By संतोष कुमार पाठक | Apr 04, 2025
वक्फ संशोधन बिल- 2025 संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा से पारित हो गया है। दोनों सदनों ने इस विधेयक पर मैराथन चर्चा कर, आधी रात के बाद इसे पारित कर एक बड़ा संदेश देने का प्रयास किया है।
देश के उच्च सदन राज्यसभा में वक्फ संशोधन बिल- 2025 पर गुरुवार, 3 अप्रैल को चर्चा शुरू हुई। सदन के अंदर सत्तारूढ़ गठबंधन और विपक्षी गठबंधन में शामिल राजनीतिक दलों के सांसदों ने 12 घंटे से भी अधिक समय तक इस बिल पर जोरदार चर्चा की। बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन में शामिल तमाम राजनीतिक दलों ने इस बिल को समय की मांग बताते हुए पारित करने में विपक्षी दलों से सहयोग मांगा। लेकिन विपक्षी दलों ने इस बिल को असंवैधानिक बताते हुए इसका पुरजोर विरोध किया। आधी रात के बाद यानी शुक्रवार, 4 अप्रैल को देर रात 2 बजे के बाद सदन में इस पर वोटिंग शुरू हुई। राज्यसभा ने देर रात 2:32 बजे वक्फ संशोधन बिल- 2025 को पारित कर दिया। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा वक्फ संपत्तियों के प्रशासन और प्रबंधन में सुधार के उद्देश्य से लाए गए बिल के पक्ष में राज्यसभा में 128 सांसदों ने वोट किया,जबकि 95 सांसदों ने इसके खिलाफ अपना मत दिया। राज्यसभा में इस बिल के समर्थन में 128 सांसदों का समर्थन हासिल करना बीजेपी के रणनीतिकारों के लिए एक बड़ी उपलब्धि मानी जा सकती है। बिल के खिलाफ देशभर में बनाए गए माहौल और विपक्षी दलों की एकजुटता के बावजूद बीजेपी इस बिल पर एनडीए गठबंधन के इतर जाकर अन्य विपक्षी सांसदों का समर्थन हासिल करने में भी कामयाब रही।
राज्यसभा से पारित होने से एक दिन पहले गुरुवार, 3 अप्रैल को आधी रात के बाद लोकसभा ने भी इस बिल को पारित कर दिया था। लोकसभा में 288 सांसदों ने मोदी सरकार द्वारा लाए गए इस बिल का समर्थन किया था जबकि 232 सांसदों ने बिल के खिलाफ मतदान किया था।
वक्फ संशोधन बिल- 2025 अब कानून बनने से महज एक कदम दूर रह गया है। संवैधानिक तौर पर, संसद के दोनों सदनों से पारित होने के बाद इस बिल को अब मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी मिलने के बाद वक्फ संशोधन बिल- 2025 औपचारिक रूप से कानून के तौर पर लागू हो जाएगा।
हालांकि, यह भी एक सच्चाई है कि दोनों सदनों से पारित हो जाने और राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बावजूद इस बिल को लेकर जारी विवाद अभी थमने वाला नहीं है। दोनों सदनों में चर्चा के दौरान, बिल पर सरकार और विपक्ष के बीच जोरदार टकराव देखने को मिला। सरकार ने इस बिल को समय की मांग और मुस्लिमों के लिए फायदेमंद बताते हुए कहा कि पारदर्शिता और सुशासन के लिए इसे लागू करना बहुत जरूरी है। वहीं विपक्षी दलों ने इसे मुसलमानों के धार्मिक अधिकारों में हस्तक्षेप करार देते हुए इसे अल्पसंख्यक विरोधी विधेयक तक बता डाला।
सदन में सरकार से हार जाने के बाद अब बिल के विरोधी सड़क पर उतर कर लड़ाई लड़ने की बात कहते नजर आ रहे हैं। मुस्लिम संगठनों ने इस बिल के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन चलाने का ऐलान पहले ही कर दिया है।अल्पसंख्यक वोटों की राजनीति करने वाले कई राजनीतिक दल भी इस आंदोलन का समर्थन कर, इसे बड़ा बनाने की कोशिश करेंगे। वहीं विपक्षी सांसदों सहित कई संगठन इस बिल को संविधान विरोधी बताते हुए अदालत जाने की भी तैयारी में भी जुट गए हैं।
शरद पवार की पार्टी की राज्यसभा सांसद फौजिया खान ने बिल के पारित होने के बाद कहा कि इसका विरोध जारी रहेगा, वक्फ बोर्ड एक धार्मिक संस्था है, यह असंवैधानिक बिल है और इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी। उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि सुप्रीम कोर्ट इस कानून को रद्द कर देगा। वहीं डीएमके सुप्रीमो और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने इस बिल को पहले ही सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की घोषणा कर रखी है। मुस्लिम वोटरों पर नजरें गड़ाए बैठे अन्य विपक्षी राजनीतिक दल भी इस अभियान का हिस्सा बन सकते हैं। इसलिए यह तय मान कर चलिए कि संसद के दोनों सदनों से बहुमत के आधार पर पास हो जाने के बावजूद भी, इस बिल पर जारी विवाद अभी थमने वाला नहीं है।
-संतोष कुमार पाठक
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।)