By नीरज कुमार दुबे | Jun 01, 2024
इस साल महाशिवरात्रि के पर्व पर यानि 8 मार्च 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से शुरू हुई प्रभासाक्षी की चुनाव यात्रा 1 जून 2024 यानि लोकसभा चुनावों के सातवें और अंतिम चरण के मतदान के दिन तक चली। अपनी इस यात्रा के दौरान हमने मैदानी और पहाड़ी इलाकों से लेकर सुदूर क्षेत्रों, सीमाई इलाकों और दुर्गम स्थलों तक का दौरा किया और इस बात की पड़ताल की कि क्या वाकई में सरकार की योजनाएं अंतिम पायदान तक खड़े व्यक्ति तक पहुँच रही हैं या नहीं। जब हमने अपनी यात्रा शुरू की थी तो तापमान 18 डिग्री था और यात्रा के समापन के समय यह 50 डिग्री के आसपास रहा। बढ़ते तापमान की वजह से बढ़ती चुनौतियों के बावजूद हमारी यात्रा अनवरत इसलिए जारी रह पाई क्योंकि लोकतंत्र का यह पर्व हमको ऊर्जावान बनाता रहा। हमने अपनी इस यात्रा के दौरान पाया कि सिर्फ बड़े-बड़े नेताओं के बयानों के चलते ही चुनाव प्रचार असल मुद्दों से नहीं भटक रहा है अपितु सोशल मीडिया के इस युग में तमाम तरह का प्रचार तंत्र निचले स्तर पर भी विभिन्न भ्रामक बातों को फैला रहा है जिससे खासतौर पर कम पढ़े-लिखे या अशिक्षित लोग बहक जा रहे हैं। इस देशव्यापी यात्रा के दौरान हमने यह भी पाया कि नेता भले अपने बयानों से भाषा, धर्म या जाति के आधार पर बांटने की कोशिश करते रहें लेकिन समाज पूरी तरह एकजुट है और ना दक्षिण की जनता उत्तर की भाषा, संस्कृति की विरोधी है ना ही उत्तर में दक्षिण की भाषा, संस्कृति या खान-पान को लेकर किसी तरह का कोई विरोध है। पूरा देश विविधता का सम्मान करता है और इसका आनंद लेते हुए खुद को किसी इलाके तक सीमित नहीं रखते हुए भारतीय होने पर गर्व महसूस करता है।
शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में अब क्या अंतर नजर आ रहा है?
इस यात्रा के दौरान हमने शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के जनजीवन के बीच दूर होते अंतर को पाया। शहरी जनता की तरह सुदूर क्षेत्रों में रहने वाली जनता भी वीडियो कॉल करती है। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों की जनता का रोजाना का औसत डेटा खर्च भी लगभग बराबर ही है क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों का ज्यादातर वक्त मोबाइल पर ज्ञानवर्धक और मनोरंजक कार्यक्रम देखने में बीतता है। यही कारण है कि ग्रामीण जनता राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों को लेकर शहरी जनता से ज्यादा जागरूक है। शहरी जनता की तरह ग्रामीण जनता भी अब मोबाइल से पेमेंट करती है। शहरों की तरह ग्रामीण क्षेत्रों में बड़े-बड़े मॉल भले नहीं हों लेकिन छोटे और मध्यम स्तर तक के मॉल हर इलाके में पहुँच चुके हैं और ब्रांडेंड वस्तुओं पर अब शहरी जनता का एकाधिकार नहीं रह गया है। ग्रामीण इलाकों में भी शहरों की तरह दोपहिया और चार पहिया वाहन अच्छी संख्या में पहुँच चुके हैं। समृद्धि के मामले में देखें तो ग्रामीण इलाके तरक्की कर रहे हैं लेकिन शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं ऐसी चीजें हैं जिनमें अब भी बहुत सुधार की जरूरत है। रोजगार हमारे यहां एक बड़ा चुनावी मुद्दा हमेशा से रहा है लेकिन युवाओं से बात करने पर एक बात स्पष्ट हो जाती है कि हर युवा रोजगार के पीछे नहीं भागना चाहता बल्कि वह स्वरोजगार करना चाहता है और नौकरी प्रदाता बनना चाहता है। युवाओं का कहना रहा कि हमें मुफ्त में कुछ नहीं चाहिए और हम नहीं चाहते कि जैसे हमारे माता-पिता ने सरकार पर निर्भर होकर अपनी जिंदगी गुजारी उस तरह का जीवन हम भी गुजारें। युवा सिर्फ अवसरों का सृजन चाहते हैं ताकि वह अपने पैरों पर खड़े हो सकें।
