महिला विरोधी अपराध के दलदल में भद्रलोक

By उमेश चतुर्वेदी | Sep 02, 2024

बंकिम चंद्र की शस्य श्यामला माटी वाला पश्चिम बंगाल शक्ति पूजक समाज है। शरद ऋतु के स्वागत के साथ बंगाल की धरती दुर्गा के स्वागत में हर साल विभोर होती रही है। बंगाल में महिलाओं का सम्मान की कैसी परंपरा है, इसे समझने के लिए दुर्गा पूजा के विधान को समझना चाहिए। जहां मूर्ति बनाने के लिए उन वेश्याओं के घर से पहली मिट्टी लाई जाती है, जिन्हें आम तौर पर समाज त्याज्य और गंदा मानता है। बंगाल की धरती कैसी नारी पूजक रही है, किस तरह वह नारियों का सम्मान करती रही है, इसके उदाहरण आजादी के आंदोलन के इतिहास में जैसे मिलते हैं, अन्य राज्यों में कम। स्वाधीनता संग्राम में जिन तीन महिलाओं ने आगे बढ़कर हिस्सा लिया और अपने ज्ञान और संघर्ष से भारत को आलोकित किया, वे तीनों बंगाल की बेटियां थी। पहली थीं अरूणा गांगुली, जो बाद में अरूणा आसफ अली बनीं, दूसरी थीं सुचेता मजूमदार जो बाद में सुचेता कृपलानी के नाम से प्रसिद्ध हुईं। तीसरीं थीं सरोजिनी चट्टोपाध्याय जो बाद में भारत कोकिला सरोजिनी नायडू बनीं। बंगाल की माटी नारी की कितना सम्मान करती रही है, उसका एक और उदाहरण कमला देवी चट्टोपाध्याय भी रहीं। जब भारत के अन्य इलाकों की महिलाएं घूंघट के पीछे सिर्फ परिवार के कोल्हू में पिस रहीं थीं, तब बंगाल ने अपनी बेटियों को वाजिब सम्मान दिया और उन्हें आगे बढ़ाया। उस बंगाल में कभी महिलाओं के साथ बदसलूकी की कल्पना तक नहीं की जाती थी। वहां अब हालात कैसे बदल गए हैं, इसका अंदाजा लगाने के लिए राधागोविंद कर अस्पताल में हुई घटना को उदाहरण के रूप में लिया जा सकता है। 


समूचा देश अपनी आजादी की 77 वीं सालगिरह के जश्न में थककर पंद्रह अगस्त की रात जब मीठी नींद के आगोश में था, भद्रलोक की राजधानी कोलकाता के राधा गोविंद कर यानी आरजी कर अस्पताल में जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर की बर्बरता पूर्वक रेप के बाद हत्या कर दी गई। बंगाल में देर रात तक दफ्तर से लौटने वाली लड़कियों की कभी घरवाले चिंता तक नहीं करते थे, अब वे परेशान हो उठे हैं। बंगाल के लोग अपनी बच्चियों के लिए चिंतित हो उठे हैं। बंगाल की धरती पर शायद यह पहली ऐसी घटना है, जिसमें किसी महिला के साथ ऐसी बर्बरता की गई है। इससे शक्तिपूजक बंगाली समाज का क्रोध और क्षोभ से भरना स्वाभाविक है। दिलचस्प यह है कि पश्चिम बंगाल इकलौता ऐसा राज्य है, जिसे महिला मुख्यमंत्री का गौरव हासिल है। महिला के राज में किसी महिला के साथ ऐसा दुराचार लोगों के गले आसानी से नहीं उतर रहा। इसलिए बंगाल इन दिनों खौल रहा है। बंगाल के चुनिंदा बुद्धिजीवियों को छोड़ दें तो समूचा बौद्धिक समाज सड़कों पर उतर आया है। जो चुप हैं या व्यवस्था की तरफदारी कर रहे हैं, वे सत्ताधारी पार्टी के साथ हैं, सांसद या किसी अन्य पद पर हैं। 

इसे भी पढ़ें: कोलकाता रेप-मर्डर केस ने एक बार फिर हमारी प्रशासनिक कमजोरियों को उजागर कर दिया, आखिर ऐसा कबतक?

अभी बहुत दिन नहीं हुआ, जब पश्चिम बंगाल के संदेशखाली से भी महिलाओं से बलात्कार की खबरें सामने आईं थीं। वहां की घटना की जब परतें खुलने लगीं तो पता चला कि रेप की घटनाएं अपराध और राजनीति के नापाक गठजोड़ का नतीजा हैं। संदेशखाली को लेकर बंगाली समाज में उबाल तो आया, लेकिन वैसा नहीं, जैसा आरजी कर अस्पताल की दुराचार के बाद दिख रहा है। शायद संदेशखाली की पीड़िताएं ग्रामीण इलाकों की हैं, जबकि आरजी कर की घटना उस कोलकाता शहर की है, जिसे भद्रलोक समाज के लिए जाना जाता है। 


