By योगेंद्र योगी | Aug 14, 2023
विपक्षी एकता की कवायद चांद पर घर बसाने जैसी हो गई। विपक्षी दल इंडिया नाम के जिस संयुक्त गठबंधन के जरिए भाजपा को लोकसभा चुनाव में सत्ता से दूर रखने का ख्वाब देख रहे हैं, उसी में उनकी आपसी फूट आड़े आ रही है। वाद-विवाद की इस कड़ी में राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के सुप्रीमो शरद पंवार का नाम भी जुड़ गया है। पवार ने पुणे में लोकमान्य तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार समारोह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ मंच साझा कर विपक्षी दलों की हालत सांप-छछूंदर जैसी कर दी है। कुछ विपक्षी दल इसे एकता के प्रयासों को झटका मान रहे हैं, वहीं अन्य विपक्षी दलों के समझ में ही नहीं आ रहा है कि इस पर क्या और कैसे प्रतिक्रिया व्यक्त करें। विपक्षी दलों में सबसे पहले खुलेतौर पर शिव सेना (यूबीटी) ने गहरी नाराजगी जाहिर की है। इसी के साथ मोदी के साथ मंच साझा करने को लेकर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिममीन (एआईएमआईएम) अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने विपक्षी एकता के प्रयासों की खिल्ली उड़ाते हुए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख शरद पवार पर ढोंग का आरोप जड़ दिया। ओवैसी ने ट्वीट किया कि लोकसभा में राकांपा और अन्य विपक्षी दल मणिपुर मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, जबकि शरद पवार खुशी-खुशी पुणे में नरेन्द्र मोदी के साथ मंच साझा कर रहे हैं, ये कैसा ढोंग है? वहीं, भाजपा खुशी-खुशी बिना चर्चा के विधेयक पास करा रही है।
इस पर पलटवार करते हुए राकांपा प्रवक्ता क्लाइड क्रैस्टो ने पलटवार किया कि असदुद्दीन ओवैसी को राजनीतिक समझ की कमी दिखाने वाले बयान देने से पहले अपनी आंखें और कान खुले रखने की जरूरत है। शरद पवार साहब लोकमान्य तिलक के सम्मान में समारोह में शामिल हुए। क्या ओवैसी को तिलक जी का महत्व पता है और क्या उन्होंने कभी उन्हें कोई सम्मान दिया है?
विपक्षी गठबंधन में शामिल शिवसेना-उद्धव बालासाहेब ठाकरे ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने राकांपा पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे और इसके बाद उन्होंने उस पार्टी को तोड़ दिया एवं महाराष्ट्र की राजनीति को दलदल बना दिया। शिवसेना ने कहा कि यह अजीब स्थिति है, क्योंकि नेता मोदी के साथ मंच साझा कर रहे हैं और पार्टी कार्यकर्ता काले झंडे लेकर उनके खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के नेता अशोक चव्हाण ने कहा कि इस तरह की चीजें भ्रम की स्थिति पैदा करती हैं और पवार को अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए। चव्हाण ने कहा कि इस तरह के सम्मेलनों में शामिल होना गलत है, सभी प्रमुख विपक्षी दल इंडिया गठबंधन के अंतर्गत आते हैं। इस तरह की चीजें भ्रम की स्थिति पैदा करती हैं। कांग्रेस नेता ने कहा कि अगर पवार जैसे वरिष्ठ नेता अपना रुख स्पष्ट कर देते हैं तो यह बेहतर रहेगा। कांग्रेस के नेता आपस में ही विरोधाभासी बयान दे रहे हैं। शरद पवार के कार्यक्रम में शामिल होने को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि शरद पवार का पुणे में आयोजित एक कार्यक्रम में पीएम मोदी के साथ मंच साझा करना उनका निजी फैसला है।
