Pradosh Vrat 2024: सोम प्रदोष व्रत से जीवन में प्राप्त होती है सफलता

By प्रज्ञा पाण्डेय | Sep 30, 2024

आज सोम प्रदोष व्रत है, हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का खास महत्व होता है। यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के लिए समर्पित है तो आइए हम आपको सोम प्रदोष व्रत का महत्व एवं पूजा विधि के बारे में बताते हैं।


जानें सोम प्रदोष व्रत के बारे में

प्रदोष व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही प्रदोष काल में ही प्रदोष व्रत की पूजा होती है। पंडितों की मान्यता है कि सावन का सोमवार एवं प्रदोष के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की एक साथ पूजा करने से कई जन्मों के पाप धुल जाते हैं और मन पवित्र हो जाता है। यह हर महीने कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। प्रदोष का अर्थ होता है संध्या काल, इस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है। प्रदोष व्रत की तिथि हर महीने बदलती रहती है क्योंकि यह चंद्रमा की स्थिति पर निर्भर करती है। प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करना सबसे शुभ माना जाता है। प्रदोष काल सूर्यास्त के बाद से लेकर रात्रि 8 बजे तक का समय शुभ होता है।


सोम प्रदोष व्रत से लें ये संकल्प 

इस दिन सावन का सोमवार और सोम प्रदोष व्रत होने के कारण सबसे पहले प्रदोष व्रत करने के लिए आपको सुबह जल्दी उठना चाहिए। उसके बाद स्नान के पश्चात स्वच्छ वस्त्र पहनें और भगवान शिव का ध्यान करें। इसके बाद भगवान शिव का अभिषेक करें। पंचामृत और पंचमेवा का भगवान को भोग लगाएं उसके बाद व्रत का संकल्प लें। शाम में भगवान शिव की पूजा से पहले स्नान अवश्य करें तथा प्रदोष काल में शिव जी की आराधना प्रारम्भ करें।

इसे भी पढ़ें: Famous Shiva Temples: सावन में जरूर करें उज्जैन के इन शिव मंदिरों के दर्शन, प्राप्त होगी भोलेनाथ की कृपा

सोम प्रदोष व्रत की पौराणिक कथा भी होती है रोचक

हिन्दू धर्म में बुद्ध प्रदोष व्रत के विषय में एक कथा प्रचलित है। इस कथा के अनुसार एक पति अपनी पत्नी को लेने उसके मायके गया। ससुराल में घर के लोग सोमवार के दिन दामाद और बेटी को विदा न करने की आग्रह करने लगे। लेकिन पति अपने ससुराल वाली की बात पर ध्यान नहीं दिया और उसी दिन अपनी पत्नी को साथ लेकर अपने घर को चल दिया। रास्ते में दोनों पति-पत्नी जाने लगे तभी पत्नी को प्यास लगी तो पति ने कहा मैं पानी की व्यवस्था करके आता हूं। वह पानी लेने जंगल में चला गया। पति के लौटने पर उसने देखा कि पत्नी किसी और के साथ हंस रही है और दूसरे के लोटे से पानी पी रही है। यह देखकर वह काफी क्रोधित हो गया। तब उसने सामने जाकर देखा तो वहां पत्नी जिसके साथ बात कर रही थी वे कोई और नहीं बल्कि उसी का हमशक्ल था। पत्नी भी दोनों में सही कौन है इसकी पहचान नहीं कर पा रही थी ऐसे में पति ने भगवान शिव से प्रार्थना किया और कहा कि पत्नी के मायके पक्ष की बात न मान कर उसने बड़ी भूल की है। यदि वह सकुशल घर पहुंच जाएगा तो नियमपूर्वक सोमवार त्रियोदशी को प्रदोष का व्रत करेगा। ऐसा करते ही भगवान शिव की कृपा से दूसरा हमशक्ल गायब हो गया। उसी दिन से दोनों पति-पत्नी सोम प्रदोष का व्रत करने लगे।


हिन्दू धर्म में सोम प्रदोष व्रत की है खास महत्ता 

हिन्दू धर्म में प्रदोष व्रत का खास महत्व होता है। हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से घर में सुख-शांति आती है। संतान की इच्छा रखने वाली स्त्रियों के लिए यह व्रत फायदेमंद होता है। अच्छे वर की कामना से कुंवारी कन्याएं इस व्रत को करती हैं।


सोम प्रदोष व्रत एवं सोमवार को ये न करें

सोम प्रदोष व्रत विशेष प्रकार का व्रत है इसलिए इसमें किसी भी प्रकार की गलती से बचें। पंडितों का मानना है कि इस दिन साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखें। इस दिन नहाना नहीं भूलें। काले वस्त्र न पहनें और व्रत रखें। क्रोध पर नियंत्रण रखें और ब्रह्मचर्य का पालन करें। साथ ही मांस-मदिरा का सेवन न कर केवल शाकाहार भोजन ग्रहण करें। 


सोम प्रदोष व्रत पर ऐसे करें पूजा 

प्रदोष व्रत की पूजा मुख्य रूप से शाम में की जाती है। पूजा से पहले स्नान करके साफ वस्त्र धारण करने चाहिए। इसके बाद भगवान शिव को बेल पत्र, फूल, धतूरा, भांग और गंगाजल चढ़ाएं। इसके बाद घी का दीपक जलाएं और विधि विधान पूजा करें। इस व्रत में अन्न का सेवन नहीं किया जाता है। हालांकि फलाहार ले सकते हैं।


सोम प्रदोष व्रत का है खास शुभ मुहूर्त 

पंचांग के अनुसार, अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 29 सितंबर दिन रविवार को शाम 04 बजकर 47 मिनट पर शुरू होगी और 30 सितंबर को शाम 07 बजकर 06 मिनट पर समाप्त होगी. वहीं, 30 सितंबर को शाम 07: 06 मिनट से भद्राकाल लग जाएगा. जिसका समापन 01 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 14 मिनट पर होगा।


पूजा के दौरान रखें इन बातों का ख्याल 

पूजा के दौरान एक बात का विशेष ध्यान रखें कि आपका मुख उत्तर-पूर्व दिशा की तरफ होना चाहिए। शिवलिंग पर जल अर्पित करते समय पंचाक्षर मंत्र का जप करें। जल चढ़ाते समय धारा टूटनी नहीं चाहिए। ऐसा करने से महादेव जातक की सभी मुरादें पूरी करते हैं।

 

- प्रज्ञा पाण्डेय 

प्रमुख खबरें

Sports Recap 2024: जीता टी20 वर्ल्ड कप का खिताब, लेकिन झेलनी पड़ी इन टीमों से हार

यहां आने में 4 घंटे लगते हैं, लेकिन किसी प्रधानमंत्री को यहां आने में 4 दशक लग गए, कुवैत में प्रवासी भारतीयों से बोले पीएम मोदी

चुनाव नियमों में सरकार ने किया बदलाव, इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड के सार्वजनिक निरीक्षण पर प्रतिबंध

BSNL ने OTTplay के साथ की साझेदारी, अब मुफ्त में मिलेंगे 300 से ज्यादा टीवी चैनल्स