POTUS Part 8 | सिर्फ 5 दिन बाकी, ये मामला बन गया सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा | Teh Tak

By अभिनय आकाश | Oct 30, 2024

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान में अब केवल तीन हफ्ते बचे हैं। सर्वे बताते हैं कि कमला हैरिस और डोनाल्ड ट्रंप के बीच राष्ट्रपति पद के लिए कड़ा मुकाबला होगा। डेमोक्रेट्स और रिपब्लिकन्स में से किसे जीत मिलेगी, ये तो वक्त के साथ साफ हो जाएगा। लेकिन अमेरिकी चुनाव में इस बार अबॉर्शन से लेकर इमिग्रेशन तक के मुद्दे छाए रहे। 

अबॉर्शन और इमिग्रेशन 

रिपब्लिकन पार्टी में श्वेत परंपरावादियों में 80-84% ऐसे लोग है, जो भ्रूण हत्या को पाप समझते हैं। इसके अलावा जो परंपरावादी श्वेत मॉडरेट हो गए हैं और डेमोक्रेटिक पार्टी में चले गए है, उनमें भी एक वर्ग ऐसा है जो भ्रूण हत्या के खिलाफ है। ऐसे मतदाताओं को लुभाने और ज्यादा से ज्यादा ग्रामीण मतों को अपने पक्ष में करने के लिए कमला हैरिस ने मिनेसोटा गवर्नर टिम वाल्ज को उपराष्ट्रपति पद के लिए नामांकित कर एक जुआ खेला है। रिपब्लिकन दावा कर रहे है कि टिम वाल्ज चीन में एक दशक रहे है, उनके स्कूली बच्चों को अमेरिकी इतिहास पढ़ाते रहे हैं। 

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हैरिस का क्या है स्टैंड 

हैरिस गर्भपात जैसे बड़े मुद्दे की पक्षधर रही हैं। इमिग्रेशन मुद्दे पर ट्रंप बहुत गंभीर हैं और मेक्सिको के रास्ते अमेरिकी सीमा में घुसने वाले लातिन अमेरिकी मूल के लोगों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई में भरोसा जताते हैं। अमेरिका में इस मूल के नागरिकों का डेमोक्रेट्स के प्रति झुकाव (51-58%) बढ़ा है। 

ट्रंप के तीखे और कड़वे बोल 

डॉनल्ड ट्रंप उम्मीदवार कमला हैरिस के प्रति कटुता के स्वरों से श्वेत वर्ग में निराशा उत्पन्न हुई है। ट्रंप का बड़बोलापन ही उनका बड़ा शत्रु है। पर जब कहते हैं कि पिछले दो दशक में वह एकमात्र राष्ट्रपति है, जिनके कार्यकाल में युद्ध की टंकार नहीं सुनाई दी, तो गलत नहीं हैं। ट्रंप और शी चिनफिंग का भले 36 का आंकड़ा रहा, रूस और अमेरिका के बीच शीतयुद्ध चलता रहा, उन्होंने पुतिन और उत्तर कोरिया के निरंकुश तानाशाह किम जॉन उना से संवाद बनाए रखने में कमी नहीं छोड़ी। 

इजराइल हमास युद्ध 

7 अक्टूबर के हमास के हमले के बाद से गाजा में जारी संघर्ष को लेकर अमेरिका की दोनों प्रमुख पार्टियां करीब-करीब एक जैसा रुख अपनाती नजर आती हैं. अमेरिका में किसी भी पार्टी की सरकार रही हो लेकिन इजराइल के समर्थन में कमी कभी नहीं आई। हालांकि डोनाल्ड ट्रंप का मानना है कि अगर वो अमेरिका के राष्ट्रपति होते तो इजराइल पर हमला होता ही नहीं। उन्होंने कई बार युद्ध खत्म करने पर जोर दिया है लेकिन कभी भी खुलकर फिलिस्तीन का समर्थन नहीं किया। वहीं कमला हैरिस गाजा में मासूम फिलिस्तीनियों की मौत का मुद्दा उठाती रहीं हैं। उन्होंने इजराइली प्रधानमंत्री नेतन्याहू से भी सख्त लहज़े में युद्ध खत्म करने की बात कही थी, लेकिन वह हर बार इजराइल की रक्षा के लिए प्रतिबद्धता भी जताती रहीं हैं। 

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बहुमत नहीं, फिर भी जापान के PM का इस्तीफे से इनकार

जापान में सत्ताधारी लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (LDP) की अगुआई वाले गठबंधन को संसद के निचले सदन में बहुमत नहीं मिल पाया है। रविवार को सामने आए नतीजों में उसे 465 सीटों में से 191 सीटें मिली हैं और सहयोगी पार्टी कोमिटो को मिलाकर 215 सीटें मिली हैं। उसे 65 सीटों का नुकसान हुआ है। पिछले 15 साल में पार्टी का यह सबसे खराब रिजल्ट है। चुनाव परिणाम के बाद जापानी PM शिगेरू इशिबा ने कहा कि जनता ने कठोर फैसला सुनाया है। हम विनम्रता से इसे स्वीकार कर रहे हैं, लेकिन फिलहाल वे किसी और दल को जोड़ने की कोशिश नहीं कर रहे हैं। पद पर बना रहूंगा। सरकार चलाने के लिए गठबंधन को 233 सीटें हासिल करनी होंगी। जापान के प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा ने पिछले महीने पार्टी अध्यक्ष पद का चुनाव जीता था जिसके बाद वे देश के प्रधानमंत्री बने थे। इसके बाद इशिबा ने चुनाव कराने का ऐलान किया था।

लेबनान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि सिडोन में दो हमलों में पांच लोगों की मौत हो गई और 33 लोग घायल हो गए। राष्ट्रीय समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, तीसरे हमले में एक अन्य इमारत को निशाना बनाया गया। इज़रायली सेना ने इन हमलों से पहले कोई चेतावनी नहीं दी, और विशिष्ट लक्ष्य स्पष्ट नहीं है।

हारेत्ज़ के स्तंभकार गिदोन लेवी का कहना है कि गाजा से पूरी तरह से इजरायली सेना की वापसी की संभावना कम है। सरकार में किसी का भी गाजा से वापसी का कोई इरादा नहीं है। वापसी के बिना, कोई युद्धविराम नहीं होता, कोई समझौता नहीं होता और कोई बंधकों की रिहाई नहीं होती।

तेल अवीव से बोलते हुए, लेवी ने कहा कि गाजा में इजरायली सैनिक मारे जा रहे हैं, और इसके बावजूद, लगभग कोई भी वापसी के बारे में नहीं बोल रहा है। लेकिन हिज़्बुल्लाह के साथ, चीजें स्पष्ट हैं क्योंकि यदि समूह लितानी नदी से आगे हटने के लिए सहमत होता है, तो "वे समझते हैं - कम से कम सेना में - कि लड़ाई जारी रखने से कुछ हासिल नहीं होगा क्योंकि हिज़्बुल्लाह अभी भी बहुत मजबूत है।

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