Jyotiraditya Scindia ने कांग्रेस और राहुल गांधी को बताया लोकतंत्र विरोधी, गुस्साये Kharge ने किया पलटवार

By गौतम मोरारका | Apr 05, 2023

अदालत की ओर से सजा सुनाये जाने के बाद राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता जाने के मुद्दे पर कांग्रेस की ओर से किये जा रहे हंगामे पर भाजपा बार-बार यही आरोप लगा रही है कि कांग्रेस न्यायतंत्र पर दबाव बनाने की कोशिश कर रही है। वहीं कांग्रेस भाजपा के इस आरोप को खारिज करते हुए गुरुवार को एक बड़े प्रदर्शन की योजना बना रही है। इस बीच, आज भी संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही भारी हंगामे के चलते बाधित रही।


जहां तक भाजपा के आरोपों की बात है तो आपको बता दें कि केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा है कि पिछले कुछ दिनों में राहुल गांधी और कांग्रेसी पार्टी ने न्यायतंत्र पर दबाव बनाने और धमकी की विचारधारा के साथ कार्य किया है। सिंधिया ने कहा कि कांग्रेस ने अपनी जिस निजी कानूनी लड़ाई को एक लोकतंत्र की कानूनी लड़ाई के रूप में प्रेषित करने की कोशिश की है, उससे एक बात तो स्थापित हो चुकी है कि कांग्रेस पार्टी ने इस देश में लोकतंत्र के साथ खिलवाड़ करने में कोई कमी नहीं छोड़ी है। सिंधिया ने राहुल गांधी और कांग्रेस पर तीखा हमला बोला और आरोप लगाया कि विपक्षी पार्टी के पास देश के खिलाफ काम करने वाले ‘देशद्रोहियों’ के अलावा कोई विचारधारा नहीं बची है।

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सिंधिया ने राहुल गांधी पर सीधा हमला करते हुए कहा कि इस पार्टी ने पिछड़े वर्गों का अपमान किया है, सशस्त्र बलों की बहादुरी का सबूत मांगा है और चीन द्वारा सैनिकों को पीटे जाने के बारे में बात की है। उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस के पास कोई विचारधारा नहीं बची है। इस कांग्रेस के पास अब केवल एक विचारधारा बची है जो देशद्रोही की है, एक विचारधारा जो देश के खिलाफ काम करती है।’’ हम आपको बता दें कि लंबे समय तक कांग्रेस में रहे सिंधिया को कभी गांधी का करीबी सहयोगी माना जाता था। उन्होंने पार्टी नेतृत्व के साथ मतभेदों के बाद 2020 में अपने समर्थकों के साथ कांग्रेस छोड़ दी थी। कई विधायकों के साथ वह भाजपा में शामिल हो गए थे। उनके इस कदम से मध्य प्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार गिर गई थी। बाद में शिवराज सिंह चौहान राज्य के मुख्यमंत्री बने।


सिंधिया ने कहा कि कांग्रेस गांधी की ‘व्यक्तिगत कानूनी लड़ाई’ को लोकतंत्र की लड़ाई के तौर पर पेश कर रही है। उन्होंने कहा कि वह लोकतंत्र के साथ खिलवाड़ करने और निचले स्तर पर पहुंचने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। भाजपा नेता ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि जब गांधी ने आपराधिक मानहानि के मामले में वहां की एक अदालत में अपील दायर की, तब उसके नेताओं और समर्थकों की फौज सूरत पहुंचकर न्यायपालिका पर दबाव बनाने और डराने की कोशिश कर रही थी। उन्होंने कहा कि संसद नहीं चलने दी जा रही है और इसके नेता काले कपड़े पहन रहे हैं। उन्होंने तर्क दिया कि राहुल गांधी से पहले कई अन्य नेताओं को अयोग्य ठहराया जा चुका है। उन्होंने सवाल किया कि क्या यह ‘गांधीवाद’ का दर्शन है और एक व्यक्ति के लिए इतना कुछ क्यों किया जा रहा है? सिंधिया ने कहा कि कुछ लोग कांग्रेस के लिए ‘प्रथम श्रेणी के नागरिक’ हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के एक नेता ने दावा किया था कि गांधी परिवार पर सामान्य कानूनी प्रक्रिया लागू नहीं की जानी चाहिए।


