क्या है चीन की Panda Diplomacy, जिसे समझने में लगे हैं दुनियाभर के देश, प्यारा सा दिखने वाला जानवर बन गया सबसे खतरनाक हथियार?

By अभिनय आकाश | Nov 17, 2023

पॉवर आम तौर पर 5 तरीकों से झलकती है। पहला, सबसे आम और सबसे आसानी से समझा जाने वाला, हार्ड पावर है। यह जबरदस्ती की शक्ति है, जब शक्तिशाली इंसान दूसरे को अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए मजबूर करने की क्षमता रखता है। हार्ड पावर आम तौर पर सैन्य शक्ति का एक हिस्सा है और अंतरराष्ट्रीय संबंधों की अधिकांश चर्चाओं में इसका ही वर्चस्व रहा है। पॉवर का दूसरा रूप शीत युद्ध के बाद से तेजी से चर्चा में रहा जिसे सॉफ्ट पावर के नाम से पहचाना गया। यह शब्द 1990 में हार्वर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जो नी द्वारा गढ़ा गया था और यह मूल्यों और प्राथमिकताओं के माध्यम से दूसरों को आकर्षित या सहयोग करके नेतृत्व करने की क्षमता को संदर्भित करता है, जो इसे हाप्ड पॉवर के विपरीत है। इसे पाना कठिन है और खोना आसान है। तीसरे प्रकार की शक्ति आर्थिक है। इसका उपयोग ज़बरदस्ती किया जा सकता है, जैसे प्रतिबंधों में या प्रलोभन के माध्यम से किसी को आकर्षित करने में। कुछ लोग इसे स्टिकि पॉवर के रूप में संदर्भित करते हैं।

हालिया वर्षों में किसी देश की राजनीतिक व्यवस्था को प्रभावित करने और कमजोर करने के लिए अन्य देश द्वारा पॉवर या जोड़-तोड़ वाली कूटनीतिक नीतियों के उपयोग चर्चा में आई। इसमें दुष्प्रचार, सोशल मीडिया और संयुक्त मोर्चे की रणनीति शामिल है। इसे स्मार्ट पॉवर कह सकते हैं। लेकिन पॉवर के एक और वर्जन से दुनिया का परिचय तो वर्षों पहले हो गया लेकिन ये ज्यादा चर्चा में नहीं रहा। इसे डंब पॉवर कहा जाता है। इस शब्द का उपयोग हार्वर्ड के प्रोफेसर ग्राहम एलीसन द्वारा चीनी अधिकारियों की तरफ से वाशिंगटन में स्मिथसोनियन नेशनल चिड़ियाघर से सभी तीन पांडा की वापसी की आवश्यकता के निर्णय का वर्णन करने के लिए किया गया था। हाल ही में अमेरिका के चिड़ियाघर से तीन पांडा- मेई शियांग, तियान तियान और उनका शाव क्वी जी को वापस चीन को लौटाया गया है। अब एक बार फिर से चीन के पांडा खबरों में बने हुए हैं और इसके साथ ही उसकी अमेरिका से रिश्ते सुधारने की डिप्लोमेसी भी। 

इसे भी पढ़ें: पड़ोसी देश में चुनाव, भरपूर है राजनीतिक तनाव, भारत, चीन और पाकिस्तान तीनों की नजर क्यों है टिकी हुई?

क्या है पांडा डिप्लोमेसी

पांडा दक्षिण मध्य चीन में पाया जाने वाला भालू प्रजाति का एक जानवर है ये तो आप सभी जानते हैं। ये पांडा चूकिं चीन में ही पाया जाता है। इसलिए चीन के राष्ट्र की पहचान भी कहा जाता है। जिन देशों के साथ चीन के अच्छे संबंध होते हैं। अथवा जिन देशों के साथ चीन अपने संबंधों को सुधारना चाहता है तो उसे उपाहार के तौर पर पांडा ही भेंट करता है। इससे पता चलता है कि चीन इन देशों के साथ अपने संबंध को महत्ता दे रहा है। इसे ही चीन की पांडा कूटनीति कहते हैं। चीन ने 1957 में यूएसएसआर को अपना पहला पांडा पिंग पिंग गिफ्ट के तौर पर दिया था।

