By कमलेश पांडे | Nov 07, 2024
जब शासक कमजोर होता है तो उपद्रवी हावी हो जाते हैं। भारत इस स्थिति से पिछले 7-8 दशकों से जूझ रहा है। इस दौरान अपराधियों ने अपराध के तरह-तरह के तरीके ईजाद कर लिए, राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क स्थापित कर लिए, लेकिन हमारी पुलिस अमूमन सांप भाग जाने के बाद लकीर पिटती रही। इससे आम जनता लुटती-पीटती रही, लेकिन हमारी संसद बेपरवाह बनी रही। सिस्टम की संवेदनशीलता के लिए लोग आस लगाए रहे, लेकिन वह अपराधियों को भी दलगत, जातीय, सांप्रदायिक, क्षेत्रीय और भाषाई नजरिये से देखती रही। न्यायिक पेंचीन्दगीयों से बचने की प्रशासनिक भाषा कुछ और होती है और सत्ताधीशों के गुर्गों को शह देते रहने की ऑफ द रिकॉर्ड भाषा कुछ और! तभी तो अपराधी बेलगाम रहे और पीड़ित जनता अपना सिर धुनती रही।
अब देखिए न, साइबर अपराधी नए-नए तरीके से लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं। कुकुरमुत्ते की तरह फैलते जा रहे साइबर ठग लोगों को डिजिटल अरेस्ट स्कैम में फंसा कर डराते-धमकाते हैं। इनके जाल में धोखे से फंसे लोगों पर मनी लॉन्ड्रिंग, ड्रग्स व अवैध गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाते हैं। और फिर उनकी मोटी कमाई लूट लेते हैं
ऐसा इसलिए कि पीपल फ्रेंडली पुलिस नहीं है, अन्यथा उनके नाम का खौंफ कैसा!। आखिर डिजिटल अरेस्ट स्कैम क्या है? आप इस प्रकार के सुनियोजित साइबर धोखाधड़ी से कैसे सुरक्षित रहें? यह यक्ष प्रश्न है?
सवाल है कि क्या आपको भी पार्सल के लिए कोई कॉल आया है? यदि हां, तो सावधान हो जाइए! क्योंकि कहीं यह डिजिटल अरेस्ट का जाल तो नहीं है? कारण कि देश भर में साइबर क्राइम तेजी से बढ़ता जा रहा है। साइबर ठग धोखाधड़ी के लिए डिजिटल अरेस्ट स्कैम कर रहे हैं और इसके जरिये ही पीड़ितों को करोड़ों रुपये का चूना लगा रहे हैं। आलम यह है कि डिजिटल अरेस्ट की बढ़ती घटनाओं पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी चिंता जता चुके हैं और इस तरह के स्कैम से सतर्क रहने के लिए देशवासियों को आगाह किया है। ऐसा इसलिए कि इस अभिजात्य अंतर्राष्ट्रीय चक्रव्यूह को भेदना उनके भी बूते की बात नहीं होगी। इसलिए उन्होंने आपको समय रहते ही सावधान कर दिया।
ऐसे में स्वाभाविक सवाल है कि क्या आप जानते हैं कि डिजिटल अरेस्ट क्या है और इसकी पहचान कैसे करें? इससे बचने के लिए क्या, कब और कैसे करें? इसके बारे में मैं आपको विस्तार से बता रहा हूँ। बस आप पढ़िए, गुनिए और लोगों को जागरूक बनाते रहिए।
# समझिए, डिजिटल अरेस्ट क्या है? इसमें कैसे लोग शामिल रहते हैं?
डिजिटल अरेस्ट एक प्रकार का साइबर स्कैम है, जिसमें फोन करने वाले कभी पुलिस, सीबीआई, नारकोटिक्स, आरबीआई और दिल्ली/मुंबई के पुलिस अधिकारी बनकर आत्मविश्वास पूर्वक बात करते हैं। खास बात यह वॉट्सएप या स्काइप कॉल पर जब वो आपको कनेक्ट करते हैं तो फर्जी अधिकारी भी एकदम असली जैसे लगते हैं। वे लोग पीड़ित को भावनात्मक और मानसिक तौर पर प्रताड़ित करते हैं। और यकीन दिलाते हैं कि उनके साथ, उनके परिजन के साथ कुछ बुरा हो चका है या होने वाला है। चूंकि सामने बैठा व्यक्ति पुलिस अधिकारी की वर्दी में होता है, लिहाजा ज्यादातर लोग डर जाते हैं और उनके जाल में फंसते चले जाते हैं। इस तरह से डिजिटल अरेस्ट में फर्जी सरकारी अधिकारी बनकर वीडियो कॉल के माध्यम से लोगों को डरा-धमकाकर उनसे बड़ी रकम वसूली जाती है जो गैरकानूनी काम है। आप थोड़ी सी सजगता बरतकर इससे निजात पा सकते हैं।
