By अभिनय आकाश | Apr 15, 2025
नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (जेपीएल) ने भारतीय मूल की विविधता, समानता और समावेश (डीईआई) की प्रमुख नीला राजेंद्र से आधिकारिक तौर पर नाता तोड़ लिया है, बावजूद इसके कि मार्च में लैब के डीईआई विभाग को बंद करने के बाद उनके शीर्षक में बदलाव करके उन्हें बनाए रखने के पहले के प्रयास किए गए थे। यह कदम राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के एक कार्यकारी आदेश के मद्देनजर उठाया गया है जो कार्यकारी शाखा एजेंसियों में डीईआई पहलों पर प्रतिबंध लगाता है। भारतीय मूल की नीला राजेंद्र का नाम नासा के टॉप अफसरों की फेहरिस्त में शुमार था। नीला राजेंद्र नासा की डाइवर्सिटी, इक्विटी और इंक्लूशन (DEI) की अध्यक्ष थीं।
ट्रम्प का कार्यकारी आदेश
दरअसल सत्ता में आने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका में सभी डाइवर्सिटी प्रोग्राम बंद करने के आदेश दिए थे। इसके तहत डाइवर्सिटी प्रोग्राम के लिए हुई नियुक्तियों को तत्काल प्रभाव से खत्म कर दिया गया था। हालांकि व्हाइट हाउस से नोटिस मिलने के बाद नासा ने नीला की नौकरी बचाने की कोशिश की और उनका पद बदल दिया गया। मगर अब नासा को मजबूरन नीला को बाहर का रास्ता दिखाना पड़ गया है। व्हाइट हाउस ने इस बात पर जोर दिया कि संघीय एजेंसियों के भीतर रोजगार के फैसले अब योग्यता-आधारित सिद्धांतों का सख्ती से पालन करना चाहिए। अभी तक, नासा और जेट प्रोपल्शन प्रयोगशाला ने राजेंद्र को हटाने पर कोई सार्वजनिक टिप्पणी जारी नहीं की है।
DEI जांच और बजट में कटौती
नीला राजेंद्र का बाहर निकलना NASA की DEI पहलों पर महीनों से बढ़ती जांच के बाद हुआ है, खासकर एक अलग विवाद के बाद जिसमें प्रणोदन विफलता के कारण नौ महीने तक अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर फंसे दो अंतरिक्ष यात्री शामिल थे। आलोचकों ने सवाल उठाया कि क्या DEI पर अत्यधिक ध्यान केंद्रित करने से मिशन-महत्वपूर्ण संचालन से ध्यान भटक गया है। रिपोर्टों के बावजूद कि राजेंद्र ने इस साल की शुरुआत में नासा के बजट में कटौती के बीच JPL में 900 छंटनी के दौर से बचने का सुझाव दिया था, उनके जाने से पता चलता है कि अब रीब्रांडेड भूमिकाएँ भी समीक्षा के अधीन हैं।