By अभिनय आकाश | Feb 03, 2022
आपको 25-26 नवंबर 2020 की तारीख याद होगी, जब केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानून के विरोध में भारत में किसान संगठनों ने दिल्ली चलो आंदोलन का आह्वान किया। करीब 378 दिनों तक ये प्रदर्शन चला। पीएम मोदी के कृषि कानून को वापस लेने के फैसले के बाद किसान संगठनों ने 11 दिसंबर को घर वापसी की। लेकिन इस दौरान मानवाधिकार का मसला बताकर एक देश के प्रधानमंत्री ऐसे भी थे जिन्होंने अपने बयानों के जरिए भारत के आंतरिक मामले में हस्तक्षेप भी की थी। भारत में किसानों के मुद्दे पर बिना मांगी सलाह देने वाले कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो इन दिनों अपने देश में ही विरोध का सामना कर रहे हैं और इन दिनों कनाडा में ही सिंघू बॉर्डर जैसा नजारा देखने को मिल रहा है। लेकिन फर्क सिर्फ इतना है कि भारत में किसान आंदोलन पर ज्ञान बांटने वाले ट्रूडो प्रदर्शन कर रहे ट्रक चालकों को 'मुट्ठीभर अराजक तत्वों का झुंड' करार दे रहे हैं। पीछे एक हफ्ते से कनाडा में हजारों ट्रक ड्राइवर्स और आम नागरिकों का काफिला चल रहा है। जिसे फ्रीडम कॉन्वाय का नाम दिया गया है। ये छोटे शहरों से निकलकर राजधानी ओटावा में दाखिल हो चुका है। लोगों ने प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो और कनाडा की संसद को भी घेर लिया और अपनी मांगें पूरी होने तक वहीं बने रहने का दावा भी किया। इस नाराजगी के बीच प्रधानमंत्री ट्रूडो और उनके परिवार को निकाल कर सीक्रेट लोकेशन पर ले जाया गया। ऐसे में आज आपको बताते हैं कि कनाडा के ट्रक ड्राइवर सरकार से गुस्सा क्यों है? उनकी मांगे क्या हैं? उनके प्रोटेस्ट से कनाडा और अमेरिका पर क्या असर पड़ेगा और पूरे मसले पर भारतीय मूल के लोगों की क्या भूमिका है?
ट्रूडो के नए नियम और ट्रक ड्राइवरों का प्रदर्शन
15 जनवरी 2022 को कनाडा सरकार की तरफ से एक नियम लाया गया। जिसमें कहा गया कि कनाडा की सीमा में दाखिल होने वाले ट्क ड्राइवर्स को वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट दिखाना होगा। ऐसा नहीं करने की सूरत में उन्हें 14 दिनों के लिए क्वारंटीन होना पड़ेगा। इस ऐलान के हफ्ते भर बाद अमेरिका ने भी यहीं नियम लागू कर दिया। कनाडा की दक्षिणी सीमा अमेरिका से लगती है। दोनों देशों के बीच बेहद ही अच्छे व्यापारिक संबंध हैं। आयात-निर्यात का बड़ा हिस्सा सड़क के रास्ते से होकर गुजरता है। इस सप्लाई चेन को बनाए रखने में ट्रक ड्राइवरों की बड़ी भूमिका है। यूरोप और उत्तरी अमेरिका के कई देशों में वैक्सीन अनिवार्यता को लेकर प्रदर्शन चल रहे हैं। कुछ लोग इसे व्यक्तिगत आजादी पर हमले की तरह देख रहे है।
ट्रूडो के किस बयान ने आग में घी डालने का काम किया
अमेरिकी सीमा पार करने के लिए वैक्सीन अनिवार्य कर दी गई है। ट्रक ड्राइवर वैक्सीन की अनिवार्यता का विरोध कर रहे हैं। जिसके बाद जस्टिन ट्रूडो के बयान ने आग में घी डालने का काम किया है और ट्रक वाले भड़क गए। जस्टिन ट्रूडो ने 'मुट्ठीभर अराजक तत्वों का झुंड' करार दिया था। ट्रूडो ने ट्रक वालों को महत्व नहीं रखने वाले अल्पसंख्यक कहा था। भड़के ट्रक वालों को प्रतिबंधों से परेशान लोगों का भी साथ मिला। ट्रक वालों के प्रदर्शन से पीएम आवास छोड़ दूसरी सुरक्षित जगह शिफ्ट होने के बाद ट्रूडो ने अपने बयान में ट्रक वालों को विज्ञान विरोधी करार दिया। उन्होंने कहा कि ट्रक चालक न सिर्फ खुद के लिए बल्कि कनाडा के सभी लोगों के लिए खतरा बनते जा रहे हैं। न्होंने यह भी दावा किया कि करीब 90 फीसदी ट्रक चालक सही काम कर रहे हैं और कनाडा के लोगों के लिए उनकी टेबल पर खाना पहुंचाने का काम कर रहे हैं।
प्रदर्शनकारियों ने संसद और पीएम आवास घेरा
