By अभिनय आकाश | May 12, 2022
श्रीलंका में प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे पूरी कैबिनेट के साथ इस्तीफा दे चुके हैं। देश में आर्थिक संकट और प्रदर्शन के बीच इमरजेंसी लगी हुई है। कर्ज, हिंसा और आर्थिक संकट की मार झेल रहे श्रीलंका में पिछले दो दिनों से कोई सरकार ही नहीं है। श्रीलंका में दो दिनों से सरकार नहीं है। श्रीलंका को ऐसे नेतृतव की तलाश है जो खस्ता अर्थव्यवस्था और तंगहाली झेल रहे देश की स्थिति में कोई चमत्कारिक परिवर्तन ला सके। लेकिन श्रीलंका को प्रधानमंत्री पद का कोई चेहरा ही नहीं मिल रहा है। विपक्ष की तरफ से भी श्रीलंका की बागजोर संभालने को लेकर मतभेद दिख रहे हैं। वहीं आईएमएफ ने नई सरकार के गठन के बाद ही कर्ज देने की बात कह दी है।
दो दिनों से बिना सरकार के श्रीलंका
श्रीलंका में 9 मई से कोई सरकार नहीं है। गोटबाया के बड़े भाई और प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने उनके समर्थकों द्वारा सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों पर हमला किए जाने को लेकर भड़की हिंसा के बाद इस्तीफा दे दिया था। इस हमले से राजपक्षे के वफादारों के खिलाफ व्यापक पैमाने पर हिंसा भड़की, जिसमें दो पुलिस अधिकारी समेत नौ लोगों की मौत हो गयी।
विपक्ष दो धड़ों में बंटा
श्रीलंका के समागी जन बलवेगया (एसजेबी) के नेता सजित प्रेमदासा के संकटग्रस्त राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे की अंतरिम सरकार में प्रधानमंत्री बनने के इच्छुक नहीं होने के कारण मुख्य विपक्षी दल एसजेबी देश का अगला प्रधानमंत्री चुनने को लेकर दो धड़ों में बंट गया है। एसजेबी में विभाजन ऐसे समय में सामने आया है, जब उसके प्रमुख नेता हरिन फर्नांडो ने पत्रकारों से कहा कि उन्होंने पार्टी से स्वतंत्र रहने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि पार्टी नेता प्रेमदासा अंतरिम सरकार में प्रधानमंत्री बनना नहीं चाहते हैं। फर्नोंडो ने कहा, ‘‘यह समय शर्तें लगाने और जिम्मेदारी से बचने का नहीं है, बिना सरकार के हरेक गुजरता मिनट विनाशकारी होगा।’’ उन्होंने कहा कि वह देश चलाने के लिए किसी भी अंतरिम प्रधानमंत्री का समर्थन करेंगे।
राष्ट्रपति का इस्तीफे से इनकार, नए PM की नियुक्ति का वादा
राष्ट्रपति ने बुधवार को देर रात देश के नाम संबोधन में इस्तीफा देने से इनकार कर दिया, लेकिन इस सप्ताह एक नए प्रधानमंत्री और नए मंत्रिमंडल की नियुक्ति करने का वादा किया, जो संवैधानिक सुधार पेश करेगा। उन्होंने देश के सबसे खराब आर्थिक संकट को लेकर प्रदर्शनों के बीच यह घोषणा की। ऐसी अटकलें है कि पूर्व प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को अंतरिम सरकार का नया प्रधानमंत्री बनाया जा सकता है। उन्होंने बुधवार शाम को राष्ट्रपति से मुलाकात की थी।
नई सरकार के गठन के बाद ही मिलेगा कर्ज
आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका पर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की नजर बरकरार है। आईएमएफ मे कहा है कि जैसे ही श्रीलंका में नई सरकार का गठन हो जाता है तो उसे आर्थिक सहायता देने के लिए नीतिगत मसलों पर चर्चा शुरू की जाएगी। आईएमएफ का कहना है कि श्रीलंका की गतिविधियों पर उसकी लगातार नजर है। वहां पैदा हुए तनाव और हिंसा को लेकर आईएमएफ चिंतित भी है। गौरतलब है कि आईएमएफ ने श्रीलंका के साथ अपनी अंतिम मीटिंग में देश को 300 से 600 मिलियन डॉलर की सहायता देने का भरोसा दिया था।