पश्चिम बंगाल की कड़वी सच्चाई बांग्लादेश से हो रही अवैध घुसपैठ। अवैध घुसपैठियों के समर्थन में बीजेपी छोड़ तकरीबन समूचा बंगाली राजनीति है। 34 साल के वामपंथी शासन के दौरान इस घुसपैठ को वैधता मिली। वामपंथी शासन व्यवस्था के दौरान पार्टी कैडर के नाम पर बड़ा झुंड उभरा। सरकार पर संगठन का नियंत्रण होना चाहिए, लोकतांत्रिक व्यवस्था में इसे स्वीकार किया जा सकता है। लेकिन संगठन की ओर से समानांतर व्यवस्था चलाना और शासन में हर स्तर पर हस्तक्षेप शासन की निष्पक्षता को तो खत्म करता ही है, शासन को पंगु भी बना देता है। प्रांत से लेकर ब्लॉक स्तर तक स्थापित वामपंथी व्यवस्था ने ऊपर से नीचे तक प्रशासन को अपना गुलाम बनाने में कामयाब रहा। प्रशासन और समानांतर पार्टी व्यवस्था ने मिलकर अपराध और राजनीति का मजबूत गठजोड़ बनाया। इस गठजोड़ में पैसा था, पॉवर था, ताकत थी। नीचे से मिले पैसे उपर तक पहुंचते रहे। जनता ठगी जाती रही है। पश्चिम बंगाल का समाज उस संस्थानिक व्यवस्था से इतना परेशान था कि संघर्षशील ममता बनर्जी में नई उम्मीद दिखी। बंगाली समाज को लगा कि संघर्षशील ममता नई बयार बनकर पश्चिम बंगाल की व्यवस्था में जमी काई को साफ कर देगी। उन्हें उम्मीद थी कि ममता अपने राजनीतिक औजारों से बंगाल की व्यस्था में जमे नासूर को साफ कर देंगी। लेकिन अफसोस ऐसा नहीं हुआ। ममता भी उसी कदम पर चल पड़ी। निचले स्तर पर जो वामपंथी कैडर था, वह ममता का कार्यकर्ता बन गया। अवैध घुसपैठ बनती रही। घुसपैठियों या पूर्वी बंगाल के लोगों को पश्चिम बंगाल को लोग बांगाल बोलते हैं। कहने का मतलब यह है कि बांगाल के हवाले होती रही राजनीति और सीमा के पार तक के अल्पसंख्यक तुष्टिकरण से प्रशासन लगातार या तो पंगु होता गया या फिर सत्ताधारी तंत्र का चारण बनता गया। प्रशासन का यह चारण रूप 16 अगस्त को भी दिखा, जब आरजी कर की पीड़िता की रिपोर्ट साढ़े ग्यारह बजे रात को दर्ज की गई, जबकि उसके साथ बलात्कार और उसका मर्डर पंद्रह अगस्त की रात को दो से ढाई बजे के बीच हो चुका था। इसे सुप्रीम कोर्ट ने भी नोटिस किया और कोलकाता पुलिस को डांट भी पिलाई। सुप्रीम कोर्ट जजों ने तो यहां तक कहा कि अपने तीस साल में ऐसा कभी होते नहीं देखा। 


पश्चिम बंगाल में ही हो सकता है कि भ्रष्टाचार के आरोप में पुलिस अधिकारी के घर केंद्रीय एजेंसी छापा मारने पहुंचे तो मुख्यमंत्री खुद दल बल अपने भ्रष्ट अधिकारी के पक्ष में धरना देने पहुंच जाएं। कुछ इसी अंदाज में ममता की अगुआई में कोलकाता में बलात्कार और कत्ल की घटना के विरोध में धरना दिया गया। कह सकते हैं कि यह सरकार के खिलाफ सरकार का धरना था। ऐसा दुनिया के किसी भी लोकतांत्रिक समाज में कम से कम अब तक तो नहीं ही देखा गया है। ममता ने चूंकि प्रशासन में किसी तरह का गुणात्मक बदलाव नहीं किया, बल्कि वामपंथ जैसी कैडर व्यवस्था विकसित कर ली और उसे छूट दी। अल्पसंख्यक कार्यकर्ताओं और नेताओं के सामने स्थानीय पुलिस झुकने को मजबूर हो गई। इससे राज्य में अपराध बढ़ा और पुलिस का इकबाल कम हुआ। पुलिस का भरोसा अगर बना रहता तो शायद पश्चिम बंगाल में अपराध की घटनाएं इतनी ज्यादा नहीं बढ़तीं। पुलिस की लाचारगी तो आरजी कर बलात्कार में बार-बार नजर आई है। 


बंगाल के बारे में कहा जाता रहा है कि बंगाल जो आज सोचता है, वैसी सोच भविष्य में दूसरे राज्यों की होती है। लेकिन बलात्कार और बढ़ती अपराध की घटनाओं को लेकर नहीं कह सकते कि बंगाल से बाकी राज्यों में उससे ज्यादा हो सकता है। ऐसी सोच होनी भी नहीं चाहिए। लेकिन यह उम्मीद जरूर करनी चाहिए कि आगे की सोच रखने वाला भद्रलोक इस दिशा में भी सोचेगा। उसका गुस्सा एक ऐसे बंगाल की रचना करेगा, जहां की धरती में रवींद्र संगीत गूंजता रहेगा, जहां बंकिम के गीत गाए जाते रहेंगे। जहां उसकी नारियां स्वाधीन ढंग से काम कर सकेंगी और समाज में निर्भीक तरीके से आगे बढ़ सकेंगी। जिसमें सिंदूर खेला होगा, घुंघुंची नृत्य होगा, दुर्गा देवी की पूजा होगी।

प्रमुख खबरें

PM Modi को Kuwait के सर्वोच्च सम्मान द ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर से किया गया सम्मानित

PM Narendra Modi के कुवैत दौरे पर गायक मुबारक अल रशेद ने गाया सारे जहां से अच्छा

Christmas Decoration Hacks: क्रिसमस सजावट के लिए शानदार DIY हैक

Delhi Water Crisis| यमुना में बढ़ा Ammonia का स्तर, कई इलाकों में हुई पानी की कमी