आम चुनाव में अभी समय है। करीब दो वर्ष बाकी है। इसी लिए प्रदेश में चुनाव को लेकर कोई सियासी हलचल भी देखने को नहीं मिल रही है। चाहे समाजवादी पार्टी हो या फिर बहुजन समाज पार्टी अथवा कांग्रेस, सभी राजनैतिक दलों के नेता फिलहाल एयर कंडीशन रूम में बैठकर सियासी तकरीरें करने में लगे हैं। किसी भी दल के नेता को अपना खोया हुआ जनाधार कैसे वापस हासिल हो या फिर पार्टी में चल रही बगावत को कैसे थामा जाए इस बात की चिंता नहीं है। कोई परिवारवाद में उलझा हुआ है तो किसी पर ईडी का ‘हंटर’ चल रहा है। जबकि सियासत के खेल में भारतीय जनता पार्टी की इस समय ‘बल्ले-बल्ले’ है। उसका जनाधार लगातार बढ़ रहा है। केंद्र सहित कई राज्यों में उसकी सरकारें हैं या वह गठबंधन सरकार का हिस्सा है।
बीजेपी संगठनात्मक रूप से काम कर रही है, जिसका उसे भरपूर फायदा भी मिल रहा है। पूरे देश में बीजेपी तेजी से आगे बढ़ रही है तो इसका सबसे अधिक श्रेय उत्तर प्रदेश को जाता है, जो 2014 से आज तक वोटों से बीजेपी की झोली भरती जा रही है। यूपी में योगी सरकार हो या केन्द्र में मोदी की, दोनों ही जगह बीजेपी का ग्राफ लगातार बढ़ता ही जा रहा है। इतना ही नहीं अब तो देशभर में मोदी के गुजरात मॉडल से अधिक योगी के बुडलोजर वाले विकास के ‘मॉडल’ की चर्चा हो रही है। कई राज्य योगी के विकास मॉडल को अपने राज्यों में भी उतार रहे हैं। खासकर कानून व्यवस्था की स्थिति सुधारने के लिए योगी मॉडल कुछ ज्यादा ही सुर्खियां बटोर रहा है। अब तो यहां तक कहा जाने लगा है कि 2024 के लोकसभा चुनाव जीतने के लिए पूरे प्रदेश में भले ही मोदी का चेहरा आगे रहे, लेकिन यूपी में मोदी के साथ योगी का चेहरा भी जुड़ा रहेगा। क्योंकि देश की जनता जितना विश्वास मोदी पर करती है, उत्तर प्रदेश की जनता उतना ही भरोसा योगी पर करती है। इसीलिए अबकी से यूपी में आम चुनाव में मोदी-योगी दोनों ही चेहरे वोटरों का दिल जीतने की कोशिश करेंगे तो पीछे से पार्टी के रणनीतिकार मोर्चा संभालेंगे।
वैसे तो लोकसभा चुनाव 2024 की रणनीति का खाका भाजपा पहले ही खींच चुकी थी, लेकिन बीते तीन दिनों (29 से 31 जुलाई तक) उत्तर प्रदेश के चित्रकूट में चले बीजेपी के प्रदेश प्रशिक्षण वर्ग में संगठन को और अधिक प्रशिक्षित किए जाने पर जोर दिया गया है। इस रणनीति को धरातल पर उतारने के लिए बीजेपी के महामंत्री सुनील बंसल ने ठोस कदम उठाए। 'भाजपा में सबके लिए काम’ का संदेश प्रदेश महामंत्री संगठन सुनील बंसल ने दिया जिसके मायने यह निकाले जा सकते हैं कि नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति के साथ ही संगठन में बड़े पैमाने पर बदलाव होने हैं और नए कार्यकर्ताओं को मौका मिलेगा। चुनावी रूपरेखा को प्रदेश की नई टीम ही धरातल पर उतारेगी। यह काम अतिशीघ्र पूरा हो जाने की उम्मीद है। वैसे भी कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को प्रशिक्षण देना भाजपा की पारंपरिक गतिविधि है, लेकिन यह तीन दिवसीय