# जानिए, आखिर कैसे खेला जाता है डिजिटल अरेस्ट का गंदा खेल?
जब भी आपको किसी अनजान नंबर से व्हाट्सएप पर वीडियो कॉल आती है, तो उसे स्वीकार मत कीजिए। क्योंकि अक्सर +92 अंतर्राष्ट्रीय कोड से फेक कॉल आते रहते हैं। जिसमें किसी मामले में फंसने या परिजन के किसी मामले में पकड़े जाने का जानकारी दी जाती है। इसके अलावा, धमकी देकर वीडियो कॉल पर लगातार बने रहने के लिए मजबूर किया जाता है। अपने प्लान के मुताबिक स्कैमर्स मनी लॉन्ड्रिंग, ड्रग्स का धंधा या अन्य किसी अवैध गतिविधियों का आरोप लगाते हैं। साथ ही पीड़ित को परिवार या फिर दूसरे किसी को भी इस बारे में कुछ न बताने की धमकी देते हैं। अमूमन वीडियो कॉल करने वाले व्यक्ति का बैकग्राउंड पुलिस स्टेशन जैसा नजर आता है। जिससे पीड़ित को लगता है कि पुलिस उससे ऑनलाइन पूछताछ कर रही है या मदद कर रही है। फिर असली खेल शुरू होता है और केस को बंद करने और गिरफ्तारी से बचने के लिए मोटी रकम की मांग की जाती है। यहीं से आपका शक गहरा हो जाना चाहिए कि यह डिजिटल धोखाधड़ी वाला कॉल है। फिर इसे कट कर दें।
# आखिर आप अपने डिजिटल अरेस्ट को कैसे पहचानें, समझिए बारीकी से?
आपको अपने डिजिटल अरेस्ट की पहचान करने के लिए अतिशय सतर्कता की जरूरत है। यदि आपके पास किसी अनजान नंबर से कोई फोन या वॉट्सएप कॉल आती है तो रिसीव करते वक्त मुंबई या दिल्ली या स्थानीय पुलिस की एडवाइजरी को हमेशा याद रखें। आपकी सुविधा के लिए मैं मुंबई पुलिस की एडवाइजरी यहां प्रस्तुत कर रहा हूँ, जिसके मुताबिक आपको पता होना चाहिए कि कोई भी वैध पुलिस अधिकारी कभी भी अपनी पहचान बताने के लिए वीडियो कॉल नहीं करेंगे। पुलिस अधिकारी कभी भी आपको कोई एप डाउनलोड करने के लिए नहीं कहेंगे। पहचान पत्र, एफआईआर की कॉपी और गिरफ्तारी वारंट ऑनलाइन साझा नहीं किया जाएगा। पुलिस अधिकारी कभी भी वॉयस या वीडियो कॉल पर बयान दर्ज नहीं करते हैं। पुलिस अधिकारी कॉल पर पैसे या पर्सनल जानकारी देने के लिए डराते-धमकाते नहीं हैं। पुलिस कॉल के दौरान अन्य लोगों से बात करने से नहीं रोकती है। कानून में डिजिटल अरेस्ट का कोई प्रावधान नहीं है, क्राइम करने पर असली वाली गिरफ्तारी होती है।
# समझिए कि डिजिटल अरेस्ट से आप कैसे बचें और यदि फंस जाएं तो तत्काल क्या करें?
भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम (सीईआरटी-एन) ने लोगों को डिजिटल अरेस्ट से बचाने के लिए अपनी ओर से एक एडवाइजरी जारी की है, जिसमें उसने बताया डिजिटल अरेस्ट से कैसे बच सकते हैं...
