By अंकित सिंह | Jul 24, 2021
इस सप्ताह भी राजनीतिक उथल-पुथल खूब रही। सत्ता पक्ष और विपक्ष में आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी चलता रहा। पेगासस मामला, तीन कृषि कानून, ऑक्सीजन की कमी से कोरोना महामारी के दौरान मौत के मुद्दे को लेकर विपक्ष ने सरकार को सड़क से लेकर संसद तक घेरा। इसके अलावा आखिरकार काफी उठापटक के बाद सिद्धू को पंजाब कांग्रेस की कमान सौंप दी गई है। साथ ही साथ क्या सोनिया गांधी 2024 तक कांग्रेस के अध्यक्ष बने रहेंगे? इन्हीं तमाम विषयों पर हमने प्रभासाक्षी के साप्ताहिक कार्यक्रम चाय पर समीक्षा में चर्चा की। चाय पर समीक्षा में प्रभासाक्षी के संपादक नीरज कुमार दुबे मौजूद रहे।
संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही बाधित रहने पर नीरज दुबे ने कहा कि संसद के मानसून सत्र की कार्यवाही लगातार बाधित हो रही है। जब लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति यह कह रहे हैं कि नियमों के तहत विपक्ष को हर मुद्दे को उठाने की अनुमति दी जायेगी और सरकार से जवाब माँगने का अवसर दिया जायेगा तो यह हँगामा क्यों? प्रधानमंत्री भी जब कह चुके हैं कि विपक्ष तीखे से तीखे सवाल पूछे लेकिन सरकार को जवाब देने का मौका भी प्रदान करे तो यह हँगामा क्यों? महामारी से उबरता हुआ देश जब फिर से आगे बढ़ने का प्रयास कर रहा है तो कुछ लोग उसे पीछे ले जाने पर क्यों आमादा हैं?
यही नहीं, संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा जिसको बुद्धिजीवियों का भी सदन कहा जाता है वहाँ हाल के दिनों में कुछ इस प्रकार के वाकये हुए हैं जोकि संसदीय आचरण के विपरीत हैं। राज्यसभा में गुरुवार को तृणमूल कांग्रेस के एक सदस्य ने सूचना प्रौद्योगिकी और संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव के हाथों से कागज छीना और उसके टुकड़े कर उन्हें हवा में लहरा दिया। यह आचरण देखकर आम आदमी के मन में यही बात आती है कि वह जिन नेताओं से देश के भले उम्मीद लगाये हुए हैं वह मिल बैठकर किसी मुद्दे का समाधान भी नहीं निकाल सकते। उल्लेखनीय है कि राज्यसभा में ही पिछले मानसून सत्र के दौरान जब कृषि सुधार विधेयकों को पारित किया जा रहा था तब उपसभापति के साथ भी असंसदीय व्यवहार किया गया था।
पंजाब मसले पर नीरज दुबे ने कहा कि करीब चार महीनों बाद चाय पर मिले कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच के सारे मतभेद दूर हो गये हैं ऐसा कहना जल्दबाजी होगी क्योंकि तस्वीरें कुछ और ही बयां कर रही हैं। वैसे ना तो सिद्धू अमरिंदर की चाय पार्टी में जाना चाहते थे और ना ही अमरिंदर सिद्धू को बुलाना चाहते थे लेकिन पार्टी आलाकमान के दबाव के चलते यह एकजुटता वाली तस्वीर खिंचवाना जरूरी था। अमरिंदर ने इसके साथ ही सिद्धू के पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष का पदभार संभालने के दौरान उपस्थित रहकर भी पार्टी में 'ऑल इज वेल' का संकेत देने का प्रयास भले किया हो लेकिन पंजाब कांग्रेस में चल क्या रहा है यह सबको नजर आ रहा है। लेकिन इस सबसे कांग्रेस आलाकमान बहुत खुश है क्योंकि उसने उस राज्य में अपनी बात मनवा ली है जहाँ अब तक यह माना जाता था कि अमरिंदर ही सरकार भी हैं और पार्टी भी।
शांतनु सेन के निलंबन, पेगासस विवाद पर विपक्षी दलों का हंगामा, राज्यसभा बार बार हुई बाधित
तृणमूल कांग्रेस सदस्य शांतनु सेन के निलंबन और पेगासस जासूसी विवाद के मुद्दों पर विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण राज्यसभा की कार्यवाही तीन बार के स्थगन के बाद दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई। सेन को सदन में कल उनके अशोभनीय आचरण के लिए राज्यसभा के मौजूदा सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित कर दिया गया। इसके बाद तृणमूल एवं अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों के हंगामे के कारण संसद में व्यवधान पैदा हुआ। लिहाजा दो बार के स्थगन के बाद सदन की कार्यवाही दोपहर ढाई बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। दोपहर ढाई बजे जब कार्यवाही आरंभ हुई तो विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने पेगासस जासूसी विवाद का मुद्दा उठाना चाहा और कहा कि उन्होंने नेताओं, उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों, पत्रकारों और अन्य लोगों की जासूसी संबंधी आरोपों के बारे में एक नोटिस दिया है। पीठासीन सभापति भुवनेश्वर कालिता ने कहा कि इस बारे में सरकार की तरफ से पहले ही बयान दिया जा चुका है। इसी बीच, राज्यसभा में उपनेता मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि इस मुद्दे को उठाया जा चुका है ओर इस पर सूचना प्रौद्योगिकी और संचार मंत्री का बयान आ चुका है। उन्होंने कहा, ‘‘इस दौरान किस तरह का व्यवहार विपक्ष के कुछ लोगों ने उनके साथ किया था यह देश ने देखा है।
नकवी बोल ही रहे थे कि कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस सहित कुछ अन्य विपक्षी दलों ने हंगामा प्रारंभ कर दिया। इसके तुरंत बाद ही कालिता ने सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी। गौरतलब है कि मीडिया संस्थानों के अंतरराष्ट्रीय गठजोड़ ने दावा किया है कि केवल सरकारी एजेंसियों को ही बेचे जाने वाले इजराइल के जासूसी सॉफ्टवेयर के जरिए भारत के कुछ रसूखदार लोगों सहित बड़ी संख्या में कारोबारियों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के 300 से अधिक मोबाइल नंबर, हो सकता है कि हैक किए गए हों। इससे पहले, सुबह सदन की कार्यवाही आरंभ होते ही दो दिवंगत सांसदों को श्रद्धांजलि दी गई और फिर सभापति एम वेंकैया नायडू ने इस पर गहरा क्षोभ व्यक्त किया कि संसद का मानसून सत्र शुरू होने के बाद अब तक केवल कोविड-19 महामारी के मुद्दे पर चार घंटे की चर्चा हो पाई है और इसके अलावा कोई अन्य कामकाज हंगामे की वजह से नहीं हो पाया। उन्होंने कहा कि कोविड महामारी की विभीषिका के बीच यह सत्र आयोजित हुआ है और जनता से जुड़े कई अहम मुद्दों पर चर्चा की जानी है। सभापति ने बृहस्पतिवार को सदन में हुए हंगामे और इस दौरान शांतनु सेन सहित अन्य विपक्षी नेताओं के आचरण का जिक्र किया और इसे अशोभनीय बताया। सभापति ने कहा कि कल जो कुछ हुआ, निश्चित रूप से उससे सदन की गरिमा प्रभावित हुई। गौरतलब है कि सेन ने बृहस्पतिवार को केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव के हाथों से ‘‘पैगासस विवाद’’ संबंधी बयान की प्रति छीन ली थी और उसके टुकड़े कर हवा में लहरा दी थी। संसदीय कार्य राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने कल की घटना को लेकर शांतनु सेन को सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित किए जाने का प्रस्ताव रखा। इसके बाद नायडू ने सेन को सत्र की शेष अवधि से निलंबित किए जाने की घोषणा की। तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने इसका विरोध किया और उसके सदस्य शुखेंदु शेखर रॉय ने कहा कि मुरलीधरन ने अचानक से सेन के निलंबन का प्रस्ताव पेश कर दिया लेकिन सदन में आज की कार्यसूची में इसका कोई उल्लेख नहीं था।
सभापति ने उनकी आपत्ति को खारिज कर दिया। कांग्रेस के सदस्य जयराम रमेश भी इस मुद्दे पर कुछ बोल रहे थे लेकिन हंगामे की वजह से उनकी बात नहीं सुनी जा सकी। इसी बीच, तृणमूल कांग्रेस सदस्यों ने हंगामा आरंभ कर दिया। नायडू ने सेन को सदन से बाहर जाने को कहा लेकिन वह अपनी सीट पर बैठे रहे। तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने सेन के निलंबन की घोषणा पर आपत्ति जताते हुए हंगामा तेज कर दिया। सभापति ने सदस्यों से शांत रहने और कामकाज चलने देने की अपील की। लेकिन सदन में व्यवस्था बनते न देख उन्होंने बैठक को 11 बज कर करीब 25 मिनट पर दोपहर बारह बजे तक के लिए स्थगित कर दिया। नियमों के मुताबिक जब तक निलंबित सदस्य सदन से बाहर नहीं जाते तब तक सदन में कोई कामकाज नहीं हो सकता। जैसे ही दोपहर 12 बजे सदन की कार्यवाही आरंभ हुई, उपसभापति हरिवंश ने निलंबित सदस्य शांतनु सेन को यह कहते हुए सदन से बाहर जाने को कहा कि उनके निलंबन का प्रस्ताव मंजूर कर लिया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘कृपया आप सदन से बाहर चले जाएं।’’ इसी समय तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने हंगामा आरंभ कर दिया। लिहाजा, उपसभापति ने सदन की कार्यवाही दोपहर 12.30 बजे तक स्थगित कर दी गई। इसके बाद जब सदन की कार्यवाही आरंभ हुई तो सदन की स्थिति ज्यों की त्यों बनी रही। सेन सदन में मौजूद थे। उपसभापति ने सेन से बार-बार आग्रह किया कि उनके खिलाफ निलंबन का प्रस्ताव मंजूर किया जा चुका है लिहाजा वह सदन से बाहर चले जाएं लेकिन वह अपनी सीट पर बैठे रहे। जब सेन सदन से बाहर नहीं गए तो उपसभापति ने सदन की कार्यवाही दोपहर ढाई बजे तक के लिए स्थगित कर दी। इससे पहले, हंगामे के कारण सदन में आज भी शून्यकाल और प्रश्नकाल नहीं हो सके।
पेगासस सहित अन्य मुद्दों पर लोकसभा में विपक्ष का हंगामा, बैठक दिनभर के लिये स्थगित
पेगासस जासूसी मामला, तीन नये केंद्रीय कृषि कानूनों सहित विभिन्न मुद्दों पर कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी सदस्यों के भारी हंगामे के कारण लोकसभा की कार्यवाही एक बार के स्थगन के बाद करीब सवा 12 बजे दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई। संसद के मॉनसून सत्र के दौरान विपक्षी दलों के सदस्यों के शोर-शराबे के कारण पहले सप्ताह में निचले सदन में कामकाज बाधित रहा। सुबह सदन की कार्यवाही आरंभ होने पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने ओलंपिक खेलों के लिए भारतीय खिलाड़ियों को शुभकामनाएं दीं और प्रश्नकाल शुरू कराया। इसके बाद कुछ विपक्षी सदस्य नारेबाजी करते हुए अध्यक्ष के आसन के निकट पहुंच गए। कुछ सदस्यों के हाथों में तख्तियां थी जिन पर पेगासस मामले की उच्चतम न्यायालय की निगरानी में न्यायिक जांच की मांग के बारे में लिखा हुआ था। सदन में हंगामे के बीच ही स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया और पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने अपने मंत्रालयों से संबंधित पूरक प्रश्नों के उत्तर दिए।
बिरला ने नारेबाजी कर रहे विपक्षी सदस्यों से अपने स्थान पर जाने और कोविड दिशानिर्देशों का पालन करने की अपील की। उन्होंने कहा, ‘‘कोविड संक्रमण और टीकाकरण की स्थिति पर बात हो रही है। आप लोगों ने मास्क नहीं लगा रखे हैं। कोरोना संक्रमण खत्म नहीं हुआ है। आप जन प्रतिनिधि हैं। अगर आप खुद संक्रमण फैलाएंगे तो फिर क्या संदेश जाएगा।’’ लोकसभा अध्यक्ष ने कहा, ‘‘कोविड दिशानिर्देशों का पालन करिए। आप मास्क निकालकर नारेबाजी कर रहे हैं और तख्तियां दिखा रहे हैं, यह उचित नहीं है। आप लोग अपनी सीट पर जाइए, आपको चर्चा करने का मौका दूंगा।’’ हंगामा नहीं थमने पर उन्होंने करीब 11.15 बजे सदन की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी। निचले सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू होने पर स्थिति ज्यों की त्यों बनी रही। शोर-शराबे के बीच ही पीठासीन सभापति किरीट सोलंकी ने आवश्यक कागजात सभापटल पर रखवाये। इस दौरान विपक्षी सदस्य अपनी मांगों को लेकर नारेबाजी करते रहे। पीठासीन सभापति सोलंकी ने सदस्यों से अपने स्थान पर लौटने और कार्यवाही चलने देने का आग्रह किया। हालांकि सदस्यों का शोर-शराबा जारी रहा। व्यवस्था बनती नहीं देख पीठासीन सभापति ने सदन की कार्यवाही करीब सवा 12 बजे दिन भर के लिये स्थगित कर दी। शनिवार और रविवार को अवकाश होने के कारण सदन की अगली बैठक अब सोमवार, 26 जुलाई को पूर्वाह्न 11 बजे शुरू होगी।
सिद्धू ने पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष का कार्यभार संभाला, अमरिंदर भी हुए कार्यक्रम में शामिल
नवजोत सिंह सिद्धू ने पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष पद का कार्यभार संभाल लिया। इस मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह भी मौजूद थे जिनसे हाल के दिनों में सिद्धू के टकराव की खबरें आ रही थीं। मुख्यमंत्री सिंह ने कहा कि वे राज्य के कल्याण के लिए मिलकर काम करेंगे। सिंह का यह बयान पार्टी की राज्य इकाई में टकराव की समाप्ति का संकेत देता है। मंच पर जाने से पहले हवा में बल्ला घुमाते हुए सिद्धू ने लोगों से खचाखच भरे पार्टी मुख्यालय में कहा कि कांग्रेस एकजुट है और उनका उद्देश्य लोगों को सशक्त करने की दिशा में काम करना है। उन्होंने कहा, ‘‘पंजाब जीतेगा, पंजाबी जीतेंगे।’’ सिद्धू ने कहा कि पार्टी के एक सामान्य कार्यकर्ता और प्रदेश इकाई के प्रमुख में कोई अंतर नहीं है। अमृतसर (पूर्व) से विधायक सिद्धू ने कहा, ‘‘पार्टी के एक सामान्य कार्यकर्ता और राज्य इकाई प्रमुख के बीच कोई अंतर नहीं है। पंजाब का हर कांग्रेस कार्यकर्ता आज से पार्टी की प्रदेश इकाई का प्रमुख बन गया है।’’ पंजाब कांग्रेस के नए कार्यकारी अध्यक्षों संगत सिंह गिलजियां, सुखविंदर सिंह डैनी, पवन गोयल और कुलजीत सिंह नागरा ने भी यहां पार्टी के मुख्यालय में बड़ी संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ताओं और समर्थकों की मौजूदगी में कार्यभार संभाला। इस दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पंजाब मामलों के अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के प्रभारी हरीश रावत, पूर्व मुख्यमंत्री राजिंदर कौर भट्टल, वरिष्ठ नेता प्रताप सिंह बाजवा और लाल सिंह सहित अन्य लोग भी मौजूद थे। सिद्धू ने कहा कि कार्यकर्ता पार्टी की जान होते हैं और पार्टी को कार्यकर्ताओं से ही ताकत मिलती है। क्रिकेटर से नेता बने सिद्धू ने सुनील जाखड़ का स्थान लिया है। उन्होंने कहा कि उनके मन में छोटों के लिए प्यार और बड़ों के लिए सम्मान है। उन्होंने कहा, ‘‘पंजाब जीतेगा, पंजाबियों की जीत होगी।’’
प्रदेश कांग्रेस की कमान संभालने से पहले सिद्धू ने यहां पंजाब भवन में मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह से मुलाकात की। कांग्रेस मुख्यालय में पार्टी की प्रदेश इकाई का कार्यभार संभालने से पहले मुख्यमंत्री और सिद्धू को एक-दूसरे के बगल में बैठे देखा गया। कांग्रेस के एक नेता के अनुसार, इससे पहले पंजाब भवन में सिद्धू और सिंह के बीच हुई मुलाकात सौहार्दपूर्ण थी। सिद्धू ने बृहस्पतिवार को एक पत्र में मुख्यमंत्री से इस कार्यक्रम में आने का अनुरोध किया था और कहा था कि उनका ‘‘कोई व्यक्तिगत एजेंडा नहीं है।’’ सिद्धू ने किसी का नाम लिए बिना पंजाबी में दिये अपने भाषण में कहा कि जो लोग उनका विरोध करते हैं, वे उन्हें बेहतर बनाते हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें कोई अहंकार नहीं है और वह सभी को साथ लेकर चलेंगे और कंधे से कंधा मिलाकर काम करेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘हम अपने कार्यकर्ताओं की शक्ति के बिना अधूरे हैं, जो पार्टी की आत्मा हैं।’’ एक समय उन्होंने मंच पर अमरिंदर सिंह की ओर इशारा किया और कहा, ‘‘सीएम साहब, मुद्दों को सुलझाना होगा।’’ मुख्यमंत्री ने अपनी ओर से पार्टी कार्यकर्ताओं से नए प्रदेश अध्यक्ष को पूर्ण समर्थन देने का भी आग्रह किया। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘राजनीति में हम साथ चलेंगे। हमें पंजाब के कल्याण के बारे में सोचना होगा।’’ सिद्धू की ओर इशारा करते हुए अमरिंदर सिंह ने कहा कि वे राज्य के कल्याण के लिए मिलकर काम करेंगे। सिंह ने कहा, ‘‘और सिर्फ पंजाब ही नहीं, देश के लिए हमारी जिम्मेदारी है क्योंकि हमारा राज्य पाकिस्तान के साथ एक लंबी सीमा साझा करता है।’’ पंजाब भवन के बाहर पत्रकारों से कांग्रेस विधायक परगट सिंह ने कहा कि सिद्धू ने एआईसीसी के पंजाब मामलों के प्रभारी हरीश रावत की उपस्थिति में चाय पर बुलायी गयी बैठक में मुख्यमंत्री से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि दोनों नेता एक-दूसरे के बगल में बैठे और उनके बीच मुलाकात सौहार्दपूर्ण रही। इस दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी, प्रताप सिंह बाजवा और लाल सिंह भी मौजूद थे। पिछले करीब चार महीनों में पहली बार सिद्धू और सिंह एक-दूसरे से मिले। मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार ने दोनों नेताओं के बीच बातचीत के दौरान की तस्वीरें ट्वीट कीं। सिंह ने पंजाब भवन में कांग्रेस नेताओं को चाय पर आमंत्रित किया था।
सिद्धू पटियाला से आए और सिंह के आने से कुछ देर पहले ही पंजाब भवन पहुंचे। पंजाब भवन में मंत्री, कांग्रेस विधायक और पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेता भी मौजूद थे। अपने संबोधन में, सिद्धू ने कहा कि वह कभी किसी पद के लिए लालायित नहीं रहे है। उन्होंने कहा कि उनकी अध्यक्षता का उद्देश्य लोगों के मुद्दों को हल करना है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस एकजुट है और उसका उद्देश्य लोगों को सशक्त बनाने की दिशा में काम करना है। सिद्धू ने कहा कि उनके लिए प्रमुख मुद्दे उन किसानों के हैं जो केंद्र के ‘‘ काले कृषि कानूनों’’का विरोध कर रहे हैं, राज्य में प्राथमिक शिक्षकों से संबंधित मुद्दों, नशीले पदार्थो के रैकेट में शामिल बड़ी मछलियों को पकड़ने और बेअदबी के मामलों में न्याय हासिल करने से संबंधित हैं। अमरिंदर सिंह और सिद्धू के बीच अप्रैल में तनाव तब बढ़ गया था जब पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के बाद कोटकपूरा और अन्य स्थानों पर 2015 में पुलिस गोलीबारी की घटना की जांच रिपोर्ट को खारिज कर दिया था। इसमें दो प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई थी। मुख्यमंत्री ने अपने भाषण में इसका जिक्र किया और कहा कि इन मामलों में चालान दाखिल किए गए हैं। उन्होंने मामले में न्याय में कथित देरी में अपनी सरकार की आलोचना के स्पष्ट जवाब में कहा, “बरगारी, कोटकपुरा और बहबल कलां का मुद्दा उठाया गया था। ये मुद्दे कानून से जुड़े हैं। इन मामलों में चालान कर दिया गया है। इसमें समय लगता है।’’ उन्होंने कहा कि उन्होंने पंजाब से वादा किया था कि वह इन घटनाओं में शामिल किसी को भी नहीं बख्शेंगे। पार्टी की प्रदेश इकाई के नवनियुक्त चार कार्यकारी अध्यक्षों में से कुलजीत सिंह नागरा और संगत सिंह गिलजियां ने बृहस्पतिवार को मुख्यमंत्री को पदभार संभालने के कार्यक्रम के लिए औपचारिक निमंत्रण दिया था। निमंत्रण पत्र पर 55 से ज्यादा विधायकों ने हस्ताक्षर किए। मुख्यमंत्री के साथ अपने मतभेदों को दूर करने का प्रयास करते हुए सिद्धू ने भी एक पत्र लिखकर अमरिंदर सिंह से कार्यक्रम में आने का आग्रह किया और कहा कि उनका ‘‘कोई निजी एजेंडा नहीं है।’’
सिद्धू ने पवित्र ग्रंथ की बेअदबी के मामले के लिए मुख्यमंत्री पर निशाना साधा था। मुख्यमंत्री ने भी सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने का विरोध किया था और कहा था कि जब तक सिद्धू उनके खिलाफ अपमानजनक ट्वीट के लिए माफी नहीं मांगेंगे, वह उनसे नहीं मिलेंगे। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने रविवार को सिद्धू को पार्टी की पंजाब इकाई का नया अध्यक्ष नियुक्त किया था। कांग्रेस अध्यक्ष ने अगले साल राज्य में विधानसभा चुनाव की तैयारी को लेकर सिद्धू की सहायता के लिए संगत सिंह गिलजियां, सुखविंदर सिंह डैनी, पवन गोयल और कुलजीत सिंह नागरा को प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया। बुधवार को सिद्धू का समर्थन करने वाले कई विधायकों ने कहा था कि उन्हें अमरिंदर सिंह से माफी मांगने की कोई जरूरत नहीं है। सिद्धू ने 2019 में अपने स्थानीय निकाय विभाग से हटाए जाने के बाद राज्य मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था। वह 2017 विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से कांग्रेस में आये थे।
दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन के अभाव में किसी की मौत की खबर नहीं: केंद्र
स्वास्थ्य राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने बताया कि कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के दौरान किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश से ऑक्सीजन के अभाव में किसी भी मरीज की मौत की खबर नहीं मिली है। उन्होंने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी। उन्होंने यह भी बताया ‘‘बहरहाल, कोविड महामारी की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की मांग अप्रत्याशित रूप से बढ़ गई थी। महामारी की पहली लहर के दौरान, इस जीवन रक्षक गैस की मांग 3095 मीट्रिक टन थी जो दूसरी लहर के दौरान बढ़ कर करीब 9000 मीट्रिक टन हो गई।’’ उनसे पूछा गया था कि क्या दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन न मिल पाने की वजह से बड़ी संख्या में लोगों की जान गई है।
पवार ने बताया कि स्वास्थ्य राज्य का विषय है और राज्य तथा केंद्र शासित प्रदेश कोविड के मामलों और मौत की संख्या के बारे में केंद्र को नियमित सूचना देते हैं। उन्होंने बताया ‘‘केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कोविड से मौत की सूचना देने के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए हैं।’’ उन्होंने कहा ‘‘इसके अनुसार, सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशनियमित रूप से केंद्र सरकार को कोविड के मामले और इसकी वजह से हुई मौत की संख्या के बारे में सूचना देते हैं। बहरहाल, किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश ने ऑक्सीजन के अभाव में किसी की भी जान जाने की खबर नहीं दी है।
- अंकित सिंह