इसके अलावा, एनसीपी में टूट के बाद पहली बार किसी कार्यक्रम में शरद पवार और अजित पवार एक साथ नजर आए। कार्यक्रम में पहले शरद पवार ने पीएम मोदी की पीठ थपथपाई। फिर पीएम मोदी ने अजित पवार की पीठ थपथपाई। शरद पवार और पीएम मोदी सात साल में पहली बार एक मंच पर दिखे। विपक्षी एकता की खिचड़ी कवायद की हालत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि एक तरफ पवार ने पीएम मोदी के साथ समारोह में मंच साझा किया, वहीं दूसरी तरफ मोदी पवार की परवाह किए बगैर विपक्ष दलों पर हमला करने से नहीं चूके। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कर्नाटक में सत्तारुढ़ कांग्रेस स्वार्थ के लिए राज्य का खजाना खाली कर रही है और चुनावी राज्य राजस्थान में भी विकास रुक गया है, जहां उसकी सरकार है, लेकिन इसके विपरीत महाराष्ट्र में चौतरफा विकास हो रहा है। मोदी ने कहा कि कर्नाटक में, सिद्धरमैया सरकार ने स्वीकार किया है कि राज्य का खजाना खाली है और विकास के लिए धन नहीं है। कर्नाटक में मई में हुए विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को सत्ता से बेदखल करने के बाद कांग्रेस सत्ता में आई थी। प्रधानमंत्री ने कहा कि कांग्रेस लोकलुभावन घोषणाएं करके कर्नाटक में सत्ता में आने में कामयाब रही, लेकिन इस प्रक्रिया में उसने लोगों के भविष्य को खतरे में डाल दिया है। शरद पवार को भी अंदाजा था कि उनके मोदी के साथ मंच साझा करने पर विपक्षी दल सवाल उठाएंगे। इस पर सफाई देते हुए उन्होंने कहा कि तीन महीने पहले मैंने खुद इस कार्यक्रम के लिए प्रधानमंत्री को आमंत्रित किया था। इसलिए अगर मैं वहां हाजिर नहीं रहूं, तो यह ठीक नहीं है। प्रधानमंत्री का एक प्रोटोकॉल होता है। हालांकि, अपने भतीजे अजित पवार के साथ मंच साझा करने को लेकर शरद पवार ने कुछ नहीं कहा। एनसीपी के कई विधायक शरद पवार की इसी भूमिका को लेकर शंका में हैं, जिसके चलते अधिकांश एनसीपी विधायक महाराष्ट्र विधानसभा के मॉनसून सत्र में नहीं आ रहे थे।
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार अपने चाचा के बयान से एक कदम आगे निकल गए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री राजीव गांधी को मिस्टर क्लीन के तौर पर जाना जाता है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी वही सम्मान प्राप्त है। अजित ने यह बयान पुणे के तिलक समारोह में शामिल होने के बाद दिया। राकांपा के विरोधी गुट के कार्यकर्ताओं द्वारा पीएम मोदी को काले झंडे दिखाए जाने पर अनजान बनते हुए अजित ने कहा कि जब प्रधानमंत्री मोदी का काफिला वहां से गुजर रहा था तो सड़क के दोनों ओर खड़े पुणे के लोगों ने उनका स्वागत किया। पवार ने कहा मैं और देवेंद्र जी (उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस) काफिले में एक ही गाड़ी में बैठे थे। हमने समारोह स्थल तक प्रधानमंत्री की यात्रा के दौरान एक भी काला झंडा नहीं देखा और तो और हमने देखा कि सड़क के दोनों ओर खड़े लोग उनका स्वागत और अभिवादन कर रहे थे।
विपक्षी एकता की डमगमाती नाव को केरल में भी तूफानी राजनीति का सामना करना पड़ रहा है। केरल में पांच साल की बच्ची से रेप और मर्डर के मामले को लेकर विपक्षी दलों के गठबंधन के भीतर दरार पैदा कर दी है। दरअसल, इस मामले में पीड़िता और आरोपी दोनों प्रवासी हैं। ऐसे में इस मामले ने राज्य कांग्रेस को सीपीएम के नेतृत्व वाली लोकतांत्रिक मोर्चा सरकार पर तीखा हमला शुरू करने के लिए प्रेरित किया है। केरल प्रदेश कांग्रेस ने इस मामले को लेकर पिनराई विजयन सरकार की आलोचना की है। केरल कांग्रेस ने राज्य के गृह विभाग को भ्रष्ट करार देते हुए मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के इस्तीफे की मांग की है। केरल कांग्रेस ने ट्वीट किया कि मुख्यमंत्री बच्चों के लिए भी सुरक्षा सुनिश्चित नहीं कर सकते।
इससे पहले पश्चिम बंगाल के ग्राम पंचायत चुनावों के दौरान हुई हिंसा को लेकर कांग्रेस ने राज्य की सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस पर तीखे हमले किए थे। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के बंगाल प्रमुख अधीर रंजन चौधरी ने ग्राम पंचायत चुनावों के दौरान हिंसा को लेकर तृणमूल कांग्रेस की आलोचना करते हुए कहा था कि राज्य में आतंक का राज है।