पहला, सतर्क रहे, सुरक्षित रहें। कोई भी सरकारी जांच एजेंसी आधिकारिक संचार के लिए वॉट्सएप या स्काइप जैसे प्लेटफॉर्म्स का उपयोग नहीं करतीं। जबकि ऑनलाइन ठग इन्हीं का इस्तेमाल कर रहे हैं। शुरुआत में शक होने पर तुरंत फोन काट दें। फोन पर लंबी बातचीत करने से बचें।
दूसरा, इग्नोर करें। साइबर ठग डिजिटल अरेस्ट के लिए पीड़ितों को फोन कॉल, ई-मेल से संदेश भेजते हैं। बताते हैं कि आप मनी लॉन्ड्रिंग या चोरी जैसे अपराधों के तहत जांच के दायरे में हैं। ऐसे किसी कॉल और ई-मेल पर ध्यान न दें।
तीसरा, घबराएं नहीं। साइबर ठग कॉल पर बातचीत के दौरान गिरफ्तारी या कानूनी कार्रवाई की धमकी देते हैं। उनकी बातचीत और फर्जी तर्कों से घबराहट हो सकती है, लेकिन घबराना नहीं है। न ही बैंक डिटेल व यूपीआई आईडी शेयर करनी है।
चतुर्थ, जल्दबाजी करने से बचें। कॉल या वीडियो कॉल पर ठगों के सवालों और तर्कों का जवाब देने में जल्दबाजी न करें। शांत रहें, सिर्फ सुनें। अनजान नंबरों से आए सामान्य और वीडियो कॉल पर भी कोई निजी जानकारी न दें।
पंचम, साक्ष्य जुटाएं। कॉल के स्क्रीनशॉट या वीडियो रिकॉर्डिंग सेव करें ताकि आवश्यक होने पर उपयोग कर सकें।
छठा, फिशिंग से बचें। कॉल के अलावा ई-मेल के जरिए ऐसे संदेश भेजे जा रहे हैं, जो अविश्वसनीय लगते हैं, ये फिशिंग के मामले हैं। इसमें ठग आपके कंप्यूटर तक पहुंचकर व्यक्तिगत जानकारी चुराते हैं।
सप्तम, धोखाधड़ी को रिपोर्ट करें। किसी भी संदिग्ध गतिविधि की तुरंत साइबर क्राइम हेल्पलाइन 1930 या वेबसाइट cybercrime.gov.in पर रिपोर्ट करें।
# सवाल: क्या फर्जी कॉल्स की ऑनलाइन शिकायत कर सकते हैं? चक्षु पोर्टल पर शिकायत कैसे करें?
व्हाट्सएप पर आने वाली तमाम फर्जी कॉल्स और मैसेज को रोकने के लिए टेलीकॉम विभाग ने 'चक्षु'(Chakshu) नाम से एक पोर्टल लॉन्च किया है। जिस पर स्पैम कॉल, मैसेज, वॉट्सएप पर आने वाली फर्जी कॉल्स व मैसेज की शिकायत कर सकते हैं। सबसे पहले 'संचार साथी' पोर्टल की ऑफिशियल वेबसाइट (sancharsaathi.gov.in) पर जाएं।फिर, 'सिटीजन सेंट्रिक सर्विसेज' पर क्लिक करें। उसके बाद 'रिपोर्ट सस्पेक्टेट फ्रॉड कम्युनिकेशन' पर क्लिक करें। ततपश्चात, 'कंटीन्यूअस फॉर रिपोर्टिंग' के ऑप्शन पर जाएं। फिर, यहां एक फॉर्म का पेज खुलेगा, जिसमें फर्जी कॉल या मैसेज की जानकारी भरें। उसके उपरांत फॉर्म में एक 'फ्रॉड लिस्ट' नजर आएगी। वहां अपनी शिकायत पर क्लिक करें। ततपश्चात इसमें 'फेक कॉल' या 'मैसेज' का स्क्रीनशॉट भी अपलोड करें। सबसे अंत में अपना 'मोबाइल नंबर' और 'नाम' लिखें। फिर 'कैप्चा' कोड और 'ओटीपी' वेरिफिकेशन के बाद फॉर्म सबमिट कर दें।
# हमेशा ध्यान रखें दिल्ली/महाराष्ट्र पुलिस की चेतावनी, क्योंकि डिजिटल अरेस्ट से होता है करोड़ों का नुकसान!
डिजिटल अरेस्ट, फर्जी मैट्रिमोनियल वेबसाइट, डेटिंग ऐप्स, केवाईसी, ओटीपी, क्यूआर कोड और व्हाट्सएप, टेलीग्राम और रोजगार साइटों के जरिये भी ऑनलाइन धोखाधड़ी से सतर्क रहें। वहीं, गृह मंत्रालय की साइबर विंग के मुताबिक, डिजिटल अरेस्ट के जरिये साइबर ठग हर दिन मासूमों से छह करोड़ रुपये लूट रहे हैं। इस साल अक्टूबर तक डिजिटल अरेस्ट के कुल 92,334 मामले सामने आए हैं, जिनमें 2140 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी हुई है। अगर औसत निकाला जाए तो हर माह 214 करोड़ रुपये की साइबर ठगी हुई है। यह एक बेहद छोटा सा आंकड़ा है, जबकि असली नंबर इससे कहीं बहुत ज्यादा है। बहुत सारे लोग तो डर और बदनामी की वजह से सामने ही नहीं आते हैं। इसलिए जब भी ऐसी स्थिति में फंसे तो लोकल पुलिस को अवश्य भरोसे में लें। अन्यथा आपको भारी क्षति होगी।
- कमलेश पांडेय
वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार