By डॉ. रमेश ठाकुर | May 15, 2023
देशभर के सिनेमाघरों में धूम मचा रही ‘दा केरला स्टोरी’ के हर जगह चर्चे हैं। चर्चा इसलिए है क्योंकि फिल्म सच्ची और दर्दनाक घटनाओं पर जो आधारित है। ऐसी सच्चाई जिससे लोग अभी तक अनभिज्ञ ही थे। फिल्म प्रदर्शित होने के बाद विवाद भी बढ़ गया है। पश्चिम बंगाल में तो फिल्म पर प्रतिबंध तक लगा दिया गया है। आरोप है कि फिल्म समाज में नफरत फैला रही है। जबकि, फिल्म से जुड़े फिल्ममेकर-कलाकार और समाज का एक वर्ग ऐसा नहीं मानता। फिल्म की लीड अभिनेत्री अदा शर्मा बताती हैं कि फिल्म गुड मैसेंजर है और जागरूकता फैला रही है। फिल्म को लेकर उन्होंने अपने कई एक्सपीरिएंस डॉ. रमेश ठाकुर के साथ साझा किये। पेश हैं गुफ्तगू के मुख्य हिस्से।
प्रश्नः फिल्म करके आपने क्या महसूस किया?
उत्तर- देखिए, फिल्म की स्टोरी हमें सोचने पर मजबूर करती है। आप जब देखेंगे तो सच्चाई खुद ही पता चल जाएगी। फिल्म में जो दर्शाया गया है उसके मुताबिक अगर वैसी नौबत किसी भी लड़की के सामने जब कभी आए तो उसका समाधान समाज से पहले परिवार से ही निकलेगा। कई बार हम ऐसी समस्याओं पर परिवार के सदस्यों से बात नहीं करते, जो समस्या बढ़ने का सबसे बड़ा कारण होता है। मैंने भी ये फिल्म करके यही सब महसूस किया है। मैंने तब अपने डायरेक्टर से पूछा भी था कि क्यों इन लड़कियों ने अपने घर वालों से बात नहीं की उस वक्त? उन्होंने कहा, शायद उस वक्त उनकी किसी ने सुनी ना हो?
प्रश्नः शालिनी उन्नीकृष्णन का किरदार आपको कैसे मिला?
उत्तर- फिल्म जब मुझे ऑफर हुई, तो सामान्य रूप से ऑडिशन दिया था। सेलेक्ट हुई, उसके कुछ दिन बाद फिर से मुझे ऑडिशन के लिए बुलाया, नए ढंग से एक और ऑडिशन हुआ। तब मुझे लगा शायद पहले वाला ऑडिशन पसंद नहीं आया हो। बाद में पता चला कि मुझे लीड रोल में चुना गया है। ये सुन कर मैं फूली नहीं समाई। शालिनी उन्नीकृष्णन के रोल में ढलने के लिए आवाज में साउथ इंडियन लहजे को शामिल करना था, जिसके लिए मुझे कड़ी मेहनत करनी पड़ी। बाकी फिल्म में मेरे रोल की प्रशंसा हो रही है, जिसे देखकर मुझे खुशी और संतुष्टि दोनों की अनुभूति हो रही है।
प्रश्नः आपको लगता है कि क्या ये फिल्म असल जिंदगी में कुछ अच्छा संदेश दे पाएगी?
उत्तर- बिल्कुल इसमें कोई संदेह नहीं? कई महिलाओं की जिंदगी बदलेगी ये फिल्म। साथ ही जो लड़कियां इस दौरान ऐसे किसी ट्रैप में फंस रहीं होगी, वो सचेत होंगी। उन्हें ये फिल्म लड़ने का संबल देगी। जहां तक संदेश देने की बात है तो मुझे लगता है संदेश नहीं, बल्कि जागरूकता फैलाएगी ‘दा केरला स्टोरी’। फिल्म को करने और स्टोरी में रमने के बाद व्यक्तिगत रूप से मैंने जो महसूस किया। वह यह है कि ये हकीकत सरकार और प्रशासन को पता होने के बाद भी कोई एक्शन क्यों नहीं लिया गया। अगर एक्शन होता तो कइयों की जिंदगी बच सकती थी।
प्रश्नः विवाद भी बढ़ा है, बंगाल में फिल्म बैन की गई है?
उत्तर- देखिए, फिल्में समाज का आईना और दर्पण होती हैं। उनकी जिम्मेदारी होती है कि समाज में व्याप्त मार्मिक घटनाओं और सामाजिक बुराइयों को दिखाएं। मीडिया और फिल्म इंडस्ट्री का यही तो धर्म रहा है, जिसे हमने बखूबी किया है। जो इस फिल्म के विरोध में हैं मैं उनसे पूछना चाहती हूं कि क्या वो चाहते हैं हमारे देश में ऐसा सब कुछ हो और हमेशा होता रहे। नहीं, बिल्कुल नहीं? कोई नहीं चाहेगा। फिल्म को लेकर राजनीति नहीं होनी चाहिए। इससे कलाकारों और फिल्मकारों का मनोबल भी कमजोर होता है।
प्रश्नः फिल्म की पटकथा के संबंध में कुछ बताएं?
उत्तर- फिल्म सच्ची घटनाओं पर आधारित है। बनने से पहले खूब रिसर्च हुई। मीडिया से लेकर प्रशासनिक अधिकारियों और पीड़ित परिवारों से चर्चाएं हुईं। ये सिलसिला कई महीनों तक चला। फिल्म का हिस्सा बनने पर मुझे गर्व है। सच्ची घटनाओं में अपना किरदार होना बड़ी बात होती है। सभी कलाकारों ने अपने-अपने हिस्से के किरदार को ईमानदारी और बेहतरीन तरीके से निभाया।
-डॉ. रमेश ठाकुर
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं और भारत सरकार के राष्ट्रीय जन सहयोग एवं बाल विकास संस्थान के सदस्य हैं)