मणिपुर मुठभेड़ मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने SIT को लगाई फटकार

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jan 17, 2018

नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने मणिपुर में कथित न्यायेतर हत्याओं और फर्जी मुठभेडों के मामलों में अपेक्षित संख्या में प्राथमिकी दर्ज नहीं करने पर आज केन्द्रीय जांच ब्यूरो के विशेष जांच दल को कडी फटकार लगाई। आरोप है कि सेना, असम राइफल्स ओर पुलिस ने सशस्त्र घुसपैठ से प्रभावित इस राज्य में इस तरह की वारदात कीं।

न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल और न्यायमूर्ति उदय यू ललित की पीठ ने विशेष जांच दल को इन मामलों में 30 और प्राथमिकी 30 जनवरी तक दर्ज करने का निर्देश दिया। इससे पहले, विशेष जांच दल ने पीठ को सूचित किया था कि उसने अभी तक 12 प्राथमिकी दर्ज की हैं। उच्चतम न्यायालय एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा है जिसमें मणिपुर में कम से कम 1528 न्यायेत्तर हत्याओं की जांच की मांग की गई है।

 

पीठ ने कहा कि, ‘हर मामले में प्राथमिकी दर्ज होना आवश्यक है। आपको (एसआईटी) जांच करनी है। जांच के बाद आप निर्णय करें कि आप आरोपपत्र दायर करेंगे या क्लोजर रिपोर्ट।’ पीठ ने जांच दल को निर्देश दिया कि जिन 12 मामलों में अब तक प्राथमिकी दर्ज की गयी है, उनकी जांच का काम इस साल 28 फरवरी तक पूरा करके न्यायालय में अंतिम रिपोर्ट दाखिल की जाये।

 

विशेष जांच दल की प्रथम स्थिति रिपोर्ट के अवलोकन के बाद पीठ ने उससे अनेक तीखे सवाल पूछे। पीठ ने जानना चाहा कि पिछले साल 14 जुलाई के आदेश के बावजूद अभी तक सारी प्राथमिकी दर्ज क्यों नहीं की गयीं। न्यायालय ने निर्देश दिया कि विशेष जांच दल द्वारा उसके समक्ष अब दाखिल की जाने वाली सारी स्थिति रिपोर्ट को सीबीआई के निदेशक की स्वीकृति होनी चाहिए।

 

शीर्ष अदालत ने जांच ब्यूरो के निदेशक से कहा कि वह जांच की प्रगति की निगरानी करें। न्यायालय ने इसके साथ ही इस मामले की सुनवाई 12 मार्च के लिये स्थगित कर दी। न्यायालय ने इससे पहले कहा था कि ऐसा लगता है कि मणिपुर में कथित फर्जी मुठभेड़ों से संबंधित मामलों की जांच को विशेष जांच दल गंभीरता से नहीं ले रहा है। न्यायालय ने पिछले साल 12 जुलाई को इन मामलों की जांच के लिये विशेष जांच दल गठित किया था। इसमें सीबीआई के पांच अधिकारियों को शामिल किया गया था। न्यायालय ने मणिपुर मे न्यायेतर हत्याओं के मामलों में प्राथमिकी दर्ज करने और इनकी जांच का आदेश दिया था।

 

न्यायालय ने इस राज्य में 1528 न्यायेतर हत्याओं की जांच के लिये दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान पिछले साल जुलाई में 81 प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया था। इन मामलों में, 32 मामले जांच आयोग, 32 मामले न्यायिक आयोग और उच्च न्यायालयों की जांच, 11 मामलों में मानवाधिकार आयोग मुआवजा दे चुका है और छह मामलों में शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति संतोष हेगडे की अध्यक्षता वाले आयोग ने जांच की थी, शामिल हैं।