निक्सन और माओ की मुलाकात और गिफ्ट में 2 पांडा

1972 में जब अमेरिका के राष्ट्रपति निक्सन पहली बार अपनी ऐतिहासिक यात्रा पर चीन गए थे तो चीन ने उन्हें दो पांडे ही भेंट किए थे। इस यात्रा के बाद से ही चीन और अमेरिका के संबंधों में सुधार हुआ था। इसी के चलते चीन ने ब्रिटेन, जापान और अन्य देशों को भी पांडा भेंट किया था। ताकी इन देशों के साथ उसके संबंध आगे मजबूत हो सके। चीन के बारे में कहा जाता है कि वो हर चीज में कारोबार और मुनाफा देखता है। दुनिया के कई देशों को चीन ने उनके चिड़ियाघरों में रखने के लिए लोन पर पांडा दिए हैं और इसे दोस्ती का नाम दिया। 

इसे भी पढ़ें: Prabhasakshi Exclusive: Xi Jinping-Joe Biden Meeting में ऐसा क्या हुआ जिससे भारत को चिंतित होने की जरूरत है?

अमेरिका में नए पांडा भेजना चाहता है चीन

राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने संकेत दिया कि चीन एक बार फिर अमेरिकी चिड़ियाघरों में भालू भेजकर अमेरिका के साथ अपनी पांडा डिप्लोमेसी को कायम करेगा। ये दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच संबंधों को स्थिर करने के उनके इरादे का संकेत है। सैन फ्रांसिस्को में APEC शिखर सम्मेलन के मौके पर व्यावसायिक अधिकारियों के साथ डिनर के दौरान शी ने कहा कि पांडा लंबे समय से चीनी और अमेरिकी लोगों के बीच दोस्ती के दूत रहे हैं। पांडा संरक्षण पर संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ अपना सहयोग जारी रखने के लिए तैयार हैं, और कैलिफ़ोर्नियावासियों की इच्छाओं को पूरा करने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करेंगे ताकि हमारे लोगों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों को गहरा किया जा सके। शी की टिप्पणी अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ अपनी पहली बैठक से बाहर आने के कुछ घंटों बाद आई। 

1 पांडा के बदले 1 मिलियम की राशि देनी पड़ती है

1972 में जब निक्सन और माओ की मुलाकात के बाद पांडा डिप्लोमेसी शुरू हुई तो न्यूयॉर्क टाइम्स ने इसे नम्रता से लड़ी जाने वाली जंग यानी पोलाइट वॉरफेयर कहा था। चीन ये जानवर अमेरिका और दूसरे देशों को सालान किराए पर देता है। चीन ने साल 1941 से लेकर 1984 तक दूसरे देशों को पांडा गिफ्ट किए। लेकिन 1984 के बाद इस नीति में बदलाव करते हुए वो दूसरे देशों में आने वाले पांडा पर ट्रैक्स लगाना शुरू कर दिया। चीन जिन देशों को पांडा देता है उन्हें हर साल चीन को 1 पांडा के बदले 1 मिलियम की राशि देनी पड़ती है। संरक्षण परियोजनाओं की तरफ से दिए जाते हैं। पिछले साल फरवरी में रिपल्बिकन पार्टी की सांसद नैंसी मेस ने एक बिल पेश किया था। इसमें पांडा डिप्लोमेसी पर दोबारा विचार करने की बा कही गई थी। उनका कहना था कि पांडा डिप्लोमेसी को खत्म करना चाहिए, क्योंकि इसके जरिए चीन अपनी करतूतों को छिपाने की कोशिश करता है। 


प्रमुख खबरें

भारत दूसरों को अपने फैसलों पर वीटो लगाने की अनुमति नहीं दे सकता: जयशंकर

National Mathematics Day 2024: रामानुजन के गणितीय सूत्र दुनिया भर के गणितज्ञों के लिए आज भी पहेली हैं

फरीदाबाद में महिला ने प्रेमी और साथियों के साथ मिलकर पति की हत्या की साजिश रची, एक गिरफ्तार

वाराणसी में बदमाशों ने सर्राफा कर्मचारी और उसके बेटे को गोली मारकर आभूषण लूटे