सेना में भर्ती के लिए अग्निपथ योजना की घोषणा होने के बाद अचानक ही बिहार सहित कई राज्यों में हिंसक विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। युवाओं की इस नाराजगी को ढाल बनाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरोधी भी आन्दोलन में कूद पड़े और मीडिया, सोशल मीडिया पर जहर बोने के साथ-साथ सड़कों पर भी आ गए। यह वही लोग हैं जो राफेल डील के खिलाफ भी हल्ला मचा रहे थे। प्रारंभिक दौर में हुए हिंसक प्रदर्शन के बाद युवाओं व जनमानस में व्याप्त हो रहे भ्रम को दूर करने के लिए तीनों सेनाओं की ओर से साझी प्रेस वार्ता के माध्यम से सभी संभावित प्रश्नों का उत्तर देकर भ्रांतियों का निवारण किया गया। स्पष्ट भी कर दिया गया कि अब यह योजन वापस नहीं होगी और भर्ती का कार्यक्रम भी जारी कर दिया गया। जिसके परिणामस्वरूप अग्निपथ के विरोधियों द्वारा भारत बंद का जो आह्वान किया गया था वह पूरी तरह से प्रभावहीन साबित हुआ लेकिन अग्निपथ के खिलाफ वह अभी भी काम पर लगे हुए हैं और जनहित याचिकाओं के माध्यम से इसे रोकना चाहते हैं, लेकिन अब सरकार भी सतर्क हो गयी है।
तीनों सेना प्रमुखों के बाद देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अग्निपथ योजना को पूरी तरह लागू करवाने के लिए कमर कस ली है और यह भी बता दिया गया है कि अब यह योजना वापस नहीं होगी। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने कहा है कि अगर कल की तैयारी करनी है तो हमें बदलना होगा। उन्होंने कहा कि योजना के विरोध में किसी भी प्रकार का हिंसक प्रदर्शन बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। भविष्य में हम ऐसे परिदृश्य की ओर बढ़ रहे हैं जहां अदृश्य दुश्मनों के खिलाफ संपर्क रहित युद्ध होगा और देश को एक युवा चुस्त और सुप्रशिक्षित सेना की जरूरत है। पूरा युद्ध परिक्षेत्र एक बड़े परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। प्रौद्योगिकी तेज गति से आगे बढ़ रही है।
अग्निपथ योजना एक ऐसी योजना है जिसकी चर्चा 1989 से हो रही है। कारगिल युद्ध के समय भी इसकी आवश्यकता महसूस की गई थी। सेना द्वारा अग्निपथ योजना के विषय में दी गई विश्वसनीय सूचनाओं के कारण इस बारे में फैली अफवाहें दूर हुई हैं। सेना ने कहा है कि सेनाओं में भर्ती की प्रक्रिया पूर्ववत रहेगी और पारंपरिक रेजीमेंट व्यवस्था भी जारी रहेगी। 75 फीसदी जवानों को 4 साल की सेवा का अवसर देने वाली योजना सेना के तीनों अंगों और रक्षा मंत्रालय के साथ-साथ सरकार के विभिन्न अंगों के बीच लंबे समय के विचार-विमर्श से सामने आई है। अग्निपथ योजना भारत के युवा वर्ग के लिए सर्वोत्तम है। इस योजना से देश के जवानों का प्रोफाइल युवा हो जायेगा। देश का उद्योग जगत भी अब अग्निपथ योजना के साथ खड़ा हो गया है। कई उद्योगपतियों ने अग्निवीरों के लिए बड़ी घोषणाएं भी की हैं। दुर्भाग्य की बात है कि जो अग्निपथ योजना आज देश की तीनों सेनाओं व युवा वर्ग के लिए अनिवार्य हो गयी है, उसी योजना के खिलाफ मोदी विरोधी बिना समझे और पढ़े अपने एक तय एजेंडे के तहत समाज में अफवाहें और भ्रम पैदा करने का प्रयास कर रहे हैं।
अग्निपथ को लेकर मोदी विरोधियों के इरादे बहुत ही खतरनाक नजर आ रहे हैं। यह वही नेता व दल हैं जो कभी सर्जिकल स्ट्राइक पर सबूत मांग रहे थे, राफेल का विरोध कर रहे थे, सीडीएस के लिए अमर्यादित टिप्पणी कर रहे थे, देश के लिए किये गए रक्षा सौदे इन्हें पसंद नहीं थे लेकिन अग्निपथ योजना आते ही ये रातों रात सेना के भक्त हो गए। नई दिल्ली में कांग्रेसी नेताओं ने जमकर जहर उगला। एक पूर्व कांग्रेस विधायक इरफान सोलंकी ने यहां तक कह डाला कि हम यह योजना किसी भी हालत में लागू नहीं होने देंगे भले ही देश खून से लथपथ हो जाये।
तृणमूल कांग्रेस की नेता और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि सेना में अग्निपथ स्कीम को शुरू करके बीजेपी आरएसएस की एक सेना बनाने की कोशिश कर रही है जिसमें हथियारबंद गिरोह होंगे और चुनाव के दौरान उनके काम आएंगे। हैरानी की बात यह है कि ममता बनर्जी ने यह आरोप विधानसभा में लगाया। इसके बाद बीजेपी ने भी तुरंत ममता से माफी की मांग की और कहा कि उन्होंने सेना का अपमान किया है। कांग्रेस के जमानती नेता पी चिदंबरम ने ट्वीट किया, ''यदि आप ड्राइवर, धोबी या नाई की ट्रेनिंग लेना चाहते हैं तो अग्निवीर बनें। यदि आप पकोड़े तलना सीखना चाहते हैं तो अग्निवीर बनें। अगर आप सैनिक बनना चाहते हैं तो अप्लाई न करें।'' एक वीडियो में दावा किया गया कि आने वाले समय में अग्निपथ स्कीम की भर्ती प्राइवेट एजेंसी करेगी।