दूसरी ओर, सिंधिया के आरोपों पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि कांग्रेस पार्टी कभी किसी के ऊपर दबाव नहीं डालती है। उन्होंने कहा कि मैं यह भी नहीं कहना चाहता हूं कि सरकार दबाव डाल रही है, लेकिन एक उदाहरण है कि एक व्यक्ति जिसे 3 साल सज़ा होती है इसके बावजूद उसकी सदस्यता रद्द नहीं की जाती और एक व्यक्ति (राहुल गांधी) जिसने सच कहा उसकी सदस्यता रद्द की जाती है।


हम आपको यह भी बता दें कि खरगे के कक्ष में आज विपक्षी सांसदों की एक बैठक हुई जिसमें आगे के विरोध प्रदर्शन की रणनीति बनी। सूत्रों ने बताया है कि सभी विपक्षी दल गुरुवार को संसद भवन से विजय चौक तक और अगर अनुमति मिली तो कांस्टीट्यूशन क्लब तक तिरंगे झंडे के साथ मार्च करेंगे। सूत्रों ने यह भी बताया है कि विपक्षी नेता विजय चौक या कांस्टीट्यूशन क्लब में संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे।


उधर, संसद सत्र की बात करें तो आपको बता दें कि कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों ने अडाणी समूह से जुड़े मामले की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की मांग करते हुए बुधवार को लोकसभा में हंगामा किया जिसके कारण सदन की कार्यवाही शुरू होने के एक मिनट बाद ही दोपहर दो बजे तक स्थगित कर दी गई। सदन की कार्यवाही 11 बजे शुरू होते ही कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी दलों के सदस्य नारेबाजी करने लगे और आसन के निकट पहुंच गए। उन्होंने काले कपड़े पहन रखे थे। 


दूसरी ओर, राज्यसभा की बात करें तो वहां भी अडाणी समूह से जुड़े मुद्दों की जांच के लिए जेपीसी गठित किए जाने की मांग को लेकर सदन में विपक्षी सदस्यों का हंगामा जारी रहा जिसके कारण उच्च सदन की बैठक शुरू होने के कुछ ही देर बाद दोपहर दो बजे तक स्थगित कर दी गई। हंगामे की वजह से उच्च सदन में शून्यकाल और प्रश्नकाल नहीं हो पाया। बैठक शुरू होने पर सभापति जगदीप धनखड़ ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाना शुरू किया। इस बीच विपक्षी सदस्यों ने अडाणी समूह से जुड़े मुद्दे की जांच के लिए जेपीसी गठित करने की मांग को लेकर नारेबाजी शुरू कर दी। सभापति ने बताया कि उन्हें नियम 267 के तहत नोटिस मिले हैं। इसी बीच, विपक्ष के कुछ सदस्य आसन के निकट आकर नारेबाजी करने लगे। आम आदमी पार्टी के संजय सिंह ने हंगामे के बीच अडाणी मुद्दे पर जेपीसी गठित करने की मांग की। सभापति ने उन्हें अपनी सीट पर लौटने को कहा लेकिन जब ऐसा ना हुआ तो उन्होंने उन पर कार्रवाई की चेतावनी भी दी। हंगामा ने थमते देख सभापति ने सदन की कार्यवाही शुरू होने के करीब चार मिनट के भीतर ही दोपहर दो बजे तक स्थगित कर दी।


उल्लेखनीय है कि गत 13 मार्च से शुरू हुए संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण में विपक्ष और सत्ता पक्ष के हंगामे के कारण लोकसभा एवं राज्यसभा में बार बार व्यवधान हुआ है। विपक्षी दल अडाणी समूह के मामले में जेपीसी गठित करने की मांग पर अड़े हुए हैं। दूसरी तरफ, सत्तापक्ष ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा लंदन में दिए गए एक बयान को लेकर उनसे माफी की मांग की।

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