By टीम प्रभासाक्षी | Jan 15, 2022
देश भर में ओमिक्रॉन के मामलों की संख्या भी बहुत तेजी से बढ़ रही है। देश भर में ओमिक्रॉन के मामलों की संख्या 6 हज़ार से ज्यादा हो गई है। ओमिक्रॉन के बढ़ते खतरे के बीच अब मां बाप को भी बच्चों की चिंता सताने लगी है। 15 साल से कम आयु के बच्चों के लिए अभी वैक्सीन आने में काफी वक्त है ऐसे में मां बाप इस बात को लेकर परेशान है कि इस नए वैरियंट से बच्चों को कैसे बचाया जाए। प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होने के बाद भी बच्चों में कोरोना वायरस के मामले तेजी से बढ़ने लगे हैं। अमेरिका के अस्पतालों में बच्चों की भर्ती संख्या में इजाफा देखने को मिल रहा है। ऐसे में डॉक्टर और हेल्थ एक्सपर्ट्स इस नए वायरस से बच्चों को बचा कर रखने का मशवरा दे रहें हैं।
बच्चों में देखने को मिल रहे हैं ओमिक्रॉन के अलग लक्षण
हेल्थ एक्सपोर्ट्स का यह मानना है कि ओमिक्रॉन के लक्षण बच्चों में बड़ों के मुकाबिल अलग हो सकते हैं। अगर ओमिक्रॉन के आम लक्षणों की बात की जाए तो इसमें नाक बंद होना, गले में खराश या चुभन, सूखी खांसी और पीठ के निचले हिस्से में दर्द होता है। वहीं अमेरिका की लैविन चिल्ड्रन हॉस्पिटल की डॉक्टर अमीना अहमद ने एक वीडियो में आज तक को यह जानकारी दी कि, बच्चों के मुकाबिल बड़ों के गले में ज्यादा खराश और कफ देखने को मिल रहा है। ज्यादातर मामले हल्के हैं लेकिन फिर भी लोग बीमार पड़ रहे हैं।
अमेरिका के बाल संक्रमण रोग चिकित्सक डॉ सैम डोमिंगुएज का मानना है कि बच्चों को कोरोना संक्रमण हो रहा है। वह कहते हैं ओमिक्रॉन डेल्टा की तुलना में ज्यादा तेज फैल रहा है। सबसे बड़ी वजह यही है कि ज्यादातर बच्चे इसके संपर्क में आने से बीमार पड़ने लगे हैं। इसके लक्षणों में कुछ बच्चों में काली खांसी देखने को मिल रही है। वहीं डॉक्टर अमीना कहती हैं कि, बच्चों में क्रूप खांसी देखने को अधिक मिल रही है। इसमें फेफड़ों में नहीं बल्कि ऊपरी वायु मार्ग में सूजन ज्यादा होती है। बच्चों के वायु मार्ग बड़ों के मुकाबले छोटे होते हैं इसलिए उन में सूजन भी कम होती है।
डॉक्टर अमीना का कहना है कि कोविड-19 के सामान्य लक्षणों में से कोई भी लक्षण ओमिक्रॉन में कॉमन नहीं है। स्टडी में भी यह बात सामने आई है कि इस वैरिएंट से अस्पताल में भर्ती होने वालों की संख्या काफी कम है। या कहें कि अन्य वैरियंट की तुलना में यह संख्या कम है।
अमेरिका के सरकारी डेटा के मुताबिक, वहां 5 साल से कम उम्र के बच्चों में कोरोना संक्रमण पाया गया है और उनके अस्पताल में भर्ती होने के मामलों में भी रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई है। अमेरिका में अभी इस उम्र से कम बच्चों को वैक्सीन लगना शुरू नहीं हुई है। ऐसे ही कुछ स्थिति दक्षिण अफ्रीका में तब देखने को मिली जब वहां ओमिक्रॉन पीक पर था। हेल्थ एक्सपर्ट इस बात को मानते हैं कि भले ही ओमिक्रोन दूसरे वैरियंट के मुकाबिल कम घातक हो लेकिन यह लोगों को अस्पताल भेज रहा है।