By अभिनय आकाश | Jan 28, 2022
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को आम बजट पेश करने वाली हैं। इस बीच वित्त मंत्रालय की तरफ से कहा गया है कि इस बार भी बजट पेपरलेस होने वाला है। इसके साथ ही महामारी को लेकर हलवा सेरेमनी का आयोजन भी नहीं किया गया है। बता दें कि साल 2014 में सत्ता में आई मोदी सरकार ने अब तक बजट को लेकर कई परंपराओं में बदलाव किए। आज आपको मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान बजट को लेकर विभिन्न परंपराओं के बारे में बताते हैं।
हलवा सेरेमनी की जगह बांटी गई मिठाई
कोरोना वायरस के ओमीक्रोन स्वरूप को लेकर चिंता के बीच वित्त मंत्रालय ने इस साल बजट से पहले परंपरागत ‘हलवा समारोह’ को छोड़ दिया है। कर्मचारियों के घर-परिवार से अलग रहने और बजट दस्तावेज की छपाई का काम परंपरागत ‘हलवा समारोह’ से शुरू होता रहा है। लेकिन इस साल इन कर्मचारियों को ‘हलवा’ के बजाय मिठाई बांटी गई है। वित्त मंत्रालय ने बयान में कहा कि बजट की गोपनीयता को कायम रखने के लिए बजट दस्तावेज तैयार करने वाले अधिकारियों को दफ्तर में ही अपने परिवार से अलग रहना पड़ता है। छपाई से जुड़े कर्मचारियों को भी नॉर्थ ब्लॉक के ‘बेसमेंट’ में प्रिंटिंग प्रेस के अंदर कम से कम कुछ सप्ताह के लिए पृथक रहना पड़ता था। वित्त मंत्री द्वारा संसद में बजट पेश किए जाने के बाद ये कर्मचारी-अधिकारी अपने परिजनों से संपर्क कर पाते हैं।
बदली बजट पेश करने की तारीख
साल 2014 में धमक के साथ सत्ता में आई नरेंद्र मोदी की सरकार ने बजट की तारीखों में बदलाव किया। मोदी सरकार से पहले आम बजट फरवरी महीने की आखिरी तारीख मसलन, 28 या 29 को पेश हुआ करता था। लेकिन मोदी सरकार ने इस परंपरा में तब्दीली लाते हुए आम बजट पेश करने की तारीख 1 फरवरी कर दी।
रेल बजट को आम बजट से मिला दिया गया
साल 2016 में बजट में एक और बड़ा बदलाव किया गया। आपको याद होगा कि साल 2016 से पहले आम बजट पेश होने से ठीक पहले एक अलग बजट पेश किया जाता था, जिसे रेल बजट कहते थे। जिसमें रेलवे को लेकर घोषणाओं का जिक्र होता था। लेकिन अरुण जेटली ने रेल बजट को आम बजट में मिला दिया। जिसके बाद से अब रेल बजट भी आम बजट का हिस्सा हो गया।
ब्रीफकेस ने लिया बही खाते का रूप
बजट की एक आम पहचान इसका ब्रीफकेस हुआ करता था। भारत की स्वतंत्रता के बाद से ही संसद में लाल या काले ब्रीफकेस में बजट आया करता था। लेकिन साल 2019 में मोदी सरकार ने इस परंपरा में भी बदलाव किया। ब्रीफकेस की जगह लाल कपड़े में लपेटकर बही खाते के रूप में बजट को लाया जाने लगा। कपड़े के ऊपर भारत सरकार का चिन्ह हुआ करता है। तत्कालीन मुख्य आर्थिक सलाहकार केवी सुब्रमण्यन ने इस बारे में बताया था कि यह भारतीय परंपरा है. यह पश्चिमी विचारों की गुलामी से निकलने का प्रतीक है। यह बजट नहीं 'बहीखाता' है।
पेपरलेस बजट की शुरुआत
कोरोना महामारी ने काफी बदलाव देश-दुनिया में करवाए। महामारी के दौर में टेक्नोलॉजी का भी इस्तेमाल तेजी से बढ़ा और बजट भी इससे अछूता नहीं रहा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2021-22 को संसद में एक टैबलेट के जरिए पेश किया। यह बजट टैब ने पारंपरिक बही खाते की जगह ली। वित्त मंत्रालय ने बयान में कहा कि बजट की गोपनीयता को कायम रखने के लिए बजट दस्तावेज तैयार करने वाले अधिकारियों को दफ्तर में ही अपने परिवार से अलग रहना पड़ता है। छपाई से जुड़े कर्मचारियों को भी नॉर्थ ब्लॉक के ‘बेसमेंट’ में प्रिंटिंग प्रेस के अंदर कम से कम कुछ सप्ताह के लिए पृथक रहना पड़ता था। वित्त मंत्री द्वारा संसद में बजट पेश किए जाने के बाद ये कर्मचारी-अधिकारी अपने परिजनों से संपर्क कर पाते हैं।