By अभिनय आकाश | Feb 25, 2023
दुनिया के किसी भी देश के लिए उनकी सीमाओं की सुरक्षा करना उनका प्राथमिक काम होता है। ताकी कोई दूसरा देश उसपर आक्रमण करके उसकी जमीन न हथिया ले। लेकिन कई देशों की सीमाओं पर कई ऐसे चेक प्वाइंट यानी ऐसे महत्वपूर्ण गलियारे होते हैं, जिव पर अगर कोई दुश्मन देश कब्जा कर ले तो उस देश का भारी नुकसान पहुंचाया जा सकता है। इसलिए इन चेक प्वाइंट्स पर पहले से ही एयरफोर्ट और आर्मी के बेस बनाकर रखा जाता है। ऐसा ही एक गलियारा भारत के पास भी है। जिसे आर्मी की भाषा में चिकेन नेक भी कहा जाता है।
चीन कितना शातिर पड़ोसी और धोखेबाज देश है। भारत के इस खास इलाके पर भी चीन अपनी नजरें गड़ाए बैठा रहता है। पूर्वी लद्दाख के रास्ते चीन को आगे बढ़ने से भारतीय सेना ने रोक रखा है। लेकिन विस्तारवादी चीन अपने मंसूबों को पूरा करने के लिए 'पीछे' के रास्ते से भारत में घुसने की कोशिश कर रहा है। चीन की नजरें भारत के अहम सिलीगुड़ी कॉरिडोर पर टिकी हुई हैं जिसे भारत का 'चिकन नेक' भी कहा जाता है। पश्चिम बंगाल में स्थित 60 किलोमीटर लंबा और 20 किलोमीटर चौड़ा सिलीगुड़ी कॉरिडोर उत्तर-पूर्वी राज्यों को भारतीय मुख्य भूमि से जोड़ता है। भारत के विभाजन के साथ ही बांग्लादेश के गठन की नींव पड़ गई थी।
सिलीगुड़ी कॉरिडोर न केवल एक महत्वपूर्ण व्यापार मार्ग है बल्कि भारत के लिए दक्षिण-पूर्व एशिया के प्रवेश द्वार के रूप में भी इसकी पहचान है।
नेपाल, भूटान, बांग्लादेश और चीन जैसे कई देशों से घिरा होने की वजह से इस क्षेत्र का महत्व और अदिक बढ़ जाता है। चीन के सामरिक हितों और हाल के घटनाक्रमों ने भारत सरकार को इस संवेदनशील इलाके पर ध्यान केंद्रित करने के लिए मजबूर किया है। ऐसे में आइए अगले भाग में हमहैं भू-भाग के भौगोलिक, सामरिक और भू-रणनीतिक महत्व को बारिकियों की तह तक। इसके साथ ही ये भी समझने की कोशिश करेंगे कि किस तरह पड़ोसी देशों में चीन की भागीदारी और निवेश ने सामरिक स्थिति को खतरे में डाल दिया है। हम कॉरिडोर को सुरक्षित करने में बांग्लादेश द्वारा निभाई गई भूमिका और भारत द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में जानेंगे। Next Episode-