By अभिनय आकाश | Mar 27, 2025
इधर बांग्लादेश के अंतरिम प्रधानमंत्री मोहम्मद युनूस चीन पहुंचे और उधर अमेरिका के टॉप जनरल बांग्लादेश पहुंच चुके हैं। अमेरिकी सेना के टॉप सैन्य अधिकारी ने बांग्लादेश पहुंचने के साथ ही वहां के सेना प्रमुख के साथ मुलाकात की और जरूरी बैठक का हिस्सा भी बने। अमेरिका ने क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए बांग्लादेश की सेना के साथ इस बैठक को रखा था। इस बैठक की सामने आई डिटेल्स का यूं तो मौजूदा अटकलों से कोई लेना देना नहीं है। लेकिन खबरें अब और ज्यादा तेज हो गई हैं। तनाव के बीच और अंतरिम बांग्लादेश के प्रधानमंत्री के चीन दौरे के बीच अमेरिका के किसी टॉप अधिकारी का बांग्लादेश पहुंचना अपने आप में बहुत बड़ा और खास है। बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के खिलाफ नाराजगी बढ़ने के चलते युनूस सरकार का काउंटडाउन शुरू हो गया है। सत्ता संभालने के बाद सात महीनों में मो. युनूस के खिलाफ माहौल बनने लगा है, और अब यह अटकलें जोरों पर हैं कि सेना जल्द ही उन्हें सत्ता से बेदखल कर सकती है। हाल ही में बांग्लादेश सेना के शीर्ष अधिकारियों की एक बैठक के बाद इस बात को लेकर चर्चा तेज हो गई है।
सेना ने बुलाई आपात बैठक
दरअसल, सेना के भीतर इस बात को लेकर नाराजगी है कि यूनुस सरकार की नीतियों और उसके नेताओं के बयानों ने सैन्य प्रतिष्ठान की छवि को नुकसान पहुंचाया है। बैठक में मौजूद अधिकारियों ने कहा कि अब सेना को सरकार की नाकामी का बोझ अपने ऊपर नहीं लेना चाहिए। बैठक में इस बात पर सहमति बनी कि सेना को अपनी साख बचाने के लिए सत्ता को हाथ में लेना जरूरी है। बांग्लादेश में अविश्वास के माहौल में कानून और व्यवस्था की ज़िम्मेदारी संभाल रही सेना की चुनौतियाँ बढ़ गई हैं। ऐसे में सेनाध्यक्ष वकार उज जमां ने एक आपात बैठक बुलाई। सेनाध्यक्ष की बुलाई बैठक में शीर्ष सैन्य अधिकारियों ने भाग लिया, जिनमें 5 लेफ्टिनेंट जनरल, 8 मेजर जनरल (जीओसी), स्वतंत्र ब्रिगेड के कमांडिंग अधिकारी और सेना मुख्यालय के अधिकारी शामिल थे।
सेना और बीएनपी ने खोला कट्टरपंथियों के खिलाफ मोर्चा
बीएनपी महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने देश में कट्टरपंथियों के उभार पर निशाना साधते हुए कहा है जिन लोगों ने बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान सामूहिक हत्याओं में पाकिस्तानी सेना का सहयोग किया था, वो अब ऊंची आवाज़ में बोल रहे हैं। कुछ लोग, कुछ दल, कुछ समूह ऐसा दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि जैसे 1971 कभी हुआ ही नहीं। वकार ने कहा है कि बांग्लादेश में आतंकी हमले का खतरा है। जनरल जमान ने कमांडरों की बैठक में कट्टरपंथियों के खिलाफ एक्शन का आदेश भी दे दिया है। उन्होंने इसके साथ ही कहा है कि देश की सुरक्षा के लिए मुझे सड़कों पर सेना उतारनी होगी। इसका सीधा मतलब ये है कि मोहम्मद यूनुस के तख्तापलट के दौरान जो कट्टकरपंथी सड़कों पर दंगे करने उतरेंगे उन्हें रोकने के लिए पहले से ही सेना तैनात होगी।
युनूस ने अफवाह बताया
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख सलाहकार प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस ने मंगलवार को राष्ट्र को संबोधित करते हुए सरकार के तख्तापलट की खवरों को अफवाह वताया। उन्होंने कहा कि देश में अस्थिरता फैलाने और लोगों को गुमराह करने के लिए झूठी जानकारी फैलाई जा रही है। टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार, यूनुस ने दावा किया कि सोशल मीडिया पर दूसरे देशों की घटनाओं को वांग्लादेश की घटनाओं के रूप में पेश कर सनसनी फैलाई जा रही है। उन्होंने इन गतिविधियों के लिए अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग पार्टी को जिम्मेदार ठहराया। आप सभी जानते हैं कि इसके पीछे कौन है और क्यों हमारी एकता ही इन भगोड़ी ताकतों के लिए परेशानी का कारण वन रही है। वे इस एकता को तोड़ना चाहते हैं। उन्होंने आगाह किया कि जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आएंगे, ऐसी अफवाहें और भी तेज होंगी।
अपराध, भ्रष्टाचार, हिंसा बढ़ने और निवेश कम होने से ठनी
सेना का कहना है कि यूनुस सरकार हर मोर्चे पर फेल है। देश में अपराध, भ्रष्टाचार और हिंसा बढ़ रही है। इसके अलावा बांग्लादेश की रीढ़ कहे जाने वाले गारमेंट सेक्टर की हालत खस्ता होती जा रही है। 150 से ज्यादा फैक्ट्रियां बंद हो चुकी हैं और विदेशी निवेश 71% तक गिर गया है। अमेरिका, भारत और रूस से रिश्ते खराब हो रहे हैं।
अभी तीन विकल्पों पर विचार कर रही सेना
बांग्लादेश सेना के उच्च अधिकारियों के अनुसार सेना तीन विकल्पों पर विचार कर रही है।
विकल्प 1: सेना कानून-व्यवस्था बहाल करने के नाम पर अंतरिम सरकार में सीमित हस्तक्षेप कर सकती है।
विकल्प 2: इमरजेंसी लागू कर यूनुस सरकार को किनारे कर सकती है।
विकल्प 3: सीधे सत्ता संभालकर देश को चुनाव की ओर ले जा सकती है। हालांकि, सूत्रों की मानें तो सेना तीसरा विकल्प अपना सकती है। सेना सीधे सत्ता हाथ में लेकर दिसंबर में चुनाव करवाने का कदम उठा सकती है।
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