By अभिनय आकाश | Sep 26, 2022
आज नवरात्रि का पहला दिन है और देवी की अराधना का सबसे उपयुक्त समय भी। भगवती माता त्रिभुवन सुंदरी हैं और आदि शक्ति होने से महा सरस्वती, महा लक्ष्मी, महाकाली के रूप में त्रिशक्ति के रूप में विराजित भी हैं। वैष्णों देवी मंदिर में देवी के इस त्रिविध रूप के दर्शन होते हैं। लेकिन इससे इतर भी कई ऐसे मंदिर हैं जहां माता अंबा की महाशक्तियों के रूप में पूजा होती है। इन्हीं में से प्रमुख मंदिर है माता मुंबा का मंदिर जो महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में स्थित है। खास बात ये है कि इसी मंदिर के नाम पर महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई का नाम पड़ा है। मुंबा देवी मंदिर में मुंबा देवी की नारंगी चेहरे वाली प्रतिमा स्थापित है और उनके साथ मां जगदंबा और मां अन्नपूर्णा भी विराजमान हैं। कहते हैं कि यहां के मछुआरों की रक्षा मां मुंबा देवी करती हैं और उन पर किसी तरह की आंच नहीं आने देती हैं।
ब्रिटिश शासन के दौरान मरीन लाइंस पूर्व क्षेत्र बाजार में स्थापना
मुंबा देवी का इतिहास भी बहुत ही निराला है। दरअसल, आज से करीब 400 साल पहले मुंबा देवी मंदिर का निर्माण 1737 में मेंजस नामक जगह पर हुआ था। इस स्थान आज विक्टोरिया टर्मिनल बिल्डिंग बनी हुई है। ब्रिटिश शासन के दौरान मुंबा देवी के इस मंदिर को मरीन लाइंस पूर्व क्षेत्र में बाजार के बीच स्थापित किया गया था।
पांडु सेठ के परिवार के पास थी रख-रखाव की जिम्मेदारी
मुंबा देवी को अपनी रक्षा के लिए मछुआरों द्वारा स्थापित किया गया था। कहा जाता है कि इस मंदिर के लिए पांडु नामक सेठ ने अपनी जमीन दान में दी थी। शुरू-शुरू में तो मुंबा देवी मंदिर का रख-रखाव पांडु सेठ के परिवार के पास था। लेकिन बाद में उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद इसका जिम्मा न्याय को सौंप दिया गया। वर्तमान के इस मुंबई में सबसे पहले मछुआरों ने अपना बसेरा बनाया था और समुद्र से आने वाले तूफानों से अपनी रक्षा के लिए उन्होंने देवी का एक मंदिर स्थापित किया। आस्था और विश्वास का ये रूप कब चमत्कार में तब्दील हो गया, इसका पता ही नहीं चला।
हर दिन देवी का अलग वाहन
मंदिर में मुंबादेवी का वाहन प्रतिदन बदला जाता है। हर दिन देवी का वाहन अलग होता है। सोमवार को नंदी, मंगलवार को हाथी, बुधवार को मुर्गा, गुरुवार को गरुड़, शुक्रवार को हंस, शनिवार को हाथी और रविवार को सिंह वाहनों पर मां की प्रतिमा सुशोभित होती है।
6 बार की जाती है आरती
मुंबा देवी मंदिर में प्रतिदिन छः बार आरती की जाती है। मंगलवार का दिन यहां शुभ माना जाता है। यहां मन्नत मांगने के लिए यहां रखे कठवा (लकड़ी) पर सिक्कों को कीलों से ठोका जाता है। श्रद्धालुओं की भीड़ बहुत रहती है। यह मंदिर लगभग 50 लाख रुपये सालाना मंदिर के अनुरक्षण कार्य एवं उत्सव आयोजनों में व्यय करता है।