Poorvottar Lok: Assam जिस सामूहिकता से बाढ़ की विभीषिका के साथ लड़ रहा है, वह सबके लिए प्रेरक है

By नीरज कुमार दुबे | Jul 05, 2024

असम इस समय बाढ़ की विभीषिका से जूझ रहा है लेकिन सरकार और जनता जिस तरह मिलकर इस आपदा से लड़ रहे हैं वह अपने आप में बड़ा प्रेरक है। हम आपको बता दें कि असम के 29 जिलों में बाढ़ आई हुई है जिसके चलते 21 लाख लोग प्रभावित हैं। प्रभावितों की इतनी बड़ी संख्या होने के बावजूद राज्य सरकार जिस तत्परता से राहत कार्यों में लगी हुई है उसके चलते लोगों की मुश्किलें कम हुई हैं। आपने अक्सर देखा होगा कि बाढ़ के समय मुख्यमंत्री या मंत्री हेलीकॉप्टर से प्रभावित क्षेत्रों का आकलन करके चले जाते हैं लेकिन असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ग्राउंड जीरो पर उतर कर जनता के लिए काम करने वाले नेता के रूप में जाने जाते हैं।


सड़कों पर भरे हुए पानी के बीच हिमंत बिस्व सरमा जब अधिकारियों को लेकर जनता के बीच पहुँच रहे हैं तो बाढ़ प्रभावितों को इस बात का अहसास हो रहा है कि हमारी सरकार सिर्फ गुवाहाटी में नहीं बैठी है बल्कि हमारे इलाके में, हमारे मोहल्ले में और हमारे घर तक पहुँच रही है ताकि बाढ़ से पैदा हुई परेशानियां कम हो सकें। मुख्यमंत्री जब खुद बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों और दूरदराज के इलाकों में जाकर जनता का हाल जान रहे हैं तो मंत्री और अधिकारी भी बाढ़ राहत कार्यों में तल्लीनता से लगे हुए हैं। मुख्यमंत्री कभी सड़कों पर घुटनों तक भरे पानी के बीच चलते नजर आ रहे हैं तो कभी रबर बोट में अधिकारियों के साथ बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का जायजा लेते नजर आ रहे हैं।

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हम आपको बता दें कि हिमंत बिस्व सरमा के काम करने का स्टाइल अन्य मुख्यमंत्रियों से एकदम अलग है। वह जनता के बीच ज्यादा से ज्यादा जाकर उनकी प्रतिक्रिया जानते हैं, तत्काल फैसला लेते हैं और अपने प्रशासन को चुस्त बनाये रखते हैं। इसी के चलते असम में नागरिक केंद्रित सरकार चल रही है। यही नहीं, हिमंत बिस्व सरमा सरकार सिर्फ जनता की ही नहीं बल्कि जानवरों की भी पूरी चिंता कर रही है और उन्हें सुरक्षित स्थान पर पहुँचा रही है। पिछले वर्षों से तुलना करें तो इस बार बाढ़ के चलते जनहानि कम हुई है क्योंकि सरकार पहले से ही नागरिकों की सुरक्षा को लेकर सतर्क और सक्रिय थी।


बाढ़ के चलते बेघर हुए लाखों लोगों को ज्यादा असुविधा नहीं हो इसके लिए असम में मुख्यमंत्री के निर्देश पर बाढ़ राहत शिविरों में तमाम तरह की सुविधाओं के प्रबंध किये गये हैं। मुख्यमंत्री लगातार इन शिविरों का दौरा कर वहां की सुविधाओं का जायजा ले रहे हैं। वह बाढ़ प्रभावितों को आश्वस्त भी कर रहे हैं कि उन्हें नियमों के अनुसार और समय रहते सभी प्रकार की राहत प्रदान की जायेगी। मुख्यमंत्री ने बड़ा ऐलान करते हुए यह भी कहा है कि जिनका घर गया है, उनके लिए घर की व्यवस्था की जाएगी और जिन्हें किसी और प्रकार का नुकसान हुआ है, उन्हें मुआवजा दिया जाएगा। मुख्यमंत्री जिस तरह आपदा के समय जनता से सीधा संपर्क बनाये हुए हैं यह उसी का परिणाम है कि वह जिस भी बाढ़ प्रभावित जगह जा रहे हैं वहां सरकार विरोधी कोई नारेबाजी नहीं देखने को मिल रही बल्कि लोग मुस्कुरा कर उनका स्वागत कर रहे हैं। आपने अक्सर देखा होगा कि मुश्किल हालात के दौरान परेशान जनता किसी सत्तारुढ़ नेता को देखकर सरकार विरोधी नारेबाजी करने लगती है लेकिन मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा जहां जा रहे हैं वहां लोग उनसे मिलने को उतावले हो जाते हैं और उम्मीद भरी नजर से उन्हें देख रहे हैं। बच्चे तो मुख्यमंत्री को अपने बीच पाकर उनसे हाथ मिलाने लगते हैं।


बहरहाल, जहां तक असम के हर साल बाढ़ से प्रभावित होने का कारण है तो दरअसल इसके लिए राज्य की भौगोलिक स्थिति जिम्मेदार है। चीन, भूटान में भारी वर्षा हो जाये तो असम में बाढ़ आ जाती है। अरुणाचल प्रदेश में भी अक्सर बादल फटते रहते हैं और पानी असम में आ जाता है। वैसे हालिया वर्षों में राज्य सरकार ने बाढ़ नियंत्रण की दिशा में कई कदम उठाये गये हैं जिससे लोगों की परेशानियां कम हुई हैं लेकिन यह भी सत्य और तथ्य है कि प्रकृति के आगे किसी का वश नहीं चलता। खैर...राज्य सरकार बाढ़ को तो पूरी तरह नहीं रोक सकती लेकिन इससे प्रभावित लोगों की परेशानियां कम करने के प्रयास जरूर तेजी से करती दिख रही है। इसके अलावा असम के लोगों की सबसे बड़ी ताकत उनका ‘धैर्य’ है। इस मुश्किल स्थिति में जिस तरह असम की सरकार और लोग मुसकुराते हुए सामूहिकता के साथ आपदा से लड़ रहे हैं वह सबके लिए प्रेरक है।

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