यात्रा के दौरान हमने देश में क्या देखा
इस यात्रा के दौरान हमने राष्ट्रीय स्तर पर एक चीज और देखी कि महिलाओं का ज्यादातर समर्थन मोदी सरकार को रहा। पुरुष मतदाता विभिन्न मुद्दों को लेकर विभाजित दिखे लेकिन महिलाओं के मन में दूसरा कोई विकल्प नहीं था। केंद्रीय योजनाओं के केंद्र में महिलाओं को रखना, महिला आरक्षण कानून बनाना, महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कदम उठाना और बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान को आंदोलन बनाकर महिलाओं की सामाजिक स्थिति में सुधार करना, तीन तलाक की प्रथा को खत्म करना, प्रधानमंत्री आवास योजना, महिलाओं को घर का मालिकाना हक दिलाने के लिए कदम बढ़ाना, अन्न योजना, आयुष्मान योजना, शौचालय, गैस कनेक्शन और बैंक खाते की सुविधा प्रदान करना आदि ऐसे कदम रहे जिसका शहरी से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक की महिलाओं पर खूब असर दिखा। ग्रामीण क्षेत्रों की कुछ गरीब महिलाओं ने कहा कि पति शराब पीकर सो जाता है लेकिन हमें इस बात की चिंता नहीं रहती कि बच्चे क्या खाएंगे क्योंकि मोदी जी फ्री राशन दे रहे हैं। कुछ लोगों ने कहा कि पहले घर में किसी का स्वास्थ्य खराब हो जाता था तो हम कुछ कर नहीं पाते थे लेकिन अब हमारी जेब में हमेशा पांच लाख रुपए वाला आयुष्मान कार्ड पड़ा रहता है जिससे हम अपनी स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें दूर कर सकते हैं। एक महिला ने कहा कि मैंने अपने पति का हृदय का ऑपरेशन करवाया और यह सब सिर्फ मोदी जी की ही बदौलत संभव हो सका। प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभार्थियों से जब हम मिले तो घर की छत मिलने की उनकी खुशी देखी जा सकती थी। महिला सुरक्षा ऐसा बड़ा मुद्दा रहा जिस पर सभी महिलाओं ने कहा कि अब हम शाम को या रात को घर से निकल सकती हैं और किसी बात का डर नहीं रहता। छात्राओं ने कहा कि हम अब कॉलेज जाते हैं तो दस बार घर वालों का फोन नहीं आता क्योंकि उन्हें पता होता है कि अब हम पहले से ज्यादा सुरक्षित माहौल में रह रहे हैं।
बहरहाल, इस चुनाव यात्रा के दौरान हमें संपूर्ण भारत वर्ष को एक बार फिर करीब से जानने का अवसर मिला। हमने लोगों के मुद्दों को समझा और अपनी रिपोर्टों के माध्यम से उन्हें उठाते हुए कई समस्याओं का समाधान भी करवाया। सवा दो महीने के इस लंबे सफर के दौरान हमने 30 हजार से ज्यादा किलोमीटर का सफर किया, 400 के आसपास संसदीय सीटों का हाल आप तक पहुँचाने के लिए कई दिन ऐसे भी रहे जब हमने अपनी नींद सफर के दौरान ही पूरी की। गर्मी के मौसम में ग्राउण्ड रिपोर्ट तैयार करने के दौरान अक्सर पसीने से तरबतर रहने वाली प्रभासाक्षी टीम ने मौसमी चुनौतियों की परवाह नहीं करते हुए जनता की आवाज निष्पक्षता के साथ उठाई। हमें उम्मीद है कि हमारा यह सफर आपको पसंद आया होगा और आप आगे भी हमारा उत्साह बढ़ाते रहेंगे।
-नीरज कुमार दुबे