By अभिनय आकाश | Aug 05, 2023
भारतीय सेना को एक कारगर और अचूक हथियार मिल गया है। इजरायल से एक मिसाइल खरीदी गई है। जिसकी मदद से दुश्मन के मजबूत टैंक और बख्तरबंद गाड़ियों को नष्ट किया जा सकेगा। इस खासियत की वजह से इस टैंक को किलर टैंक कहा जाता है। अब चीन और पाकिस्तान के खिलाफ ये मिसाइल तैनात हो चुकी है। भारतीय वायुसेना के नए टैंक किलर से दुश्मन थर्रा रहा है। वायुसेना को इजरायल से स्पाइक एंटी टैंक मिसाइलों की पहली खेप मिल गई है। इन मिसाइलों की रेंज 30 किलोमीटर तक है। इन्हें हेलीकॉप्टर से फायर किया जा सकता है। वायु सेना इन्हें अपने नी 17 वी हेलीकॉप्टरों में लगाने की तैयारी कर रही है। स्पाइक मिसाइल पहाड़ के पीछे छुपे हुए दुश्मन के टैंक, बख्तरबंद गाड़ियों या उसके ठिकाने को बहुत आसानी से तबाह कर सकती है। स्पाइक मिसाइल से लैस भारतीय वायु सेना के हेलीकॉप्टर दुश्मन के टैंकों, बख्तरबंद गाड़ियों और उसके बंकरों के लिए सबसे जबरदस्त दुश्मन साबित होंगे।
स्पाइक नॉन लाइन ऑफ साइट (एनएलओएस) मिसाइलों की मुख्य विशेषताएं:
इसे इजरायली कंपनी राफेल एडवांस्ड डिफेंस सिस्टम्स ने डिजाइन किया था।
यह विभिन्न कॉन्फ़िगरेशन में उपलब्ध है, जिसमें मैन-पोर्टेबल, वाहन-लॉन्च और हेलीकॉप्टर-लॉन्च वेरिएंट शामिल हैं।
लॉन्च से पहले लॉक-ऑन और स्वचालित स्व-मार्गदर्शन सुविधाओं के साथ आग लगाओ और भूल जाओ प्रणाली का उपयोग करता है।
स्पाइक के लंबी और विस्तारित रेंज संस्करण "फायर, ऑब्जर्व और अपडेट" ऑपरेटिंग मोड पेश करते हैं।
हवा से प्रक्षेपित स्पाइक एनएलओएस एटीजीएम गतिरोध दूरियों से जमीनी लक्ष्यों पर सटीक हमले करने में सक्षम हैं।
दुश्मन के टैंक रेजिमेंटों को महत्वपूर्ण नुकसान पहुंचाने और उनकी प्रगति को प्रभावी ढंग से रोकने की क्षमता प्रदर्शित करता है।
स्टैंड-ऑफ रेंज और निष्क्रिय मार्गदर्शन के कारण इसमें जीवित रहने की क्षमता का उच्चतम स्तर है।
यह एंटी-एक्सेस/एरिया डिनायल (ए2एडी) लक्ष्यों को संभालने में सक्षम बनाता है।
मेक-इन-इंडिया पहल के माध्यम से मिसाइलें
अधिकारियों ने यह भी कहा कि फिलहाल स्पाइक एनएलओएस एटीजीएम को सीमित संख्या में ऑर्डर किया गया है और बल मेक-इन-इंडिया पहल के माध्यम से बड़ी संख्या में मिसाइलें प्राप्त करने पर विचार करेगा। दो साल पहले चीन की आक्रामकता से उत्पन्न खतरे के मद्देनजर, भारतीय सेना और वायु सेना दोनों ने भारतीय और विदेशी दोनों हथियारों के साथ अपने शस्त्रागार में काफी वृद्धि की है। यहां यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि भारतीय वायु सेना के शीर्ष अधिकारी स्वदेशीकरण पर जोर दे रहे हैं और भारतीय स्रोतों और उद्योग के माध्यम से ऐसे उच्च तकनीक उपकरण और हथियार विकसित करने के लिए कई योजनाओं का समर्थन कर रहे हैं।