By अभिनय आकाश | Apr 02, 2020
दुनियाभर में कोरोना वायरस ट्रेंडिंग टॉपिक है। यहां तक कि इन दिनों गूगल पर सबसे ज्यादा सर्च किया जाने वाला शब्द भी कोरोना वायरस ही है। ऐसे में तुर्कमेनिस्तान ने कथिततौर पर ‘कोरोना वायरस’ शब्द पर बैन लगा दिया है। सरकारी प्रेस विज्ञप्तियों में भी इस शब्द का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है। बताते हैं कि ‘कोरोना वायरस’ शब्द की जगह ‘बीमारी’ या ‘सांस की बीमारी’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया जा रहा है। आप कह रहे होंगे विदेशी बात है हमे इससे क्या। लाकडाउन चल रहा है और ऐसे में घर से बाहर निकल नहीं सकते तो टीवी पर रामायण देख लेते है या थोड़ा मोबाइल चला लेते हैं, सोशल मीडिया को स्काल कर लेते हैं। तो ये खबर, वायरल खबर आपने भी जरूरी सुनी या पढ़ी होगी।
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दरअसल, पिछले कुछ दिनों से एक मैसेज या कहे सर्कुलर खूब वायरल हो रहा है। जिसमें कहा गया है कि आज की आधी रात के बाद से देशभर में डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट लागू हो रहा है, इसके बाद कोरोना वायरस को लेकर किसी भी तरह की जानकारी शेयर करना अपराध होगा। इसके अलावा फेसबुक पर इस मैसेज के साथ में एक पुलिस अधिकारी का वीडियो भी वायरल हो रहा है। इस वीडियो में अधिकारी कहते हुए सुनाई दे रहे हैं कि, 'कोई किसी भी तरह का आपत्तिजनक पोस्ट करता है तो उसके ग्रुप एडमिन को आवश्यक रूप से आरोपी बनाया जाएगा। ग्रुप एडमिन यह सुनिश्चित कर लें कि कम से कम उनके जो मेंबर हैं, उन पर उनका नियंत्रण होना चाहिए। वरना ऐसे मेम्बर्स को तुरंत बाहर कर दें।
अब आपको इसकी हकीकत से रूबरू करवाते हैं। ये तमाम दावे पूरी तरह से निराधार है, अर्धसत्य हैं और तथ्यात्मक रूप से गलत भी हैं। दरअसल, कोरोना नहीं, बल्कि किसी भी तरह की भ्रामक गौर किजिएगा भ्रामक या गलत जानकारी वायरल कर यदि भय का माहौल बनाया जाता है या आपसी सौहार्द बिगाड़ा जाता है तो ऐसे व्यक्ति के खिलाफ एक्शन लिया जा सकता है। इसका ये कतई मतलब नहीं है कि आप कोई भी खबर या कोरोना से जुड़ी तथ्यात्मक रूप से सही चीजें पोस्ट करें और पुलिस तुरंत आएगी और आपको अपने साथ ले जाएगी। पत्र सूचना कार्यालय यानी पीआईबी ने भी स्पष्ट किया है कि कोरोना वायरस से संबंधित किसी भी पोस्ट को शेयर करना दंडनीय अपराध नहीं है। कोरोना वायरस पर आधिकारिक और सटीक जानकारी को ही साझा करके आप अपनी और अपने परिजनों की सुरक्षा कर सकते हैं।
अब आपको थोड़ा उस एक्ट के बारे में भी बताते हैं जिसके नाम पर अफवाहें फैलाने और लोगों को डराने का काम किया जा रहा है। आखिर क्या है डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट? इसके अंतर्गत क्या-क्या नियम हैं और क्या-क्या सजाओं का प्रवाधान इसके उल्लंघन पर है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार (24 मार्च) रात 12 बजे से अगले 21 दिनों के लिए तीन सप्ताह के देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की थी जिसके बाद ही गृह मंत्रालय (एमएचए) ने उसी दिन से आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 को लागू किया।
आपदा प्रबंधन अधिनियम राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के लिए सहायता प्रदान करता है और इस अधिनियम की धारा-6 प्राधिकरण की शक्तियों से संबंधित है- जिसके अंतर्गत प्राधिकरण ने राज्य सरकारों औऱ केंद्र सरकारों को ये निर्देश जारी किए हैं। इसके अंतर्गत इस अधिनियम की धारा 51 से 60 तो पूरे देश में लागू किया जाता है।
क्या है इसका मकसद
आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 का मकसद आपदाओं का प्रबंधन करना है, जिसमें रणनीति, क्षमता निर्माण, शमन और अन्य चीजें शामिल हैं। आमतौर पर एक आपदा जैसी कि चक्रवात या भूकंप से समझा जा सकता है। इस अधिनियम की धारा 2 (डी) में आपदा की परिभाषा में कहा गया है कि आपदा का अर्थ है किसी भी क्षेत्र में प्राकृतिक या मानव कारणों से या उपेक्षा से उत्पन्न कोई महा विपत्ति या महा बिमारी।
अब आते हैं असल मुद्दे पर यानी कि इस अधनियम के प्रावधानों की बात करते हैं जिन्हें मौजूदा समय में देश भर में लागू किया गया है।
धारा 51
यदि कोई व्यक्ति किसी सरकारी कर्मचारी को उनके कर्तव्यों को पूरा करने से रोकता या बाधा डालता है, या केंद्र/राज्य सरकारों या एनडीएमए द्वारा जारी किए गए निर्देशों का पालन करने से इनकार करता है तो वह व्यक्ति इस धारा के अंतर्गत दंडित किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, इस धारा के अंतर्गत, दिशानिर्देशों का कोई भी उल्लंघन, जिसमें पूजा स्थल पर जाना, सामाजिक कार्यक्रम का आयोजन करना आदि शामिल हैं, सभी को इस धारा के तहत अपराध माना जाएगा।
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धारा 52
धारा के अंतर्गत, वह मामले आयेंगे जहाँ यह आरोप लगाया जाए कि अभियुक्त ने कुछ ऐसा लाभ (राहत, सहायता, मरम्मत, निर्माण या अन्य फायदे) का दावा किया जो कि मिथ्या या केवल भ्रम फैलाने वाला हो पर इस धारा के तहत कार्यवाई की जा सकती है।
धारा 53 राहत कार्यों के पैसों का दुरूपयोग और धारा 54 मिथ्या चेतावनी या घबराहट फैलानी कोशिश जैसे कृत्यों पर दंड को परिभाषित करता है।
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धारा 55, सरकार के विभागों द्वारा अपराध से सम्बंधित है। हमें कुछ अधिकार दिए गए हैं तो हरेक अधिकार अपने साथ कुछ जिम्मेदारियां भी लेकर आता है। धारा 56 इसको ही परिभाषित करती है। यदि एक सरकारी अधिकारी, जिसे लॉकडाउन से संबंधित कुछ कर्तव्यों को करने का निर्देश दिया गया है, और वह उन्हें करने से मना कर देता है, या बिना अनुमति के अपने कर्तव्यों को पूरा करने से पीछे हट जाता है तो वह इस धारा के अंतर्गत दोषी ठहराया जा सकता है।
धारा 57 अध्यपेक्षा के आदेश पर उल्लंघन और अधिनियम की धारा 58, कंपनियों द्वारा अपराध से सम्बंधित है। इसके अलावा धारा 59 अभियोजन के लिए पूर्व मंजूरी (धारा 55 और धारा 56 के मामलों में) से सम्बंधित है, वहीं धारा 60 न्यायालयों द्वारा अपराधों के संज्ञान से संबंधित है।