प्रमुख घटक


पहला, व्यापक पहचान औपचारीकरण 'आधार कार्ड' के माध्यम से अबतक 1.2 बिलियन से अधिक नामांकन किया जा चुका है। दूसरा, जन धन योजना जैसे प्रयासों के माध्यम से बैंकिंग पहुँच में वृद्धि की गई और 1 बिलियन से अधिक बैंक खाते खोले गए। तीसरा, व्यापक स्मार्टफोन पहुँच को नीतिगत रूप से बढ़ावा दिया गया, जिससे 1.2 बिलियन से अधिक स्मार्टफोन उपभोक्ता लाभान्वित हुए। साथ ही, भारत में व्यय योग्य आय में भी वृद्धि हुई। इसके लिए भारत सरकार द्वारा यूपीआई और डिजिटल इंडिया जैसे प्रमुख प्रयास किये गए। चतुर्थ, मध्यम वर्ग का व्यापक विस्तार हो रहा है। अनुमानतः वर्ष 2030 तक भारत की मध्यम वर्गीय आबादी में 140 मिलियन नए परिवार और उच्च-आय वर्ग की आबादी में 21 मिलियन नए परिवार जुड़ जाएंगे, जो देश के फिनटेक बाज़ार में मांग और विकास को गति प्रदान करेंगे। इन सभी घटकों को साध कर निकट भविष्य में भारत पहले पायदान पर पहुंच जाए तो किसी को हैरत नहीं होनी चाहिए।


# ये हैं वित्तीय प्रौद्योगिकी (फिनटेक) से जुड़ी संभावनाएँ 


पहली, व्यापक वित्तीय समावेशन करना बहुत जरूरी है। क्योंकि वर्तमान में भी देश की एक बड़ी आबादी औपचारिक वित्तीय प्रणाली के दायरे से बाहर है। इसलिए वित्तीय प्रौद्योगिकियों के प्रयोग के माध्यम से पारंपरिक वित्तीय और बैंकिंग मॉडल में वित्तीय समावेशन से जुड़ी चुनौतियों को दूर किया जा सकता है।


दूसरी, एमएसएमईज को वित्तीय सहायता प्रदान करना भी बहुत आवश्यक है। क्योंकि वर्तमान में देश में सक्रिय ‘सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों’ के अस्तित्व के लिये पूंजी का अभाव सबसे बड़ा खतरा बना हुआ है। यदि ‘अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम’ (आईएफसी) की रिपोर्ट पर हम गौर करेंगे तो पाएंगे कि, एमएसएमई क्षेत्र के लिये आवश्यक और उपलब्ध पूंजी का अंतर लगभग 397.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर आँका गया है। ऐसे में एमएसएमई क्षेत्र में फिनटेक का महत्त्व बढ़ जाता है, जिसमें इस क्षेत्र में पूंजी की कमी को दूर करने की क्षमता भी है। बहरहाल, कई फिनटेक स्टार्टअप द्वारा आसान और त्वरित ऋण उपलब्ध कराए जाने पर एमएसएमईज को कई बार बैंक जाने या इसकी जटिल कागज़ी प्रक्रिया से राहत मिल सकेगी।  


तीसरी, ग्राहक अनुभव और पारदर्शिता में सुधार भी बहुत जरूरी है। ऐसा इसलिए कि फिनटेक स्टार्टअप सहूलियत, पारदर्शिता, व्यक्तिगत और व्यापक पहुँच तथा उपयोग में सुलभता जैसी महत्त्वपूर्ण सुविधाएँ प्रदान करते हैं, जो ग्राहकों को सशक्त बनाने में सहायता करते हैं। यही वजह है कि फिनटेक उद्योग द्वारा जोखिमों के आकलन के लिये अद्वितीय और नवीन मॉडल का विकास किया जाएगा। जिसके तहत बिग डेटा, मशीन लर्निंग, ऋण जोखिम के निर्धारण हेतु वैकल्पिक डेटा का लाभ उठाकर और सीमित क्रेडिट इतिहास वाले ग्राहकों के लिये क्रेडिट स्कोर विकसित कर देश में वित्तीय सेवाओं की पहुँच में सुधार लाने में सहायता प्राप्त होगी।


# ये हैं वित्तीय प्रौद्योगिकी (फिनटेक) क्षेत्र की चुनौतियाँ 


पहली, साइबर हमले से जुड़ी हुई हैं। क्योंकि इनकी  प्रक्रियाओं का स्वचालन और डेटा का डिजिटलीकरण फिनटेक प्रणाली को हैकरों के हमलों के प्रति सुभेद्य बनाता है। आपको पता होगा कि हाल ही में कई डेबिट कार्ड कंपनियों और बैंकों में हुए साइबर हैकिंग के हमले इस बात का उदाहरण प्रस्तुत करते हैं कि हैकर्स कितनी आसानी से महत्त्वपूर्ण प्रणालियों तक पहुँच प्राप्त कर इनमें अपूरणीय क्षति का कारण बन सकते हैं।