वहीं, आम आदमी पार्टी (आप) नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ कांग्रेस नेताओं के बयानों से भी विपक्षी एकता को लेकर सवाल उठे। हालांकि, दिल्ली में कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी के साथ अपने टकराव को नजरअंदाज कर दिया। कांग्रेस पार्टी ने दिल्ली के अधिकारियों को नियंत्रित करने के केंद्र के अध्यादेश (बिल) के खिलाफ लड़ाई में अरविंद केजरीवाल की पार्टी का समर्थन करने पर सहमति व्यक्त की। इसके बाद भी अजय माकन जैसे स्थानीय नेता आप सरकार पर निशाना साधते रहे हैं। इस पर बीजेपी नेता अमित मालवीय ने इन प्रतिद्वंद्विता पर विपक्षी गुट का मजाक उड़ाते हुए कहा कि दिल्ली कांग्रेस ने आप को समर्थन देने का विरोध किया था। अधीर रंजन चौधरी पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के जानलेवा शासन के खिलाफ खड़े हैं। लेकिन दोनों राज्यों में कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने हमला बोल दिया। वैसे कांग्रेस ने नियमित रूप से अपनी प्रदेश इकाइयों के हितों से समझौता किया है। पार्टी ने राहुल गांधी को प्रासंगिक बनाए रखने के लिए खुद को लोगों के समूह तक सीमित कर दिया है। इस महीने की शुरुआत में बेंगलुरु में बड़े विपक्षी सम्मेलन के मौके पर सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के साथ किसी भी तरह के गठबंधन से इनकार कर दिया। येचुरी ने कहा कि ममता बनर्जी और सीपीआई (एम) एक साथ नहीं आ सकते। बंगाल में वामपंथियों और कांग्रेस के साथ दूसरी सेक्युलर पार्टियां होंगी, जो बीजेपी और टीएमसी के खिलाफ लड़ेंगी।
गौरतलब है कि विपक्ष के 26 दलों ने अगले लोकसभा चुनाव के लिए अपनी चुनावी बिसात बिछाने का आगाज करते हुए गत 18 जुलाई को 'इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस (इंडिया) नाम से नए गठबंधन की घोषणा की थी। इस बैठक में कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख एवं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, बिहार के मुख्यमंत्री एवं जनता दल यूनाईटेड के शीर्ष नेता नीतीश कुमार, डीएमके नेता एवं तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन, आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव, शिवसेना के प्रमुख उद्धव ठाकरे, झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता एवं झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, आम आदमी पार्टी के नेता एवं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव और कुछ अन्य नेता इस बैठक में शामिल हुए थे। विपक्ष के 26 दलों के गठबंधन इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस (इंडिया) की अगली बैठक मुंबई में होगी। भाजपा के खिलाफ गठबंधन तैयार करने की दिशा में विपक्षी दलों की यह तीसरी बैठक होगी।
पटना और बंगलूरू में हुई बैठक में विपक्षी एकता के प्रयास सिरे नहीं चढ़ सके। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीलवाल कांग्रेस से नाराजगी के कारण पटना बैठक बीच में छोड़ कर चले गए थे। कांग्रेस के भाजपा सरकार के विरोध में संसद में दिल्ली के बिल का विरोध करने पर आप ही नाराजगी दूर हो सकी। इसके बावजूद कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस और विपक्षी गठबंधन में शामिल दलों में एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी जारी रही। बयानबाजी का यह दौर बंगलूरू में हुई दूसरी बैठक के बाद भी जारी रहा। अब इसमें शरद पवार के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मंच साझा करने का मुद्दा भी जुड़ गया है। गठबंधन की मौजूद हालत फिलहाल एक को मनाओ तो दूसरा रुठने वाली है। देखना यही है कि विपक्षी दल अपने इन क्षुद्र राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठ कर भाजपा का सामना कैसे कर पाएंगे।
-योगेन्द्र योगी