By अभिनय आकाश | Nov 09, 2024
6 नवंबर का दिन यूरोप के लिए बदलावों वाला रहा। एक तरफ डोनाल्ड ट्रम्प ने संयुक्त राज्य अमेरिका का राष्ट्रपति चुनाव जीता। लेकिन ठीक उससी वक्त यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था उस समय राजनीतिक उथल-पुथल में घिर गई जब महीनों की अंदरूनी कलह के बाद स्कोल्ज़ का तीन-पक्षीय गठबंधन टूट गया। जर्मनी की सत्तारूढ़ गठबंधन सरकार अल्पमत में आ गई। सोशल डेमोक्रेट्स (एसपीडी), ग्रीन्स और फ्री डेमोक्रैट्स (एफडीपी) के गठबंधन के बीच विवाद तब और साफ हो गया, जब चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने वित्त मंत्री क्रिस्टियान लिंडनर को बर्खास्त कर दिया। उनके इस फैसले से बाकी उदारवादी नाराज हो गए और कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया। सर्वे में कहा गया है कि चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ के सत्तारूढ़ गठबंधन के पतन के बाद लगभग दो-तिहाई जर्मन मतदाता जल्द से जल्द चुनाव चाहते हैं।
चांसलर ने कहा कि अगले वर्ष की शुरुआत तक अल्पमत सरकार में उनकी ‘सोशल डेमोक्रेट्स’ और ‘ग्रीन’ पार्टी शामिल रहेगी। हालांकि संसद में सबसे बड़े विपक्षी गुट के नेता ‘क्रिश्चियन डेमोक्रेट्स’ के फ्रेडरिक मर्ज ने अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान और चुनाव कराने का आह्वान किया है। शोल्ज ने इस बात पर जोर दिया कि वह 15 जनवरी से पहले विश्वास मत नहीं कराना चाहते हैं। अगले चुनाव की संभावित तारीख के बारे में चांसलर कार्यालय में मर्ज और शोल्ज की बैठक एक घंटे से भी कम समय में समाप्त हो गई, तथा मर्ज वार्ता पर कोई टिप्पणी किए बिना ही चले गए। राष्ट्रपति फ्रैंक-वाल्टर स्टीनमीयर ने बर्खास्त वित्त मंत्री लिंडनर और ‘फ्री डेमोक्रेट्स’ पार्टी के दो अन्य मंत्रियों अनुसंधान मंत्री बेट्टीना स्टार्क-वाटजिंगर और न्याय मंत्री मार्को बुशमैन को पद से हटाए जाने की जानकारी दी।
मौजूदा गठबंधन में वामपंथी ‘सोशल डेमोक्रेट्स’ और पर्यावरणवादी ‘ग्रीन’ पार्टी है। हालांकि, मर्ज ने जनवरी तक विश्वास मत हासिल करने की शोल्ज की योजना को सख्ती से खारिज कर दिया। शोल्ज की सरकार के पास अब संसद में बहुमत नहीं है, इसलिए वह संभवतः विश्वासमत हार जाएंगे। उस स्थिति में, जर्मनी के राष्ट्रपति 21 दिनों के भीतर संसद को भंग कर सकते हैं और जनवरी में ही चुनाव करवा सकते हैं। कारोबार समर्थक ‘फ्री डेमोक्रेट्स’ पार्टी के लिंडनर ने कर में वृद्धि या ऋण लेने की सख्त स्व-निर्धारित सीमाओं में बदलाव को अस्वीकार कर दिया था। हालांकि शोल्ज की ‘सोशल डेमोक्रेट्स’ और ‘ग्रीन’ पार्टी बड़े पैमाने पर सरकारी निवेश चाहती हैं और उन्होंने कल्याणकारी कार्यक्रमों में कटौती के ‘फ्री डेमोक्रेट्स’ के प्रस्तावों को अस्वीकार कर दिया था।