अग्निपथ योजना के खिलाफ सबसे अधिक जहर एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी उगल रहे हैं। इसके अलावा आप नेता संजय सिंह ने कहा कि सरकार अग्निपथ स्कीम के तहत भर्ती नौजवानों को न तो सैनिक मानेगी और न उन्हें शहीद का दर्जा देगी। उप्र में समाजवादी नेता अखिलेश यादव कह रहे हैं कि सरकार ने देश के युवाओं से सेना की वर्दी पहनने का हक छीन लिया है। यह वही अखिलेश यादव हैं जो कहते थे कि हम बीजेपी की वैक्सीन नही लगवायेंगे। बड़ी मुश्किल से जमानत पर रिहा हुए आजम खान भी जहर उगल रहे हैं। बसपा सुप्रीमो मायावती भी अग्निपथ के खिलाफ बयानबाजी कर रही हैं। बिहार में चारा घोटाले के आरोपी लालू यादव के बेटे व राजद नेता तेजस्वी यादव ने तो बीस सवाल तक पूछ डाले जिनका जवाब उन्हें दे दिया गया है।
अग्निपथ व अग्निवीरों को लेकर विरोधी दलों के नेताओं का ये रवैया बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण तथा युवाओं व सेना का मनोबल गिराने वाला है। पुलवामा के आतंकी हमलों में जवानों के शहीद होने के बाद जब भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तानी घुसपैठियों के खिलाफ एयर स्ट्राइक की तो कांग्रेस तथा आप पार्टी के बड़े-छोटे नेता इसका सबूत मांग रहे थे जिसका आशय था कि वायुसेना ने एयर स्ट्राइक किया ही नहीं। मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी सबूत मांगे थे। लोकसभा चुनावों के समय कांग्रेस के नेताओं ने सेना विरोधी जो बयानबाजी की थी, उसी का परिणाम है कि आज कांग्रेस देश से विलुप्ति के कगार पर आ खड़ी हुई है। कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा से लेकर रणदीप सुरजेवाला तक सभी ने सबूत मांगे यहां तक कि जब सेना ने वीडियो जारी किया तब उसको भी इन लोगों ने फर्जी कह दिया था।
यही नेता कभी राफेल डील का भी विरोध कर रहे थे और किसी भी हाल में राफेल को भारत नहीं आने देना चाह रहे थे। यह वही लोग हैं जिन्होंने राफेल डील के बाद प्रधानमंत्री मोदी को चोर कह दिया था कि लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मैं भी चौकीदार का नारा देकर 2019 के लोकसभा चुनावों की पूरी तस्वीर ही बदल डाली थी। आजादी के बाद जब नेहरू जी के शासनकाल में चीन के साथ सम्बन्ध खराब हो रहे थे उस समय जनरल करियप्पा ने कहा था कि सरहद तक रसद और शस्त्रास़्त्र पहुंचाने के लिए सड़कें नहीं हैं, इस पर नेहरू ने क्या कहा था यह सब कुछ उस समय के अखबारों में देखा जा सकता है। इतना ही नहीं चीन के साथ युद्ध के समय नेहरू सरकार ने कथित रूप से युद्ध में वायुसेना का प्रयोग ही नहीं किया और नतीजा क्या हुआ देश जानता है।
आजादी के बाद नेहरू जी के शासनकाल से ही रक्षा घोटाले होने लग गये थे और उसकी शुरुआत ट्रक घोटाले से हुयी थी। राजीव गांधी के शासनकाल में बोफोर्स घोटाला हुआ जो मनमोहन सिंह के जमाने में अगस्ता वेस्टलैंड तक जारी रहा। कांग्रेस नेता पी चिदंबरम जो अग्निपथ योजना पर ज्ञान दे रहे हैं और जनता में भ्रम फैला रहे हैं वह 100 से अधिक दिनों तक जेल यात्रा कर चुके हैं तथा परिवार सहित बेल पर हैं। अग्निपथ योजना का विरोध कर रहा गांधी परिवार नेशनल हेराल्ड केस में फंसता जा रहा है और उस पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है। यही कारण है कि आज गांधी परिवार ही नहीं अपितु पूरी कांग्रेस में घबराहट है जिसके कारण वह अग्निपथ का विरोध कर रही है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी बार-बार यह बयान दे रहे हैं कि कृषि कानूनों की तरह ही अग्निपथ योजना की वापसी भी होगी, अब यह उनका दिवास्वप्न ही है। वैसे भी कांग्रेस और वामपंथी विचारधारा के लोग कभी नहीं चाहेंगे कि भारतीय सेना और यहां का युवा, मजबूत, सशक्त और ऊर्जावान बने। विरोधी दल पूरी ताकत के साथ अग्निपथ योजना का विरोध करेंगे ही लेकिन अग्निपथ के खिलाफ उनकी साजिशें भी उसी तरह से बेनकाब और फ्लॉप हो जायेगी जिस प्रकार से कोविड वैक्सीनेशन के खिलाफ बेनकाब हो गयी। आने वाला समय अग्निपथ पर चलने वाले अग्निवीरों का ही है।
- मृत्युंजय दीक्षित