कनाडा की राजधानी ओटावा में हजारों की सख्या में ट्रक ड्राइवर और प्रदर्शनकारी एकट्ठा हुए। नाराज प्रदर्शनकारियों ने पीएम ट्रूडो के आवास को घेर लिया और उनके खिलाफ जमकर नारेबाजी की। ट्रक ड्राइवर्स ने अपने करीब 70 किलोमीटर लंबे काफिले को फ्रीडम कॉन्वाय का नाम दिया। ट्क वाले कनाडा के झंडे के साथ आजादी की मांग वाले झंडे लहराते दिखे। ट्रक ड्राइवरों के इस आंदोलन को हजारों अन्य प्रदर्शनकारियों का भी साथ मिल रहा है जो कोरोना प्रतिबंधों की वजह से गुस्से में हैं। सड़कों पर हजारों की संख्या में बड़े-बड़े ट्रकों की आवाजें गूंजती रही। ड्राइवरों ने हॉर्न बजाकर सरकार का विरोध किया और वो संसद के पास तक पहुंच गए। ओटावा में जमा हुए ट्रक वाले वैक्सीन को अनिवार्य किए जाने का विरोध कर रहे थे।
दुनियाभर से मिल रहा समर्थन
29 जनवरी को जब 50 हजार प्रदर्शनकारियों ने ट्रकों के साथ वैंकूवर से वहां की राजधानी ओटावा में प्रवेश किया उस समय जस्टिन ट्रूडो को सुरक्षा कारणों से अपने परिवार के साथ प्रधानमंत्री आवास छोड़ना पड़ा। या ये कहे कि भागना पड़ा। इस समय वो कनाडा में हैं ही किसी जगह पर छुपे हुए हैं। प्रदर्शनकारियों ने संसद और दूसरी ऐतिहासिक इमारतों के बाहर डेरा डाल दिया है। उनका कहना है कि वे तब तक अपनी जगह से नहीं हिलेंगे, जब तक कि कोरोना से जुड़े प्रतिबंध हटा नहीं लिए जाते। फ़्रीडम रैली को कनाडा की विपक्षी कंज़र्वेटिव पार्टी का सपोर्ट तो मिला ही है, उन्हें बाहर से भी समर्थन मिल रहा है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक रैली में कहा कि हम उन ट्रक ड्राइवर्स के साथ हैं। इससे पहले ट्रंप के बेटे ने भी फ़्रीडम रैली को समर्थन दिया था। डोनाल्ड ट्रंप जूनियर ने अमेरिका में भी ऐसी ही रैली की अपील की। टेस्ला कंपनी के मालिक और दुनिया के सबसे अमीर शख्सियत में एक एलन मस्क ने प्रदर्शन कर रहे ट्रक चालकों का समर्थन किया है। मस्क ने ट्वीट किया, 'कनाडाई ट्रक चालकों का शासन' और अब इस आंदोलन की गूंज अमेरिका तक देखी जा रही है।
भारत में किसान आंदोलन पर ट्रूडो ने दिया था बयान
ये वही जस्टिन ट्रूडो हैं जिन्होंने भारत के किसान आंदोलन के दौरान लोकतंत्र में प्रदर्शन के अधिकार पर शानदा भाषण दिया था। भारत में जब किसानों का प्रदर्शन चल रहा था तो उन्होंने न केवल इसपर अपनी चिंता जाहिर की थी बल्कि उसे अपना समर्थन भी दिया था। उस वक्त जस्टिन ट्रूडो ने इसे शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन कहते हुए मानवाधिकार का मसला भी बताया था। भारत के आतंरिक मामले में हस्तक्षेप करते हुए ट्रूडो का कहना था कि प्रदर्सन कर रहे किसानों को किसी भी तरह का नुकसान न पहुंचाया जाए। लेकिन अब जब भारत के ही किसान आंदोलन की तरह कनाडा के ट्रक ड्राइवर्स ने अपने ही देश के की राजधानी को बंधक बना लिया तो जस्टिन ट्रूडो गायब हो गए। बात जब उन पर आई तो वह परिवार समेत भाग खड़े हुए। ये दुनिया इतिहास में शायद पहली ऐसी घटना होगी जब देश के प्रधानमंत्री को अपने ही देश के प्रदर्शनकारियों से डरकर छिपने के लिए अपना सरकारी आवास छोड़ना पड़ा। इस बात को लेकर सोशल मीडिया पर पीएम ट्रूडो को लेकर मीम्स बनाए जा रहे हैं। सोशल मीडिया यूजर्स के मुताबिक ट्रूडो को अपने देश के मामले में मानवाधिकार की चिंता करने की बारी आ गई है। सोशल मीडिया पर एक यूजर ने भारत सरकार का विरोध करने वाले किसान प्रदर्शनकारियों का समर्थन करने वाले कनाडा के पीएम को आड़े हाथों लिया है। यूजर ने अमेरिकी सिंगर रिहाना, पोर्न स्टार मिया खलीफा और मीना हैरिस को टैग करते हुए लिखा, “हम इस बारे में बात क्यों नहीं कर रहे हैं? कनाडा के पीएम अपने घर से भाग गए हैं, क्योंकि ट्रक वालों ने उनके घर को घेर लिया है। लोगों की तरफ से लगातार ये सवाल उठाए जा रहे हैं कि दूसरों के आंतरिक मामले में टांग अड़ाने वाले ट्रूडो अब छिप क्यों गए? अब वो ख़ुद ट्रक ड्राइवर्स से बात क्यों नहीं कर रहे? पीसफ़ुल प्रोटेस्ट को समर्थन क्यों नहीं दे रहे?
बहरहाल, जस्टिन ट्रूडो को इन ट्रक ड्राइवरों से बचकर नहीं भागना चाहिए बल्कि इनसे संवाद करना चाहिए। ये सबसे बड़ी परंपरा रही है वाद विवाद और संवाद की। इनके अधिकार और मांगों को सुनना चाहिए। क्योंकि यही तो लोकतंत्र है। ये इनका मानवाधिकार है। ये वैक्सीन लगाए या ना लगाएं ये इच्छा इन ट्रक ड्राइवरों की होनी चाहिए।
-अभिनय आकाश