Untold Stories of Ayodhya: मैंने मां और भैंस दोनों का दूध पिया है...सोचते रह गए मुलायम और लालू ने रोक दिया आडवाणी का रथ, गिर गई वीपी सिंह की सरकार

By अभिनय आकाश | Jan 17, 2024

कहते हैं भगीरथ ने अपने तप से स्वर्ग से मां गंगा को धरती पर उतार दिया था। तभी से ही असंभव से दिखने वाले काम को कर दिखाने वाले जज्बे को भगीरथ प्रयास कहा जाता है। अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण भी कहीं न कहीं आडवाणी के भगीरथ प्रयास का ही नतीजा है। मंदिर भले ही सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बना लेकिन उसके लिए आडवाणी ने जो संघर्ष किया, जिस तरह आंदोलन चलाया, उसे कभी नहीं भूला जा सकता। 1990 के दशक में अपने करियर के चरम पर लाल कृष्ण आडवाणी ने गुजरात के सोमनाथ से उत्तर प्रदेश के अयोध्या तक 'रथ यात्रा' का नेतृत्व किया। जुलूस कभी अयोध्या नहीं पहुंचा, लेकिन लालकृष्ण आडवाणी का नाम राम मंदिर मुद्दे से अविभाज्य रूप से जुड़ा हुआ है।

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वो रथयात्रा जिसकी धूल लोग सर से लगाते थे

सोमनाथ से रथयात्रा शुरू करने में पार्टी ने हिंदुओं के पवित्र शिवमंदिर का इस्तेमाल किया, जिसे मुस्लिम आक्रांताओं ने बार-बार तोड़ा था। जिसे आजादी के बाद भारत सरकार ने बनवाया था, राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने इसकी नींव रखी थी। इस वजह से देश भर में भावनाएं जगाने के लिए रथयात्रा यहाँ से शुरू हुई। 25 सितंबर पार्टी के संस्थापक महासचिव दीनदयाल उपाध्याय का जन्मदिन होता है। अपनी आत्मकथा में आडवाणी लिखते हैं कि राम रथ पर सवार होकर युद्ध में गए थे। इसीलिए शायद वे भी रथ पर सवार होकर चुनावी युद्ध में कूदे। उनके रथ का संचालन बीजेपी के फायर ब्रांड नेता प्रमोद महाजन कर रहे थे। रथ से एक रोज में 20 से ज्यादा सभाएँ होती थीं। माहौल इस कदर बदला कि लोग आडवाणी को नहीं, रथ को भी पूज रहे थे। जिस रास्ते रथ गुजरता, ग्रामीण वहाँ की मिट्टी सिर पर लगा लेते। कविगुरु रवींद्रनाथ टैगोर की एक कविता है- "रथ भावे आमी देव पथ भावे आमी, मूर्ति भावे आमी देव हँसे अंतरयामी।" रथ सोचता है मैं देवता हूं। रास्ता सोचता है मैं देवता हूं। 

विश्वनाथ प्रताप की चाल और लालू ने आडवाणी को कर लिया गिरफ्तार

रथ यात्रा 25 सितंबर को सोमनाथ से शुरू होकर 30 अक्टूबर को अयोध्या में पूरी होनी थी। उन्होंने उस दौरान राम मंदिर को राष्ट्र की सांस्कृतिक और संकल्प का हिस्सा बताकर संघर्ष मंत्र फूंका। नरेंद्र मोदी राजनीति के इस दूरगामी मिशन के बैकरूम मैनेजर थे। नरेंद्र मोदी की रणनीति में परवान चढ़ी इस रथयात्रा ने न केवल केंद्र की वीपी सिंह सरकार गिरा दी बल्कि उत्तर प्रदेश से कांग्रेस की जड़े हमेशा के लिए उखाड़ दी। दरअसल, प्रधानमंत्री वीपी सिंह ने मंदिर के सवाल पर बीजेपी से टकराने का फैसला कर लिया था। 23 अक्टूबर की सुबह बिहार के समस्तीपुर में आडवाणी की रथ यात्रा रोक दी गई। उन्हें समस्तीपुर के सर्किट हाउस से गिरफ्तार कर लिया गया। आडवाणी को सरकारी जहाज से पहले दुमका ले जाया गया। बिहार पुलिस ने उनका रथ अपने कब्जे में कर लिया।  