प्रदेश प्रशिक्षण वर्ग इसलिए अधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि पार्टी लोकसभा चुनाव की तैयारी के मूड में पूरी तरह आ चुकी है। इस बार 80 में से 75 सीटें जीतने का लक्ष्य और सारी 80 सीटें जीतने का हौसला साथ लेकर चल रही भाजपा क्षेत्र, जिला और मंडल स्तर पर कार्यकर्ताओं को पहले ही प्रशिक्षित कर चुकी है। उनके प्रशिक्षण वर्ग हो चुके थे और सबसे अंत में प्रदेश स्तर के पदाधिकारियों और प्रदेश सरकार के मंत्रियों को प्रशिक्षित किया गया है।
बीजेपी के रणनीतिकार सारा जोर जनता के बीच भाजपा को मजबूत बनाए रखने, जनकल्याण की योजनाओं, सरकार और संगठन के समन्वय से जरूरतमंदों तक पहुंचाने और विपक्ष को उसकी गलतियों पर घेरने पर दे रहे हैं। माना जा रहा है जल्द ही योगी सरकार में बदलाव कर ऐसे मंत्रियों को बाहर किया जा सकता है जिनका जमीन पर जुड़ाव कमजोर है या उनकी कहीं और उपयोगिता अधिक रहेगी, इसी तरह संगठन में भी बदलाव संभावित है। एक व्यक्ति, एक पद सिद्धांत के चलते वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह को यह पद छोड़ना होगा। वैसे स्वतंत्र देव त्यागपत्र दे भी चुके हैं, लेकिन अभी उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं हुआ है। स्वतंत्र देव इस समय योगी सरकार में जलशक्ति मंत्री हैं। जल्द ही नए अध्यक्ष की नियुक्ति होनी है। उसी के साथ प्रदेश और छह क्षेत्रों में भी नई टीम बनाई जाएगी।
बीजेपी के अंदर खाने से मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश कार्यकारिणी में कई ऐसे नेता महामंत्री और उपाध्यक्ष के पद पर बैठे हैं, जो हैं तो किसी न किसी जिले के कोटे से, लेकिन अपने जिले में उनकी सक्रियता कतई नहीं है। मसलन, लखनऊ के ही कोटे से कई बाहरी नेता पद पाए हुए हैं। ऐसे जमीनी जुड़ाव न रखने वाले पदाधिकारियों की इस बार छुट्टी कर उन्हें दूसरे काम सौंपते हुए दूसरे कार्यकर्ताओं को प्रदेश महामंत्री, उपाध्यक्ष और मंत्री जैसे पद सौंपे जा सकते हैं। उसी टीम पर चुनावी अभियान को धरातल पर उतारकर लोकसभा चुनाव के लक्ष्य को प्राप्त करने की जिम्मेदारी होगी।
बात विपक्ष की कि जाए तो विपक्ष आरोप-प्रत्यारोप के दौर से आगे ही नहीं बढ़ पा रहा है। किसी नेता या दल के पास आत्म मंथन या अवलोकन का समय नहीं है। मंथन/अवलोकन अर्थात् स्वयं का निरीक्षण व स्वयं को जानना यह बेहद जरूरी है, लेकिन इसके उलट नेता विरोधियों को आइना दिखाने में ज्यादा समय लगा रहे हैं। विद्वानों का कहना है कि मनुष्य को खुद के गुण और दोष के बारे में विचार करना चाहिए। ऐसा करके ही मानव देश और समाज का सही विकास कर सकता है। अपनी बुराइयों से मुक्ति ही एक स्वच्छ समाज के निर्माण की शर्त है, लेकिन आज की सियासत में अवलोकन बेईमानी हो गई है। इसीलिए तो तमाम दलों के नेता चुनाव में हार के बाद भी अहंकार में डूबे रहते हैं। जनता को बेवकूफ समझते हैं। वोट के माध्यम से जनता जो फैसला सुनाती है, उस पर संशय खड़ा किया जाता है। बिना किसी अपवाद के ऐसा कृत्य सभी दलों के नेता कर रहे हैं। कोई अछूता नहीं है। बस अंतर इतना है कि दल और नेता कोई बदनाम हो गया है तो कोई नामदार बना हुआ है।
