By अंकित सिंह | Mar 09, 2024
प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने इजराइल-हमास संघर्ष, रूस-यूक्रेन युद्ध के साथ-साथ नॉर्डिक रिस्पांस एक्सरसाइज और चीन के बढ़े रक्षा बजट पर भी हमने चर्चा की। हमेशा की तरह इस कार्यक्रम में ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) मौजूद रहे।
- रिटायर्ड ब्रिगेडियर त्रिपाठी ने कहा कि यह पूरी तरीके से रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से हो रहा है। रूस की वजह से यूरोप के कुछ देशों में डर जरूर देखने को मिल रहा है। इसलिए इस तरह की एक्सरसाइज की जा रही है। जनवरी से लेकर मई तक यह एक्सरसाइज चलेगी। इतनी बड़ी एक्सरसाइज है इसलिए इसकी इतनी चर्चा हो रही है। साथ ही साथ इस एक्सरसाइज के जरिए नाटो देश कहीं ना कहीं रूस को एक ताकत दिखाने की कोशिश कर रहे हैं। 90000 से ज्यादा इसमें ट्रूप शामिल है। इसके अलावा 100 फाइटर प्लेन और कहीं ना कहीं कई नेवल की टीम भी शामिल है। रूस-यूक्रेन लड़ाई में नाटो देशों की आपस में कोऑर्डिनेशन बिल्कुल खराब दिखी। उसे भी दुरुस्त करने के लिए इस एक्सरसाइज को किया जा रहा है ताकि अपनी कमियों को दूर किया जा सके। इसमें शामिल सैनिकों को एक अलग तरीके की ट्रेनिंग भी दी जा रही है।
- ब्रिगेडियर डीएस त्रिपाठी ने कहा कि देखिए यूक्रेन के पास फिलहाल कोई मैनपॉवर नहीं बचा हुआ है। रूस लगातार हमले कर रहा है और अपनी पोजिशनिंग भी जारी रखा हुआ है। पहले उसने जबरदस्त तरीके से मिसाइल दागे। अब जमीन पर भी वह लगातार कब्जा करता दिखाई दे रहा है। यूक्रेन को पहले की तुलना में अब मदद भी नहीं मिल रही है। रूस अभी भी आक्रामक बना हुआ है। इसका बड़ा कारण यह है कि रूस मानता है कि पश्चिमी देश उसे न्यूक्लियर वार के लिए प्रवोक कर रहे हैं। त्रिपाठी ने इस बात का भी दावा किया कि कहीं ना कहीं बातचीत के जरिए समाधान निकाला सकता है। बैक चैनल के जरिए बातचीत हो रही है। लेकिन उसका नतीजा निकल नहीं पा रहा है। तुर्की की इसमें अहम भूमिका है। साथ ही साथ चीन भी अपनी तरफ से लगा हुआ है।
- इस सवाल पर ब्रिगेडियर त्रिपाठी ने कहा कि चीन ने अपनी रक्षा बजट में बहुत ही ज्यादा ही बढ़ोतरी की है। 336 बिलियन डॉलर उसकी रक्षा बजट है जो की 7.02 फ़ीसदी है। यह तीसरी बार है जब चीन का रक्षा बजट 7% से ऊपर है। हालांकि यह अमेरिका और नाटो से कम है। चीन ने अगर अपने रक्षा बजट में बढ़ोतरी की है तो इसकी सबसे बड़ी वजह इंडो पेसिफिक क्षेत्र, इंडियन ओशन, अमेरिका और मिडिल ईस्ट है। साथ ही साथ उन्होंने बताया कि चीन अब पूरी तरीके से मिलिट्री के अंदर कोऑर्डिनेशन पर जोर दे रहा है। साथ ही साथ साइबर स्पेस और डिफेंस के क्षेत्र में भी अपनी पकड़ मजबूत कर रहा है। नेशनल सिक्योरिटी डिफेंस पर भी चीन का जोर है। चीन इनोवेशन, क्वालिटी ऑफ़ प्रोडक्शन और रिजर्व फोर्सज पर जोर दे रहा है। चीन अगर अपने बजट को बढ़ाया है तो उसका एक बड़ा कारण अमेरिका भी है। कहीं ना कहीं अमेरिका और चीन के बीच की तनातनी साफ तौर पर समय-समय पर देखने को मिल जाती है। चीन इस बात का भी संदेश देने की कोशिश कर रहा है कि वह किसी से कम नहीं है। चीन छोटे-छोटे देशों से अपने दोस्ती बढ़ा रहा है।
- ब्रिगेडियर त्रिपाठी ने कहा कि हम पूरी तरीके से चीन को चीन की भाषा में जवाब देने को तैयार हैं। मोरल भी हमारा हाई है। लेकिन कहीं ना कहीं कुछ कमियां है उसे दुरुस्त किया जा रहा है। बॉर्डर क्षेत्र में इंफ्रास्ट्रक्चर पहले नहीं थी जो अब बनाया जा रहा है। हालांकि, इसमें टाइम लगेगा। साथ ही साथ उन्होंने कहा कि हमें चीन के खिलाफ लॉन्ग टर्म प्लानिंग को तैयार रखना होगा। बॉर्डर एरिया को विकसित करने में वाइब्रेट विलेज प्रोग्राम काफी मदद कर रहा है। हमें थिएटर कमान पर भी जोर देने की आवश्यकता है। चेन्नई ने इसे बहुत पहले कर लिया है। अब हम इस दिशा में बढ़ रहे हैं। हमें चीन के खिलाफ सिर्फ जमीन पर ही मजबूत नहीं होना है बल्कि एयर, स्पेस, वाटर और साइबर के क्षेत्र में भी हमें चीन की चुनौतियों का सामना करना होगा। चीन की कमजोरी को हमें समझने की जरूरत है। उसी हिसाब से हमें नीति बनानी होगी। साथ साथ चीन पर दबाव बनाए रखने के लिए हमें अमेरिका, नाटो के साथ अपने रिश्तों को तो और मजबूत करना ही होगा। साथ ही रूस के साथ भी अपने संबंध बनाए रखने होंगे।
- यह लड़ाई अभी भी धीमी नहीं हुई है। इस लड़ाई की वजह से आम नागरिकों को नुकसान उठाना पड़ा है। सबसे ज्यादा महिलाएं और बच्चों की मौत हुई है। स्थिति पूरी तरीके से खराब है और इसराइल मानने को तैयार नहीं है। वह रुक नहीं रहा है। हमास की ओर से भी जवाबी कार्रवाई की जा रही है। बातचीत का चैनल पूरी तरीके से बंद हो चुका है। सीजफायर पर बात नहीं बन पा रही है। बंधकों को निकालने के लिए कोई ठोस कार्यवाही नहीं की जा सकी है। आम लोगों को परेशानी हो रही है। मानवता की त्रासदीक बढ़ती जा रही है जिसकी वजह से इसराइल पर दबाव आ रहा है। मानवता की मदद के लिए एक पोर्ट भी तैयार करने की नीति बनी है। हालांकि, इसमें टाइम लगेगा। कुल मिलाकर देखें तो रूस और यूक्रेन युद्ध की तरह यह भी बहुत आगे दिनों तक चलने वाला है।