By निधि अविनाश | Sep 01, 2021
अफगानिस्तान में तालिबान ने अपना परचम तो लहरा दिया लेकिन साथ ही अब कई सवाल भी खड़े हो गए है। पूरी सत्ता अपने हाथों पर ले चुके तालिबान को देश संभालना काफी चुनौतीपूर्ण रह सकता है। अभी तक तालिबान शासन को मान्यता देने से कई देश पीछे हट रही है वहीं कई देशों को अभी भी लगता है कि तालिबान बहदलाव के साथ सत्ता पर राज़ करेगा। बता दें कि नये अफगान शासन को मान्यता देने के निर्णय से पहले अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय दृष्टिकोण पर भी विचार किया जाएगा।तालिबान ने 15 अगस्त को अफगानिस्तान में सत्ता पर कब्जा कर लिया था।
इसके दो सप्ताह बाद 31 अगस्त को अमेरिका ने अपने सभी सैनिकों को वापस बुला लिया। अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी को देश छोड़कर संयुक्त अरब अमीरात में शरण लेनी पड़ी। अब सवाल है कि अपने देश को हाथों में लेकर चल रहे तालिबानी सत्ता, अफगानिस्तान एयरपोर्ट, गरीबी, पलायन जैसी चुनौतियों से कैसे लड़ेंगी?
जब अमेरिका ने 31 अगस्त को अफगानिस्तान को छोड़ा तो तालिबानियों ने पटाखे जलाकर जश्न मनाया और कुछ तालिबान लड़ाके काबुल एयरपोर्ट के कंट्रोल रूम में बैठेस दिखाई दिए। बता दें कि विमान फिर से बहाल हो इसके लिए तालिबान ने कतर और तुर्की से एयरपोर्ट को दोबारा शुरू करने की मदद मांगी है।
क्या तालिबान नेताओं को वैश्विक मंच पर जगह मिलेगी?
चीन, पाकिस्तान, ईरान और रूस के अलावा ऐसा कोई देश नहीं है जो तालिबान के नेताओं को वैश्विक मंच पर जगह देगा और मान्यता देगा। बता दें कि कई देशों ने दूतावास बंद कर दिए है और इसके कारण तालिबान काफी अलग-थलग पड़ सकता है। वहीं सवाल है कि क्या अफगानिस्तान में आंतक का खतरा कम हो जाएगा? नहीं, अफगानिस्तान में आंतक का खतरा और बढ़ेगा, और इस वक्त इस्लामिक स्टेट सबसे ताकतवर आंतकी संगठन बनकर सामने आया है। गरीबी से तर-बदर अफगानिस्तान को कौन से देश फंड दकर मदद करेगा। अमेरिका ने जहां सारे फंड को सील कर दिया है वहीं सवाल है कि क्या अन्य देश तालिबान को आर्थिक मदद देंगे? बात करें वहां के अफगान के लोगों की तो किसी को भी तालिबान पर भरोसा नहीं है क्योंकि साल 1996 से 2001 के बीच जब तालिबान ने अपना शासन किया था तो तालिबानियों ने महिलाओं पर काफी जुर्म किया था जिसको देखते हुए देश से खई लोगों का पलायन हो सकता है।