खास बात यह भी है कि एक तरफ बीजेपी की जीत का सिलसिला जारी है, परंतु वह इससे संतुष्ट होकर बैठी नहीं है। वह हर चुनाव मे जीत के लिए अपना पूरा जोर लगाने से परहेज नहीं करती है। हाल ही में हुए उप-चुनाव में सपा का गढ़ माने जाने वाली रामपुर और आजमगढ़ सीट पर बीजेपी ने शानदार जीत दर्ज की थी। अब बीजेपी आगामी 2024 के रण की तैयारी में जुट गई है। बताया जा रहा है बीजेपी आलाकमान ने 2024 के आम चुनाव के लिए उन 14 सीटों पर विशेष तौर पर फोकस करने की रणनीति बनाई है जिन्हें बीजेपी 2019 में जीत नहीं सकी थी। उपचुनाव में जीत के बावजूद रामपुर और आजमगढ़ को भी उन सीटों में शामिल किया गया है। बीजेपी ने 2024 के लोकसभा चुनाव में यूपी की सभी 80 सीटें जीतने का लक्ष्य निर्धारित किया है। रामपुर और आजमगढ़ लोकसभा उप-चुनाव में जीत के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी कहा कि 2024 में बीजेपी प्रदेश की सभी 80 सीटें जीतेगी। इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए बीजेपी अभी से जुट गई है।
2019 के लोकसभा चुनाव में हारी हुई सीटों पर बीजेपी ने अपनी रणनीति तैयार कर ली है। बीजेपी एक तरफ जहां हारे हुए बूथ मजबूत कर रही है वहीं, दूसरी तरफ सामाजिक सरोकार से जुड़े कामकाज को लेकर रणनीति बना रही है। बीजेपी ने अपने कमजोर बूथों को मजबूत करने के उद्देश्य से बूथ सशक्तीकरण अभियान शुरू करने का फैसला किया है। इसके तहत बीजेपी नेता, सांसद, विधायक व अन्य स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ-साथ पार्टी पदाधिकारियों को सभी जिलों में जाकर बूथ मजबूत करने की जिम्मेदारी दी गई है। इसी क्रम में केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को सहारनपुर, नगीना और बिजनौर की जिम्मेदारी मिली है वहीं केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को रायबरेली, श्रावस्ती, अंबेडकर नगर और मऊ की जिम्मेदारी सौंपी गयी है। इसके अलावा राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह को मुरादाबाद, अमरोहा, संभल और मैनपुरी की जिम्मेदारी दी गई है। खास बात ये है कि जितेंद्र सिंह को जिन सीटों पर जिम्मेदारी मिली है, उन सभी सीटों पर सपा का कब्जा है। केंद्रीय राज्यमंत्री अन्नपूर्णा देवी को जौनपुर-गाजीपुर और लालगंज लोकसभा सीट की जिम्मेदारी सौंपी गई है। ये नेता इन सभी सीटों पर पार्टी की चल रही चुनावी रणनीति की चर्चा करेंगे। उक्त सभी मंत्रियों का हर लोकसभा सीट क्षेत्र में तीन-तीन दिनों तक प्रवास करना होगा। हर सीट पर फीडबैक तैयार किया जाएगा। ये फीडबैक केंद्रीय नेतृत्व के सामने रखा जाएगा, जिसमें पिछली हार के कारणों का भी उल्लेख होगा। इसके अलावा सभी सांसदों और विधायकों को भी अलग-अलग बूथ दिए गए हैं।
-अजय कुमार