मां और भैंस दोनों का दूध पिया 

आडवाणी की रथ यात्रा के साथ ही लालू यादव की टेंशन बढ़ गई थी। उन्हें लग रहा था कि आडवाणी की रथ यात्रा के बिहार में पहुंचने के साथ यहां सांप्रदायिक दंगे हो सकते हैं। इसी रथ यात्रा से ठीक पहले लालू ने आडवाणी से दिल्ली में मुलाकात की। लालू ने इसका जिक्र अपनी आत्मकथा में किया है। लालू ने कहा कि मैंने आडवाणी से बिना लाग-लपेट के कहा था कि आप अपनी रथ यात्रा रोक दीजिए। बहुत परिश्रम से हमने बिहार में भाई चारा कायम किया है। अगर आप ये यात्रा निकालेंगे तो हम छोड़ेंगे नहीं। लालू यादव की आत्मकथा गोपालगंज से रायसीना में कहा कि मेरी बात सुनकर मीठी बोली और शांत छवि के लिए चर्चित आडवाणी मेरी बातों से गुस्सा हो गए और कहा कि देखता हूं कौन माई का दूध पिया है जो मेरी रथ यात्रा को रोकेगा। लालू ने कहा कि मैंने जवाब देते हुए कहा कि मैंने मां और भैंस दोनों का दूध पिया है। आइए बिहार में बताता हूं। 

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वीपी सिंह और लालू की सीक्रेट मीटिंग और आडवाणी गिरफ्तार

आडवाणी की रथ यात्रा निकालने के ऐलान के बाद से ही यूपी से लेकर बिहार तक की सियासत तेज हो गई थी। मुलायम सिंह यादव ने सबसे पहले ऐलान किया था कि वो आडवाणी को अयोध्या में नहीं घुसने देंगे। लेकिन लालू यादव को लगा कि रथ यात्रा को रोकने में उनका नफा है। बिहार में 17 फीसदी मुस्लिम आबादी की थी। लालू ने मौके की नजाकत को भांपते हुए दिल्ली जाकर बीजेपी के समर्थन से प्रधानमंत्री बने वीपी सिंह से मिले। मन ही मन वीपी सिंह भी नहीं चाहते थे कि आडवाणी की गिरफ्तारी के जरिए मुलायम सिंह यादव राष्ट्रीय स्तर पर बड़े नेता बन जाए। दोनों की मुलाकात के बाद आडवाणी की गिरफ्तारी का प्लान तैयार हो गया। लालू ने आडवाणी को रोकने के लिए पहले धनबाद में तैयारी की थी। लेकिन ऐन मौके पर वो रुक गए क्योंकि वहां बीजेपी और आरएसएस का खासा प्रभाव था। लालू इस वजह से भी हिचक रहे थे क्योंकि धनबाद के डीसी अफजाल अमानउल्लाह थे। वो सैयद शहाबुद्दीन के दामाद थे। दंगों के फैलने के डर से लालू ने बदली रणनीति। आडवाणी को अरेस्ट किया गया उन्होंने तत्कालीन राष्ट्रपति आर वेंकटरमन को चिट्ठी लिख बताया कि जनता दल की वीपी सिंह नीत सरकार से बीजेपी ने समर्थन वापस ले लिया है। जिन अधिकारियों ने आडवाणी को अरेस्ट करने में अहम भूमिका अदा की उनमें से आरके सिंह मोदी सरकार में मंत्री हैं।

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