दूसरी, डेटा गोपनीयता की समस्या से संबंद्ध हैं। क्योंकि उपभोक्ताओं के लिये साइबर हमलों के साथ-साथ महत्त्वपूर्ण व्यक्तिगत और वित्तीय डेटा का दुरुपयोग भी एक बड़ी चिंता का कारण है, जिसका समुचित निदान भी तलाशना होगा।


तीसरी, विनियमन में कठिनाई से जुड़ी है। मसलन, वर्तमान समय में तेज़ी से उभरते फिनटेक क्षेत्र, विशेष रूप से क्रिप्टोकरेंसी का विनियमन भी एक बड़ी समस्या है। क्योंकि वर्तमान में विश्व के अधिकांश देशों में फिनटेक के विनियमन हेतु कोई विशेष प्रावधान नहीं हैं। ऐसे में विनियमन के इस अभाव ने इस क्षेत्र में घोटाले और धोखाधड़ी की घटनाओं को बढ़ावा मिला है। बहरहाल, फिनटेक द्वारा दी जाने वाली सेवाओं की विविधता के कारण इस क्षेत्र की समस्याओं के लिये कोई एकल और व्यापक समाधान तैयार करना बहुत ही कठिन काम समझा जा रहा है। 


# आखिर में क्या है वित्तीय प्रौद्योगिकी (फिनटेक) के आगे की राह


पहली, साइबर अपराधियों से सुरक्षा इसकी प्राथमिकता होनी चाहिए। वर्तमान में भारत साइबर हमलों के विरुद्ध सुरक्षात्मक और आक्रामक दोनों क्षमताओं के लिये लगभग पूरी तरह आयात पर ही निर्भर करता है। ऐसे में देश में विभिन्न क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी की स्वीकार्यता और इसकी पहुँच में व्यापक वृद्धि को देखते हुए भारत के लिये इस क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करना बहुत ही आवश्यक है। सरकार इस दिशा में ततपरता भी दिखा रही है।


दूसरी, उपभोक्ताओं की जागरूकता अहम बात है। देखा जाए तो तकनीकी सुरक्षा उपायों की स्थापना के साथ ही फिनटेक के लाभ और साइबर हमले से बचाव के संदर्भ में जागरूकता फैलाने के लिये ग्राहकों को शिक्षित और प्रशिक्षित किये जाने से भी फिनटेक के लोकतांत्रिकरण में सहायता प्राप्त होगी। इस दिशा में भी शासन प्रयत्नशील है।

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तीसरी, डेटा सुरक्षा कानून सबसे अहम बात है। वास्तव में, आरबीआई द्वारा इस क्षेत्र में तकनीकी के प्रभावों की समीक्षा के लिये फिनटेक सैंडबॉक्स की स्थापना का निर्णय लिया जाना इस दिशा में एक सकारात्मक कदम समझा जाता है। हालाँकि देश में एक मज़बूत डेटा सुरक्षा ढाँचे की स्थापना करना बहुत ही आवश्यक है। इस संदर्भ में ‘व्यक्तिगत डेटा सुरक्षा विधेयक, 2019’ को व्यापक विचार-विमर्श के बाद सरकार ने पारित भी किया है। इससे इस क्षेत्र में थोड़ा बदलाव भी महसूस हुआ है।


निष्कर्षत: यह कहा जा सकता है कि वर्तमान समय की आवश्यक ताओं के अनुरूप फिनटेक भारतीय आर्थिक क्षेत्र में व्याप्त चुनौतियों के लिये उपयुक्त समाधान उपलब्ध कराते हैं। फिनटेक में बीमा, निवेश, प्रेषण यानी रेमिटेंस जैसी अन्य वित्तीय सेवाओं में व्यापक बदलाव लाने की क्षमता है। हालाँकि इस क्षेत्र में विनियम के दौरान इस बात पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिये कि ऐसा कोई भी प्रयास इसके विकास में सहायक होना चाहिये न कि बाधक। यदि उपर्युक्त बातों पर गौर किया जाए तो भारत में ‘वित्तीय प्रौद्योगिकियों’ या ‘फिनटेक’ का विकास वित्तीय समावेशन के लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायक हो सकता है, अन्यथा इस राह में मुश्किलें बहुत आएंगी।


- कमलेश पांडेय

वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार

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